Anant Chaturdashi Information In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम अनंत चतुर्दशी के बारे में जानकारी लेने वाले हैं । अनंत चतुर्दशी को हिंदू धर्म में बहोत महत्व हैं । भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी इस नाम से जाना जाता हैं । अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती हैं । अनंत चतुर्दशी के दिन को अनंत चौदस इस नाम से भी जाना जाता हैं । इस दिन भगवान गणेशजी का विसर्जन किया जाता हैं । अनंत चतुर्दशी का दिन मतलब दस दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव का आखिरी दिन होता हैं । इस दिन व्रत करने से व्यक्ती को अनंत फलों की प्राप्ती होती हैं ।
अनंत चतुर्दशी के बारे में जानकारी Anant Chaturdashi Information In Hindi
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार , अगर किसी व्यक्ती ने अनंत चतुर्दशी का व्रत चौदह साल लगातार किया तो उसे जीवन के अंत में विष्णु लोक की प्राप्ती होती हैं । भगवान श्री कृष्ण के कहने के अनुसार युधिष्ठिर ने भी अनंत भगवान का व्रत चौदह वर्षों तक विधि विधान से किया । इस व्रत के प्रभाव से पांडवों को महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त हुआ और वह चिरकाल तक राज्य करते रहे । उस वक्त से अनंत चतुर्दशी का व्रत मनाने जाने लगा ।
अनंत चतुर्दशी की कथा –
प्राचीन समय में सुमंत नाम के एक तपस्वी ब्राम्हण थे ।ब्राम्हण के पत्नी का नाम दिक्षा था । दोनों को एक सुंदर कन्या थी । वह कन्या धर्मपरायण थी । उस कन्या का नाम सुशीला था । सुशीला बड़ी होनेपर उसकी माता की मृत्यु हो गई । इसके बाद सुशीला के पिता सुमंत ने कर्कशा नाम के स्त्री के साथ विवाह किया ।
सुशीला का विवाह कौंडिन्य ऋषि के साथ हो गया । सुशीला के विदाई के समय कर्कशा ने अपने दामाद को ईंट और पत्थर के टुकड़े बांधकर दे दिए । इसके बाद कौंडिन्य ऋषि और सुशीला अपने आश्रम के ओर जाने के लिए निकल गए । रास्ते में शाम ढलने लगी । ऋषि नदी के किनारे संध्या वंदन करने लगे । उस वक्त सुशीला ने देखा की बहोत महिलाएं किसी देवता की पूजा कर रही थी । इसके बाद सुशीला ने उन महिलाओं से पुछा की – ‘ आप सभी किस देवता की पूजा कर रही हो ? ‘
सुशीला ने पुछने के बाद उन महिलाओं ने बताया की हम सभी भगवान अनंत की पूजा कर रहे हैं और उन्होंने इस दिन भगवान अनंत का व्रत रखने का क्या महत्व होता हैं , इसके बारे में सुशीला को बताया । सुशीला ने यह सब बात सुनने के बाद सुशीला ने इस व्रत का अनुष्ठान किया और सुशीला ने अपने हाथों पर चौदह गांठों वाला धागा बांधा सुशीला ऋषि कौंडिन्य के पास चली गई ।
सुशीला ऋषि कौंडिन्य के पास जाने के बाद ऋषि कौंडिन्य ने सुशीला को उसके हाथ पर बंधे हुए धागे के बारे में पुछा । इसके बाद सुशीला ने कौंडिन्य ऋषि को सारी बात बता दी । कौंडिन्य ऋषि ने यह सब मानने से मना कर दिया और सुशिला के हाथ पर बंधे हुए पवित्र धागे को निकालकर अग्नि में डाल दिया । ऋषि कौंडिन्य ने ऐसा करने के बाद उसकी सारी संपत्ती नष्ट हो गई और वह बहोत दुखी हो गए ।
एक बार ऋषि कौंडिन्य ने अपनी पत्नी सुशीला से इस दरिद्रता का कारण पूछा । इसके बाद सुशीला ने अनंत भगवान का डोरा जलाने की बात कही । कौंडिन्य ऋषि पश्चाताप करते हुए अनंत डोरे की प्राप्ती के लिए जंगल में चले गए । वह जंगल में बहोत दिनों तक भटकते रहें और एक दिन वह भटकते भटकते निराश हो गए और भूमि पर गिर पड़े ।
