सावन मास के बारे में पूरी जानकारी Sawan Mas Information In Hindi

Sawan Mas Information In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम सावन मास के बारे में जानकारी लेने वाले हैं । सावन मास भगवान शिव को बहोत प्रिय हैं ‌। सावन महीने को हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता हैं । इस माह में भगवान शिव की पूजा की जाती हैं । सावन महीने में व्रत रखना बहोत शुभ माना जाता हैं । इस माह में हर सोमवार को व्रत रखा जाता हैं ।

Sawan Mas Information In Hindi

सावन मास के बारे में पूरी जानकारी Sawan Mas Information In Hindi

सावन मास में बहोत भक्त भगवान शिव के मंदिर में दर्शन‌ करने के लिए जाते हैं । पूराणों में बताया गया हैं की सावन मास में सच्चे मन से पूजा करने से अन्य दिनों के तुलना में कई ज्यादा गुना लाभ मिलता हैं । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस माह में जो व्यक्ती व्रत रखता हैं उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं ।

सावन मास व्रत विधि –

सावन मास का व्रत रखने के लिए सुबह जल्दी उठें और स्नान करें । अगर आप कर सकते हैं तो इस दिन पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें । स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहने । इसके बाद घर के मंदिर में दीपक लगाएं इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करें और विधि विधान से व्रत करने का संकल्प लें ।

इसके बाद भगवान शिव को दूध और गंगाजल से अभिषेक कराएं । इसके बाद भगवान शिव को चंदन , बेलपत्र , भस्म , बेलफल‌ , रूद्राक्ष , धतूरा , भांग , शमीपत्र , अक्षत यह चीज़ें चढ़ाएं । इसके बाद भगवान शिव के ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें और सावन मास के व्रत की कथा का पठन करें और भगवान शिव की आरती करें। इसके बाद भगवान शिव को प्रसाद चढ़ाएं और घर में लोगों में बांटे ।

सावन मास व्रत कथा –

एक बार एक नगर में एक साहूकार रहता था । वह साहूकार भगवान शिव का बहोत बड़ा भक्त था । नगर के लोग उस साहूकार का सम्मान करते थे । उसका जीवन बहोत ही सुखी संपन्न था । लेकिन उस साहूकार की कोई संतान नहीं थी । इस वजह से वह हमेशा दुखी रहता था । साहूकार हर सोमवार पूत्र प्राप्ती के लिए भगवान शिवजी की पूजा अर्चना करता था ।

एक बार साहूकार की भक्ती देखकर माता पार्वती भगवान शिव से बोली की यह साहूकार आपका बहोत बड़ा भक्त हैं । यह हर सोमवार आपका व्रत और पूजा करता हैं । लेकिन फिर भी आप उसकी इच्छा पूरी क्यों नहीं करते ? माता पार्वती की बात सुनकर भगवान शिव ने जवाब दिया की हे पार्वती इसे कोई संतान नहीं हैं , इसलिए इस विषय में मैं कुछ नहीं कर सकता ।

इसके बाद माता पार्वती भगवान शिव से बोली की आप कैसे भी करके उस साहूकार को संतान होने का वरदान दें । यह बात सुनने के बाद भगवान शिव ने उस साहूकार को संतान प्राप्ति का वरदान दिया और उन्होंने कहा की यह पुत्र केवल 12 साल तक जीवित रहेगा । कुछ समय के बाद साहूकार की पत्नी गर्भवती हुई । साहूकार की पत्नी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया । साहूकार को भोलेनाथ की बाते याद थी इसलिए पुत्र होने के बाद भी वह हमेशा बहोत दुखी रहता था ।

साहूकार ने यह बात उसके पत्नी को बताई । साहूकार का बेटा 11 साल का होने के बाद साहूकार की पत्नी ने उसका बाल-विवाह करने की बात की । इसके बात साहूकार ने कहा की अभी उसे पढ़ने के लिए काशी भेजेंगे । इसके बाद ही उसकी शादी होगी । उसने अपने पुत्र को मामा के साथ काशी भेज दिया ।‌ साहूकार ने अपने पुत्र से कहा की काशी जाते समय रास्ते में जिस स्थान पर रूकोगे वहां यज्ञ और ब्राम्हणों को भोजन कराकर आगे बढ़ना ।

इसके बाद मामा और भांजा काशी जाने के लिए निकल गए । रास्ते में उन्होंने यज्ञ और ब्राम्हणों को भोजन कराया । रास्ते में दोनों ने देखा की एक राजकुमारी और राजकुमार का विवाह हो रहा हैं । जिस राजकुमार से राजकुमारी का विवाह हो रहा था वह आंख से काना था । राजकुमारी के पिता ने यह देखने के बाद उन्होंने विचार किया की क्यों ना मैं अपनी पुत्री की शादी इस राजकुमार से कर दूं । उसने उसके इस विचार को साहुकार के बेटे के मामा से कहां ।

यह सुनकर मामा ने अपने भांजे की शादी उस राजकुमारी से करवा दी । विवाह होने के बाद उसने राजकुमारी के चुनरी के पल्लु पर लिखा की तेरा विवाह मेरे साथ हुआ हैं । लेकिन यह राजकुमार के साथ तुम्हें भेजेंगे । इसके बाद साहुकार का बेटा अपने मामा के साथ काशी जाने के लिए निकल गया । जब राजकुमारी ने अपनी चुनरी पर लिखा हुआ देखा तो उसने राजकुमार के साथ जाने के लिए मना कर दिया । मामा और भांजा काशी पहुंच गए । एक दिन मामा अपने घर में यज्ञ कर रहे थे तब भांजे की तबीयत खराब हो गई । उस दिन वह कमरे से बाहर नहीं आया । जब मामा ने कमरे के अंदर जाकर देखा तब भांजे के प्राण गए हुए थे ।

