Paush Purnima Information In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम पौष पूर्णिमा के बारे में जानकारी लेने वाले हैं । हिंदू धर्म में पौष पूर्णिमा को महत्त्वपूर्ण माना जाता हैं । इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती हैं । इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है । पूर्णिमा के दिन दान करने से व्यक्ती के पाप मिट जाते हैं और शुभ फलों की प्राप्ति होती हैं । शास्त्रों में भी पूर्णिमा व्रत को बहोत शुभ माना गया हैं । प्रयागराज में संगम तट पर इस दिन से माघ मेला लगाया जाता हैं ।
पौष पूर्णिमा के बारे में जानकारी Paush Purnima Information In Hindi
पौष पूर्णिमा व्रत विधि –
पौष पूर्णिमा व्रत के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान करना चाहिए । इस दिन गंगा नदी या किसी और पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता हैं । अगर आपके पास कोई पवित्र नदी नहीं हैं तो आप नहाने के पानी में गंगाजल डालकर भी स्नान कर सकते हैं । स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहने । सबसे पहले आपको घर का मंदिर अच्छे तरह से साफ करना होगा ।
इसके बाद घर के मंदिर में दीपक लगाएं और सभी देवी – देवताओं का गंगाजल से अभिषेक करें । इसके बाद घर के मंदिर में जितने देवी – देवता हैं उन सबकी पूजा करें । इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता हैं । इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करें । इस व्रत में पौष पूर्णिमा व्रत की कथा का भी पठन करना चाहिए ।
इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें । आरती करने के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को भोग लगाएं । भगवान विष्णु को भोग लगाते समय इस बात का ध्यान रखें की भगवान विष्णु बिना तुलसी के पत्ते के भोग ग्रहण नहीं करते । इसलिए भगवान विष्णु के भोग में तुलसी का पत्ता अवश्य रखें ।
इस दिन आप जितना कर सकते हो उतना भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का ध्यान और जाप करें । पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता हैं । इसलिए चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की भी पूजा करनी चाहिए । इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य जरुर देना चाहिए । चंद्रमा को अर्घ्य देने से दोषों से मुक्ती मिलती हैं । इस दिन जरूरतमंद लोगों को दान दें । इस दिन अगर आपके घर के आसपास गाय हो तो उसे भोजन अवश्य कराएं । इस दिन गाय को भोजन कराने से दोषों से मुक्ती मिलती हैं ।
पौष पूर्णिमा व्रत कथा –
पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिका नाम के नगरी में चंद्रहाश नाम का राजा राज करता था । उस नगरी में धनेश्वर नाम का एक ब्राम्हण रहता था । उस ब्राम्हण की पत्नी बहोत सुशील और रूपवती थी । उसके घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं थी । लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी । इस बात का उन्हें हमेशा दुख रहता था ।
एक बार उनके गांव में एक योगी आया । उस योगी ने ब्राम्हण का घर छोड़कर बाकी सभी घरों में भिक्षा ली । भिक्षा लेने के बाद वह गंगा किनारे गया और भोजन करने लगा । धनेश्वर अपने भिक्षा के अनादर से दुखी हो गया और उस योगी के पास पहुंच गया । धनेश्वर ने योगी से भिक्षा न लेने का कारण पुछा ।
इसके बाद योगी ने धनेश्वर के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि निसंतान के घर की भीख पतितों के समान होती हैं और जो पतितों के घर का अन्न खाता हैं वो भी पतित हो जाता हैं । वह योगी पतित हो जाने के भय के कारण से उस ब्राम्हण के घर से भिक्षा नहीं लेता था । यह सुनने के बाद धनेश्वर बहोत दुखी हो गया । धनेश्वर ने उस योगी से संतान प्राप्ति के लिए उपाय पूछा । उस योगी ने बताया कि तुम माता चंडी की आराधना करो । यह बात सुनने के बाद धनेश्वर वन में माता चंडी की आराधना करने के लिए चला गया । धनेश्वर नियमित रूप से चंडी की आराधना और उपवास करने लगा ।