उस वक्त अनंत भगवान प्रकट हो गए और बोले की ” हे कौंडिन्य ! तुमने मेरा तिरस्कार किया था । उसके कारण तुम्हें इतना कष्ट भोगना पड़ा और तुम दुखी हो गए ।अब तुमने पश्चाताप किया हैं । अब मैं तुमसे प्रसन्न हूं ।अब तुम घर लौट जाओ और विधि विधान से अनंत व्रत क्यों । तुम्हें यह व्रत चौदह सालों तक करना होगा । इसके बाद तुम्हारा दुख दूर होगा । यह व्रत करने के बाद तुम धन – धान्य से संपन्न हो जाओगे ।” जिस तरह अनंत भगवान ने बताया उस तरह ही कौंडिन्य ऋषि ने व्रत विधि विधान से किए और उन्हें दुखों से मुक्ती मिल गई ।
अनंत चतुर्दशी पूजा विधि –
अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करें । स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहने और घर के मंदिर को अच्छी तरह से साफ करें । इसके बाद घर के मंदिर में जैसे हर दिन पूजा करते हैं उसी तरह से पूजा करें और दीप लगाए । इसके बाद भगवान विष्णु के सामने व्रत करने का संकल्प लें । संकल्प लेने के बाद घर के मंदिर में कलश की स्थापना करें ।
इसके बाद भगवान विष्णु की मुर्ती या प्रतिमा की स्थापना करें । अब एक डोरी लें और उस डोरी के उपर कुमकुम , केसर और हल्दी लगाइए । उस डोरे को 14 गांठे लगाए । इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें । इसके बाद व्रत कथा पढे या सुने । अब डोरे को पुरुषों के बाएं हाथ पर और महिलाओं को दाहिने हाथ पर बांधे । इसके बाद ब्राम्हणों को भोजन कराएं और उसके बाद परिवार के साथ भोजन करें ।
अनंत चतुर्दशी के दिन क्या करना चाहिए –
1 ) अनंत चतुर्दशी के दिन एक ही समय भोजन करना चाहिए । इस दिन मीठा भोजन करना चाहिए ।
2 ) इस दिन ब्राम्हण को भोजन करवाना चाहिए और दक्षिणा देनी चाहिए ।
3 ) इस दिन गरीब लोगों को और पशु पक्षियों को भोजन करवाना चाहिए ।
4 ) इस दिन डोरा हाथ में बांधते समय उसको चौदह गांठे लगवाए ।
अनंत चतुर्दशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए –
1 ) अनंत चतुर्दशी के दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए ।
2 ) अनंत चतुर्दशी के दिन झुठ नहीं बोलना चाहिए ।
3 ) इस दिन किसी की भी निंदा नहीं करनी चाहिए ।
4 ) इस दिन किसी भी व्यक्ती का अपमान नहीं करना चाहिए ।
5 ) इस दिन किसी भी पशु पक्षी को मारना नहीं चाहिए ।
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धन्यवाद !
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अनंत चतुर्दशी पर क्या किया जाता है?
अनंत चतुर्दशी के दिन श्री हरी और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इसी दिन गणेश विसर्जन किया जाता है. क्योंकि गणेश भगवान की स्थापना करने के पूरे दसवें दिन उनका विसर्जन करने का विधान है. अनंत चतुर्दशी वाले दिन बहुत सारे लोग व्रत भी करते हैं.
क्या अनंत चतुर्दशी का दिन अच्छा है?
अनंत चतुर्दशी का हिंदुओं में बहुत महत्व है। अनंत चतुर्दशी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो भारत में, विशेष रूप से महाराष्ट्र और गोवा राज्यों में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह शुभ दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है।
अनंत चतुर्दशी के पीछे की कहानी क्या है?
हिंदू पंचांग के मुताबिक, अनंत चतुर्दशी का त्योहार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि या 14वें दिन मनाया जाता है. पौराणिक कथानुसार, जब महर्षि वेदव्यास ने गणेश जी को महाभारत लिखने के लिए मना लिया तो बप्पा ने शर्त रखी कि मैं जब लिखना शुरू करूंगा तो कलम नहीं रोकूंगा, अगर कलम रुक गई तो मैं लिखना बंद कर दूंगा.