Kalashtami Information In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम कालाष्टमी के बारे में जानकारी लेने वाले हैं । हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी इस नाम से जाना जाता हैं । इस दिन कालभैरव की पूजा की जाती हैं और व्रत रखा जाता हैं । कालभैरव को भगवान शिव के पांचवें अवतार माना जाता हैं ।
कालाष्टमी के बारे में जानकारी Kalashtami Information In Hindi
कालाष्टमी को काल भैरवाष्टमी , भैरवाष्टमी इन नामों से भी जाना जाता हैं । शास्त्रों के अनुसार , भैरव इस शब्द का अर्थ ‘ भय को हराने वाला ‘ ऐसा होता हैं । । जो व्यक्ती कालभैरव की भक्ती करते हैं उसका सारा भय कालभैरव मिटा देते हैं । मान्यता के अनुसार , इस दिन पूजा और व्रत करने से व्यक्ती के जीवन से सारी परेशानियां , दरिद्रता और दुख दूर हो जाते हैं ।
कालाष्टमी व्रत पूजा विधि –
कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करें । इसके बाद स्वच्छ कपड़े पहने और घर के मंदिर में जाकर दीप लगाए । इसके बाद व्रत करने का संकल्प ले । इस दिन पूरा दिन व्रत रखिए और रात के समय कालभैरव की पूजा करें । अगर आपके आसपास कोई कालभैरव का मंदिर हो तो आप उधर जाकर भी पूजा कर सकते हैं । अगर आपके आसपास कालभैरव का मंदिर नहीं हो तो एक पाट पर भगवान शिव , माता पार्वती और कालभैरव की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें । इसके बाद चौमुखी दीपक लगाएं और कुमकुम, चंदन या हल्दी से सबको तिलक लगाएं ।
इसके बाद कालभैरव को नारीयल , पानी , मदिरा यह चीज़ें अर्पित करें और आरती करें । रात के समय दीप , धूप , सरसों का तेल और काली उड़द से पूजा करें । इसके बाद शिव चालिसा और भैरव चालिसा का पाठ करना चाहिए । इस दिन कालभैरव के मंत्र का 108 बार जाप करें । इसके बाद कालभैरव की उपासना करें । इसके बाद काले कुत्ते को मीठी रोटी और कच्चा दूध पिलाएं । इसके बाद उस कुत्ते की भी पूजा करें ।
कालाष्टमी व्रत कथा –
पौराणिक कथाओं के अनुसार , एक बार ब्रम्हा , विष्णु और महेश के बीच श्रेष्ठ कौन हैं इस बारे में वाद हो गया । इनके बीच का वाद बहोत बढ़ गया । इसके बाद सारे देवताओं को बुलाकर बैठक आयोजित की गई । बैठक में सबसे यह सवाल पुछा गया की ‘ श्रेष्ठ कौन हैं ? ‘ सभी ने अपना अपना जवाब दिया लेकिन ब्रम्हाजी ने भगवान शिव के बारे में अपशब्द कहे ।
इस बात को सुनकर शिवजी बहोत क्रोधित हो गए और यह खुदका अपमान समझा । भगवान शिव ने क्रोध में भैरव को जन्म दिया । भगवान शिव के इस रूप को देखकर सभी देवता घबरा गए । भैरव ने क्रोध में भगवान ब्रम्हा के पांच मुखों में से एक मुख काट डाला ।
उस वक्त ब्रम्हाजी के पास चार मुख हैं । ब्रम्हाजी का सिर काटने के वजह से भैरवजी के उपर ब्रम्हहत्या का पाप आ गया । ब्रम्हाजी ने भैरवजी से माफी मांगी । इसके बाद भगवान शिव अपने असली रूप में आ गए । भैरवजी के अपने पापों के कारण से दंड मिला और उनको कई दिनों तक भिखारी के तरह रहना पड़ा । कई वर्षों के बाद उनका वाराणसी में दंड समाप्त हो गया । इसका एक नाम ‘ दंडपानी ‘ पड़ा था ।
कालाष्टमी व्रत का महत्व –
