कार्तिक पूर्णिमा के बारे में जानकारी Kartik Purnima Information In Hindi

Kartik Purnima Information In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम कार्तिक पूर्णिमा के बारे में जानकारी लेने वाले हैं । हिंदू धर्म में कार्तिक माह बहोत महत्त्वपूर्ण हैं‌ । हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा को बहोत शुभ माना जाता हैं । कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान कार्तिकेय , चंद्रमा , भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती हैं ।‌

Kartik Purnima Information In Hindi

कार्तिक पूर्णिमा के बारे में जानकारी Kartik Purnima Information In Hindi

पौराणिक कथाओं के अनुसार , इस दिन भगवान शिव ने तारकासुर नाम के एक असुर का वध किया था‌ ।‌ इस दिन देवताओं को इस असुर से मुक्ती मिली थी । इसलिए देवताओं ने खुश होकर भगवान शिव को त्रिपुरारी नाम दिया । इस दिन को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता हैं । पौराणिक कथाओं के अनुसार , भगवान विष्णु का प्रथम अवतार इस दिन हुआ था । इस दिन भगवान विष्णु प्रथम अवतार मतलब मछली के रूप में प्रकट हुए थे । इस दिन काशी में देव दिवाली भी मनाई जाती हैं ।

कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि –

कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्वच्छ कपड़े पहनकर घर के मंदिर में दीपक लगाना चाहिए । इस दिन गंगा नदी या किसी और पवित्र नदी में स्नान करना भी अच्छा माना जाता हैं । इसके बाद व्रत का संकल्प लें । इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के सामने देसी घी का दीप लगाए और विधि विधान से पूजा करें ।‌ इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित करें । इस दिन सत्यनारायण की कथा सुनना या पढ़ना भी अच्छा माना जाता हैं ।‌

इस दिन सत्यनारायण की कथा सुनने या पढ़ने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं ।‌ इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगाना चाहिए । इस दिन शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करनी चाहिए और तुलसीजी के पास घी का दीपक लगाना चाहिए । इस दिन आप कर सकते हैं तो गरीबों को दान करें और भोजन कराएं ।‌

कार्तिक पूर्णिमा व्रत कथा –

एक समय में तारकासुर नाम का एक राक्षस था । उस राक्षस को तीन पुत्र थे । तारकाक्ष , कमलाक्ष , विद्युन्माली यह उन तीन पुत्रों के नाम थे । तीनों पुत्र बहोत पराक्रमी थे । एक दिन भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया ।‌ इसके बाद अपने पिता के हत्या का बदला लेने के लिए उसके पुत्रों ने ब्रम्हाजी की तपस्या की । उनकी तपस्या से ब्रम्हाजी प्रसन्न हो गए और उन्हें बोले की मांगो दैत्यराज पुत्रों क्या‌ मांगते हो ।‌

इसके बाद तारकासुर के पुत्रों ने अमर होने का वरदान मांगा और उन्होंने ऐसा भी वरदान मांगा की हमें इस संसार में कोई भी नहीं हरा सके । इसके बाद ब्रम्हाजी ने कहा की तुम तीनो इस वरदान के अलावा कोई दूसरा वरदान मांगो । मैं यह वरदान तुम तीनों को नहीं दे सकता । इसके बाद तारकासुर के तीन पुत्रों ने कहा कि अगर आप हमे अमर होने का वरदान नहीं दे सकते तो ठीक हैं ।

तारकासुर के तीन पुत्रों ने कहा की आप हम तीनों के लिए तीन नगर बनवाएं और हमें जो मारना चाहता है उससे हम हजार वर्षों बाद मिले और जब हम मिलेंगे तब हमें एक ही तीर से मारकर गिराने का वरदान दिजीए । ब्रम्हाजीने तीनों को तथास्तु कहा और वो अंतर्रध्यान हो गए । इसके बाद उन तीनो राक्षसों ने तीनों लोकों पर अपना आधिपत्य कर लिया ।

इसके बाद सभी देवता भगवान शिव के पास गए और समस्या का समाधान पूछा । देवताओं की बात सुनने के बाद भगवान शंकर ने विश्वकर्मा से कहकर एक भव्य रथ का निर्माण करवाया और उस रथ में बैठकर तीनों दैत्यों का संहार करने के लिए चले गए । यह देखकर सभी राक्षस घबरा गए और हाहाकार मचाने लगे । इसके बाद देव‌ और दानवों‌ के बीच युद्ध हो गया ।

भगवान शंकर ने एक तीर से तीनों राक्षसों को मार डाला और तीनों लोकों को राक्षसों से मुक्ती दिलाई ।‌ इसके बाद सभी देवों ने भगवान शंकर को त्रिपुरारी नाम दिया । विजय के खुशी में सभी देवता धरती पर आए और काशी में देव दिवाली मनाई । उस वक्त से कार्तिक पूर्णिमा के दिन काशी में देव दिवाली मनाई जाती हैं ।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्या‌ करना चाहिए –

1 ) कार्तिक पूर्णिमा के दिन गरीब लोगों को दान करना चाहिए । इस दिन दान करने से कई गुना फल मिलता हैं और व्यक्ती को जीवन के अंत में स्वर्ग की प्राप्ती होती हैं ।

2 ) इस दिन गंगा नदी में स्नान करना चाहिए । इससे पुण्य की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता हैं ।

3 ) इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए । इससे सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं ।

4 ) इस दिन शाम के समय दीपदान करना चाहिए । ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न‌ हो जाती हैं ।

5 ) इस दिन चावल दान करने चाहिए । ऐसा करने से चंद्रमा मजबूत होता हैं ।

6 ) इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से और पंचामृत से अभिषेक कराना चाहिए । इससे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती हैं और मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं ।

7 ) कार्तिक पूर्णिमा के दिन दूध में शक्कर मिलाकर पीपल के पेड़ पर चढ़ाना चाहिए । ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न‌ हो जाती हैं ।‌

कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्या नहीं करना चाहिए –

1 ) कार्तिक पूर्णिमा के दिन मांस , मदिरा , लहसुन , प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए ।

2 ) कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसीका भी अपमान नहीं करना चाहिए ।

3 ) कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर में झगड़ा नहीं करना चाहिए ।

4 ) इस दिन किसी के भी प्रती अपशब्द नहीं बोलने चाहिए ।‌

5 ) कार्तिक पूर्णिमा के दिन बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए । ऐसा करने से जीवन में परेशानियां आती हैं ।

इस पोस्ट में हमने कार्तिक पूर्णिमा के बारे में जानकारी दी । हमारी पोस्ट शेयर जरुर किजीए । धन्यवाद !

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कार्तिक पूर्णिमा का महत्व क्या है?

हिंदू मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा के दिन दान, स्नान और सूर्यदेव को अर्घ्य देने का महत्व बताया गया है. कार्तिक पूर्णिमा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष को मनाई जाती है. यह दिन बहुत विशेष है, क्योंकि माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध कर उसका संहार किया था.

कार्तिक पूर्णिमा का मतलब क्या होता है?

कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था। त्रिपुरासुर के वध से प्रसन्न होकर देवताओं ने काशी में दिये जलाए थे। इसलिए इसे देव दीपावली कहा जाता है

कार्तिक पूर्णिमा में किसकी पूजा की जाती है?



भगवान विष्णु 

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