Kokila Vrat Information In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम कोकिला व्रत के बारे में जानकारी लेने वाले हैं । हर साल आषाढ़ माह के पूर्णिमा को कोकिला व्रत रखा जाता हैं । कोकिला व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित हैं । यह व्रत दक्षिण भारत में ज्यादा किया जाता हैं । इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती हैं । यह व्रत विवाहित स्त्रियां और कुंवारी लड़कियां करती हैं । मान्यता हैं की , यह व्रत करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं । यह व्रत करने से विवाह संबंधित समस्या दूर हो जाती हैं और मनचाहा वर प्राप्त होता हैं । यह व्रत करने से दांपत्य जीवन में खुशियां आती हैं ।
कोकिला व्रत के बारे में जानकारी Kokila Vrat Information In Hindi
कोकिला व्रत पूजा विधि –
कोकिला व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करें । इस दिन गंगा स्नान या किसी और पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता हैं । स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहने और घर के मंदिर में दीपक लगाएं । स्नान करने के बाद सूर्य देवता को अर्घ्य देना चाहिए । इसके बाद पूजा की जगह साफ करें और पूजा स्थल पर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें । भगवान के सामने व्रत करने का संकल्प लें ।
यह व्रत पूरा दिन निराहार रहकर करना चाहिए । इसके बाद शिवलिंग का और भगवान शिव और माता पार्वती के प्रतिमा और तस्वीर का अभिषेक करें । पूजा में बेलपत्र , चंदन , धूप , दीप , सफेद फूलों का उपयोग करें । इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के मंत्रों का जाप करना चाहिए । शाम के समय भगवान की आरती करनी चाहिए । इस दिन व्रत की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए । शाम की पूजा होने के बाद फलाहार करना चाहिए ।
कोकिला व्रत की कथा –
पौराणिक कथाओं के अनुसार , अनंतकाल में आदिशक्ति का राजा दक्ष के घर में सती रूप में जन्म हुआ । उनका पालन पोषण उनके पिता ने किया । जब सती के विवाह की बात आई तब दक्ष राजा ने न चाहने के बावजूद सती ने भगवान शिव से शादी कर ली । कुछ समय बाद राजा दक्ष ने एक यज्ञ किया । इस यज्ञ के लिए राजा दक्ष ने माता सती और भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया ।
माता सती को यह बात पता चलने के बाद माता सती ने भगवान शिव से यज्ञ के लिए जाने की अनुमती मांगी । भगवान शिव ने माता सती को यज्ञ में जाने के लिए मना कर दिया । लेकिन माता सती भगवान शिव की बात नहीं सुन रही थी । आखिरकार माता सती भगवान शिव से अनुमती लेकर यज्ञ के लिए चली गई ।
माता सती यज्ञ स्थल पर पहुंच गई । माता सती का उधर किसीने मान-सम्मान नहीं किया । उधर भगवान शिव के प्रति अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया । इस बात का माता सती को बहोत बुरा लगा और माता सती यज्ञ में कुद गई । जब इस बात का भगवान शिव को पता चला तब वह बहोत क्रोधित हो गए और उन्होंने माता सती को शाप दिया की आपने मेरी इच्छा के विरुद्ध जाकर यज्ञ में कुद गई अब आपको भी 10 हजार साल तक वन में कोयल बनकर रहना पड़ेगा । इस काल में माता सती ने कोयल बनकर 10 हजार साल तक वन में भगवान शिव की आराधना की । इसके बाद माता सती का जन्म पर्वतराज हिमालय के घर हुआ । इस व्रत का बहोत महत्व हैं ।
कोकिला व्रत का महत्व –
मान्यता के अनुसार , यह व्रत करने से महिलाओं को जीवन में सभी सुख प्राप्त होते हैं । यह व्रत करने से दांपत्य जीवन में खुशहाली रहती हैं । यह व्रत करने से शुभ फलों की प्राप्ती होती हैं । यह व्रत करने से कुंवारी लड़कियों को मनचाहे वर की प्राप्ती होती हैं ।
अगर किसी के विवाह में कोई समस्या आ रही है तो यह व्रत करने से समस्या दूर हो जाती हैं । कोकिला व्रत करने से सावन सोमवार व्रत करने का लाभ प्राप्त होता हैं । यह व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं । यह व्रत करने से व्यक्ती को संतान , धन और सुख की प्राप्ती होती हैं ।
कोकिला व्रत के दिन क्या करना चाहिए –
1 ) कोकिला व्रत के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए । इस दिन गंगा नदी या किसी पवित्र नदी में स्नान करना अच्छा माना जाता हैं । इस दिन सूर्य को अर्घ्य देकर दिन की शुरुआत करनी चाहिए ।
2 ) यह व्रत पूरा दिन निराहार रहकर करना चाहिए ।
3 ) इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के मंत्रों का जाप करना चाहिए ।
4 ) यह व्रत श्रद्धा से और विधि विधान से करना चाहिए । ऐसा करने से पती की आयु बढ़ जाती हैं और मनोवांछित फलों की प्राप्ती होती हैं ।
5 ) कुंवारी लड़कियों को यह व्रत श्रद्धा से और विधि विधान से करना चाहिए । ऐसा करने से उन्हें मनचाहा पती मिलता हैं ।
कोकिला व्रत के दिन क्या नहीं करना चाहिए –
1 ) कोकिला व्रत के दिन खाना नहीं खाना चाहिए । क्योंकी यह व्रत निराहार रहकर करना होता हैं ।
2 ) इस व्रत के दिन झुठ नहीं बोलना चाहिए और किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए ।
3 ) इस दिन किसी का अपमान नहीं करना चाहिए ।
4 ) इस दिन किसी के प्रती अपशब्द नहीं बोलने चाहिए ।
5 ) इस दिन किसी के भी बारे में बुरा विचार नहीं करना चाहिए और किसी का भी बूरा नहीं करना चाहिए ।
6 ) बीमारी या गर्भावस्था में यह व्रत नहीं करना चाहिए क्योंकी यह व्रत निराहार रहना करना होता हैं ।
7 ) व्रत में दिन में सोना नहीं चाहिए ।
इस पोस्ट में हमने कोकिला व्रत के बारे में जानकारी ली । हमारी पोस्ट शेयर कीजिए ।
धन्यवाद !
यह लेख अवश्य पढ़े –
कोकिला व्रत कैसे किया जाता है?
भगवान शिव को भांग, धतूरा, बेल पत्र, लाल फूल, केसर आदि चीजें समर्पित करें.
कोकिला व्रत क्या है?
कोकिला व्रत भगवान शिव और माता सती को समर्पित होता है। Kokila Vrat 2023: हिंदू धर्म में आषाढ़ महीने की पूर्णिमा का काफी महत्व है। इस दिन गुरु पूर्णिमा और मां लक्ष्मी और विष्णु जी की पूजा के साथ कोकिला व्रत रखा जाता है। इस साल कोकिला व्रत 2 जुलाई रविवार को रखा जाएगा।
कोकिला व्रत कब आता है?
कोकिला व्रत आषाढ़ पूर्णिमा के दिन किया जाता है
कोकिला व्रत कितने साल में आता है?
हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा पर रखा जाता है।