कालाष्टमी के दिन व्रत रखने से कालभैरव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है । यह व्रत करने से भय मिट जाता हैं और संकट और शत्रुओं से मुक्ती मिलती हैं । यह व्रत करने से सारी परेशानियां मिट जाती हैं और दरिद्रता और दुख दूर हो जाते हैं । यह व्रत राहु और बुध जैसे दोष दूर करता हैं ।
इसलिए जिस व्यक्ती को राहु और बुध का दोष हो उनको यह व्रत करना चाहिए । कालाष्टमी के दिन धनप्राप्ती के लिए शमी का पौधा लगाना चाहिए और उसकी सेवा करनी चाहिए । अगर आप बीमार है तो आप कालाष्टमी के दिन कालभैरव की पूजा करने के बाद भैरव चालीसा का पाठ करें और इसके बाद कालभैरव के पास रोग मुक्ती के लिए प्रार्थना करें ।
कालाष्टमी के दिन क्या करना चाहिए –
1 ) कालाष्टमी के दिन कालभैरव को खुश करने के लिए और कालभैरव की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं और दूध पिलाएं ।
2 ) इस दिन बेलपत्र पर चंदन से ‘ॐ नमः शिवाय’ लिखकर भगवान शिव को अर्पित करना चाहिए । क्योंकी कालभैरव भगवान शिव के ही अवतार हैं । ऐसा करने से कालभैरव भगवान प्रसन्न हो जाते हैं ।
3 ) कालभैरव को प्रसन्न करने के लिए इस दिन कालभैरव भगवान के सामने सरसों के तेल का दीपक लगाना चाहिए ।
4 ) इस दिन भैरवजी की पूजा अर्चना और व्रत करना चाहिए । ऐसा करने से पापों से मुक्ती मिलती हैं और शत्रुओं का और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता हैं ।
5 ) इस दिन रात को भजन किर्तन करना चाहिए और आरती करनी चाहिए ।
6 ) इस दिन जरूरतमंद लोगों को काले कपड़े , सरसों का तेल , घी , खाने के लिए तली हुई चीजे , काली और सफेद रंग की कंबल दान करनी चाहिए ।
7 ) कालाष्टमी के दिन भैरवजी के मंदिर में कच्चा दूध दान करना चाहिए ।
8 ) मान्यता के अनुसार , गृहस्थ व्यक्ती को भैरव भगवान के सौम्य स्वरूप की मतलब बटुक भैरव की पूजा करनी चाहिए ।
कालाष्टमी के दिन क्या नहीं करना चाहिए –
1 ) कालाष्टमी के दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए और किसीको धोखा नहीं देना चाहिए ।
2 ) इस दिन किसी भी पशु और पक्षी के साथ दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए ।
3 ) कालाष्टमी व्रत के दिन किसी भी प्रकार के नशे का सेवन नहीं करना चाहिए ।
4 ) गृहस्थ व्यक्ती को भैरव भगवान की तामसिक पूजा नहीं करनी चाहिए ।
5 ) इस दिन किसी का भी बूरा नहीं सोचना चाहिए और बूरा होने की कामना नहीं करनी चाहिए ।
इस पोस्ट में हमने कालाष्टमी के बारे में जानकारी ली । हमारी पोस्ट शेयर जरूर किजीए ।
धन्यवाद !
यह लेख अवश्य पढ़े –
कालाष्टमी क्यों मनाई जाती है?
कालाष्टमी के दिन काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा काल भैरव की पूजा की जाती है। बाबा काल भैरव भगवान शिव के पांचवे अवतार माने जाते हैं।
कालाष्टमी के दिन क्या करना चाहिए?
कालाष्टमी के दिन भैरव मंदिर में सिंदूर, सरसों के तेल, नारियल, चना इत्यादि का दान करना चाहिए. 3. कालाष्टमी के दिन भैरव देवता की तस्वीर या प्रतिमा के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और श्री काल भैरव अष्टक का पाठ करें.
भैरव के लिए कौन सा दिन सबसे अच्छा है?
रविवार या मंगलवार