मामा ने यह बात किसीको नहीं बताई और यज्ञ का सारा काम समाप्त करवाया और ब्राम्हणों को भोजन करवाया । इसके बाद रैना शुरू किया । भगवान शिव और माता पार्वती उस वक्त उसी रास्ते से जा रहे थे । माता‌ पार्वती ने रोने की आवाज सुनकर भगवान शिव जी से पूछा की हे प्रभु यह कौन रो रहा हैं ? इसके बाद भगवान शिव बोले यह वही साहूकार का बेटा है , जिसकी आयु 12 साल तक की ही थी ।

उस वक्त माता पार्वती ने भगवान शिव से उस बेटे को जीवन दान देने को कहा । इसके बाद भगवान शिव बोले की इसकी आयू इतनी ही थी । माता पार्वती बार बार भगवान शिव से आग्रह करने लगी । तब भगवान शिव ने साहूकार के बेटे को जीवनदान दिया । इसके बाद मामा और भांजा दोनों अपने घर लौट गए ।

रास्ते में उन्हें वहीं नगर मिला जिधर साहूकार के बेटे का विवाह हुआ था । उधर जाने के बाद दोनों‌ की बहोत खातिरदारी हुई । राजकुमारी के पिता ने अपनी बेटी को साहूकार के बेटे के साथ विदा किया और साथ में बहोत सारा धन भी दिया । साहूकार और उसकी पत्नी छत पर बैठे थे । उन्होंने सोचा था की अगर उनका पूत्र वापस नहीं आया तो वह छत से कूदकर अपनी जान दे देंगे ।

जब उन दोनों को पता चला की उनका पूत्र उनके पास वापस आ रहा हैं तो उनको विश्वास नहीं हुआ । उनका बेटा आने के बाद उन्होंने अपने बेटे और बहू का बहोत अच्छे तरीके से स्वागत किया और भगवान शिव को बारंबार धन्यवाद दिया । रात में भगवान शिव साहूकार के सपने में आए और उन्होंने कहा की मैं तुम्हारे कथा से बहोत प्रसन्न हूं । आज के बाद जो भी सोमवार व्रत में इस कथा को पढे़गा उसकी सभी मनोकामनाएं मैं अवश्य पूरी करूंगा ।

सावन मास में क्या करना चाहिए –

1 ) सावन मास में बेलपत्र पर चंदन से ॐ नमः शिवाय लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए । ऐसा करना अच्छा माना जाता हैं ।

2 ) सावन मास में भगवान शिव को धतूरा और भांग अर्पित करनी चाहिए ।

3 ) सावन मास में शिवलिंग पर दूध चढ़ाना शुभ माना जाता हैं ।‌ इससे कुंडली की चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता हैं ।

4 ) इस माह में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए ‌ । इससे आरोग्य अच्छा रहता हैं ।

5 ) इस माह में भगवान शिव और माता पार्वती को केसर मिश्रित खीर का भोग लगाना चाहिए । ऐसा करने से भगवान शिव खूश हो जाते हैं और धन संबंधित परेशानियां दूर हो जाती हैं ।

सावन मास में क्या नहीं करना चाहिए –

1 ) सावन मास में मास , मदिरा , लहसुन , प्याज , मूली , बैंगन , मसूर दाल का सेवन नहीं करना चाहिए ।

2 ) सावन मास में झगड़ा नहीं करना चाहिए ।

3 ) सावन मास का व्रत बीच में नहीं छोड़ना चाहिए ।

4 ) सावन मास में किसी को भी अपशब्द नहीं बोलने चाहिए और किसी का भी मन नहीं दुखाना चाहिए ।‌

5 ) सावन मास में किसी की भी निंदा नहीं करनी चाहिए ।‌

6 ) सावन मास में किसी भी जीव की हत्या नहीं करनी चाहिए और किसी भी जीव को मारना नहीं चाहिए ।

7 ) भगवान शिव को हल्दी और सिंदूर नहीं चढ़ाना चाहिए ।

8 ) सावन मास में किसी के भी बारे में बुरा नहीं सोचना चाहिए और किसी का भी बूरा नहीं करना चाहिए ।

इस पोस्ट में हमने सावन मास के बारे में जानकारी ली । हमारी पोस्ट शेयर जरुर किजीए । धन्यवाद !

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सावन मास क्यों महत्वपूर्ण है?

कहा जाता है कि माता पार्वती ने सावन के महीने में भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की, जिसके चलते ही आगे जाकर उनका विवाह भगवान शिव के साथ हुआ. ऐसे में भगवान शिव को सावन का महीना बहुत पसंद होता है.


सावन मास को क्या क्या कहा जाता है?

हिंदू धर्म में सावन माह का विशेष महत्व होता है. यह भगवान शिव जी का प्रिय महीना होता है. वहीं इस बार सावन महीने में अधिकामस भी लगा है, जिसे मलमास या पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है


सावन मास के क्या फायदे हैं?

मान्यता है कि सावन का महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय है. प्राचीन मान्यता के अनुसार, जो लोग सोमवार का व्रत करते हैं उन्हें सुख और संसार के सभी सुखों की प्राप्ति होती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

सावन का संबंध शिव से क्यों है?

वैसे तो सावन को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र महीने के रूप में मनाया जाता है। किंवदंती है कि भगवान शिव ने दुनिया को बचाने के लिए अमृत पाने के लिए समुद्र मंथन के दौरान जहर पी लिया था। हालाँकि, देवी पार्वती ने उनकी गर्दन पकड़ ली और उन्हें जहर से बचाया जिसके परिणामस्वरूप भगवान शिव को और अधिक पीड़ा हुई और चोटें लगीं।

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