सके बाद माता चंडी धनेश्वर की आराधना से प्रसन्न हो गई और माता चंडी ने सोलहवें दिन धनेश्वर के सपने में जाकर दर्शन दिया और पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया । माता चंडी ने सपने में धनेश्वर से कहा की अगर तुम दोनों लगातार 32 पुर्णिमा व्रत करोगे तो तुम्हारा संतान दीर्घायु हो जाएगा । इस प्रकार पूर्णिमा का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और शुभ फलों की प्राप्ति होती हैं ।
पौष पूर्णिमा व्रत का महत्व –
पौष पूर्णिमा के दिन को हिंदू धर्म में महत्त्वपूर्ण माना जाता हैं । शास्त्रों में भी पूर्णिमा व्रत को शुभ बताया गया हैं । पौष पूर्णिमा व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती हैं । यह व्रत करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती हैं । यह व्रत करने से जीवन की समस्याएं दूर हो जाती हैं । यह व्रत करने से पाप मिट जाते हैं । यह व्रत करने से चंद्रमा मजबूत होता हैं । यह व्रत करने से परिवार के झगडे दूर हो जाते हैं ।
पौष पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए –
1 ) पौष पूर्णिमा के दिन चावल , घी , तिल , खिचड़ी , गुड़ , भोजन , कंबल इन चीजों का दान करना चाहिए ।इस दिन दान करने से करियर में सफलता मिलती हैं और जीवन में चल रही समस्या दूर हो जाती हैं । यह उपाय धन प्राप्ति के लिए भी अच्छा माना जाता हैं ।
2 ) इस दिन दूध में चीनी और चावल मिलाकर चंद्रमा को अर्पित करना चाहिए ।यह उपाय संतान प्राप्ति और कर्ज मुक्ती के लिए अच्छा होता हैं ।
3 ) इस दिन घर के प्रवेशद्वार पर आम के पत्तों का तोरण लगाना चाहिए । ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि का आगमन होता हैं ।
4 ) इस दिन जरूरतमंद लोगों में खीर बांटनी चाहिए । ऐसा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती हैं ।
5 ) इस दिन घर के प्रवेशद्वार पर स्वस्तिक बनाना चाहिए । ऐसा करने से घर में माता लक्ष्मी का आगमन होता हैं ।
6 ) इस दिन ब्राम्हण को भोजन कराकर दान – दक्षिणा देनी चाहिए ।
7 ) मान्यता के अनुसार पौष पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष में माता लक्ष्मी का आगमन होता हैं । इस दिन पीपल के पेड़ के सामने मीठा चढ़ाना चाहिए और जल अर्पित करना चाहिए ।
पौष पूर्णिमा के दिन क्या नहीं करना चाहिए –
1 ) पौष पूर्णिमा के दिन लहसुन , प्याज , मांस , मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए ।
2 ) इस दिन किसी के भी प्रती अपशब्द नहीं बोलने चाहिए और इस दिन क्रोध नहीं करना चाहिए ।
इस पोस्ट में हमने पौष पूर्णिमा के बारे में जानकारी ली । हमारी पोस्ट शेयर जरुर किजीए । धन्यवाद !
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पौष पूर्णिमा का महत्व क्या है?
हिंदू धर्म में पौष पूर्णिमा का काफी ज्यादा महत्व होता है. माना जाता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही इस दिन स्नान, दान और सूर्यदेव को अर्घ्य भी दिया जाता है. हिंदू धर्म से जुड़ी मान्यता के मुताबिक, पौष सूर्य देव का माह कहलाता है.
पौष पूर्णिमा में क्या करें?
भक्त सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करते हैं । वे गंगा नदी में पवित्र स्नान करने के लिए हरिद्वार और प्रयागराज भी जाते हैं। पौष पूर्णिमा के दिन वाराणसी के दशाश्वमेध घाट और प्रयाग के त्रिवेणी संगम पर पवित्र डुबकी लगाना एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है
पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए?
र्णिमा के दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा का विधान है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का भी विशेष महत्व होता है। आप घर में रहकर नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं।
पूर्णिमा के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
संभोग, मांसाहारी भोजन, नाखून काटना, शरीर पर तेल लगाना, रात को चावल या दही खाना आदि