शरद पूर्णिमा के बारे में जानकारी Sharad Purnima Information In Hindi

Sharad Purnima Information In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम शरद पूर्णिमा के बारे में जानकारी लेने वाले हैं ।‌ हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा को बहोत महत्त्वपूर्ण माना जाता हैं ।‌ अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा इस नाम से जाना जाता हैं । मान्यता के अनुसार इस दिन माता लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट होती हैं । इस दिन‌ भगवान श्रीकृष्ण ने महारास लीला रचाई थी । ऐसा माना जाता हैं की इस दिन चांद सोलह कलाओं से युक्त होता हैं । यह दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए बहोत शुभ माना जाता हैं ।‌ मान्यता के अनुसार इस दिन विधि विधान से पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं ।

Sharad Purnima Information In Hindi

शरद पूर्णिमा के बारे में जानकारी Sharad Purnima Information In Hindi

शरद पूर्णिमा व्रत कथा –

शरद पूर्णिमा व्रत के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान करना चाहिए । इस दिन गंगा नदी या किसी और पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता हैं । अगर आपके पास कोई पवित्र नदी नहीं हैं तो आप नहाने के पानी में गंगाजल डालकर भी स्नान कर सकते हैं । स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहने । सबसे पहले आपको घर का मंदिर अच्छे तरह से साफ करना होगा । इसके बाद घर के मंदिर में दीपक लगाएं और सभी देवी – देवताओं का गंगाजल से अभिषेक करें ।

इसके बाद घर के मंदिर में जितने देवी – देवता हैं उन सबकी पूजा करें । इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता हैं । इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करें ।‌ इस व्रत में शरद पूर्णिमा व्रत की कथा का भी पठन करना चाहिए । इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें । आरती करने के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं ।

भगवान विष्णु को भोग लगाते समय इस बात का ध्यान रखें की भगवान विष्णु बिना तुलसी के पत्ते के भोग ग्रहण नहीं करते । इसलिए भगवान विष्णु के भोग में तुलसी का पत्ता अवश्य रखें । इस दिन आप जितना कर सकते हो उतना भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का ध्यान और जाप करें । पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता हैं । इसलिए चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की भी पूजा करनी चाहिए । इस दिन चंद्रमा को भी खीर का भोग लगाएं ।‌

शरद पूर्णिमा व्रत कथा –

कथाओं के अनुसार बहोत समय पहले एक नगर में एक साहुकार रहता था । उस साहुकार को दो पुत्रीयां थी ।‌ दोनो पुत्रीयां पूर्णिमा का उपवास रखती थी । छोटी पुत्री हमेशा उपवास को अधुरा रखती थी । बड़ी पुत्री पूरी श्रद्धा और लगन के साथ व्रत का पालन करती थी । कुछ समय के बाद दोनो पुत्रियों का विवाह हुआ । विवाह के बाद बड़ी बेटी ने स्वस्थ और सुंदर संतान को जन्म दिया । छोटी पुत्री की संतान जीवित नहीं रहती थी । इस बात से वह बहोत परेशान हो गई । उसके पती‌ भी इस बात को लेकर बहोत परेशान हो गए थे । उन्होंने एक ब्राम्हण को बुलाया और उन्हें कुंडली दिखाई ।

इसके बाद ब्राम्हण ने बताया कि इसने पूर्णिमा के अधूरे व्रत किये हैं । इसलिए ऐसा हो रहा हैं । उस वक्त उस ब्राम्हण ने उसे व्रत की विधि बताई और अश्विन मास का व्रत रखने का सुझाव दिया । इस बार उसने विधि विधान से पूरा व्रत किया । पूरा व्रत विधि विधान से करने के बाद भी संतान ने जन्म लेने के बाद वह संतान कुछ दिनों तक ही जीवित रही । उसने उस मृत संतान को पीढे़ पर लिटाया और उसपर एक कपड़ा रख दिया और अपनी बहन को बुलाकर लेकर आई और उसने अपनी बहन को बैठने के लिए वह पीढ़ा दे दिया ।

बडी बहन पीढे पर बैठने ही वाली थी तब उसके कपड़े उस बच्चे को छू गए और बच्चे की रोने की आवाज़ आई । यह देखकर बड़ी बहन को आश्चर्य हुआ और उसने कहा की तुम तुम्हारी संतान को मारने का दोष मुझपर लगाना चाहती थी। अगर इस संतान को कुछ हो जाता तो । उस वक्त छोटी बहन ने कहा कि यह संतान तो पहले से ही मरी हुई थी । तुम्हारे वजह से ही यह संतान जीवित हुई हैं । इसके बाद पूर्णिमा का महत्व पूरे नगर में फैल गया । नगर में पूर्णिमा का व्रत विधि विधान से करने का ढिंढोरा पिटवा दिया गया ।

शरद पूर्णिमा के दिन क्या‌ करना चाहिए –

1 ) शरद पूर्णिमा के दिन घर को अच्छे तरह से साफ करके रखें क्योंकी इस दिन माता लक्ष्मी का घर में आगमन होता हैं ।‌

2 ) इस दिन घर का प्रवेशद्वार खुला रखना चाहिए क्योंकी माता लक्ष्मी का इस दिन घर में आगमन होता हैं ।
3 ) इस दिन घर के छत पर या गैलरी में चांदी के बर्तन में दूध रखे और उसे चंद्रमा को अर्पित करें और इसके बाद सभी उस दूध को पिए ।

4 ) चंद्रमा आकाश के मध्य में स्थित होने के बाद उनका पूजन करें और उन्हें खीर का नैवेद्य चंद्रमा और माता लक्ष्मी को अर्पित करें । दूसरे दिन उस खीर को सभी लोग खाएं ।‌

5 ) इस दिन हनुमान जी के सामने चौमुखा दीपक लगाएं । इससे हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती हैं ।

6 ) इस दिन पीपल के पेड़ में माता लक्ष्मी का आगमन होता हैं । इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ के सामने मीठा चढ़ाएं ।

7 ) इस दिन रात को जागरण करना चाहिए और जागरण करते हुए माता लक्ष्मी की पूजा और जाप करना चाहिए ।‌

शरद पूर्णिमा के दिन क्या‌ नहीं करना चाहिए –

1 ) शरद पूर्णिमा के दिन मांस , मदिरा , लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए ।

2 ) इस दिन काले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए ।‌

3 ) इस दिन घर में झगड़ा नहीं करना चाहिए ।

4 ) इस दिन घर का मुख्य प्रवेशद्वार बंद करके नहीं रखना चाहिए क्योंकी इस दिन घर में माता लक्ष्मी का आगमन होता हैं ।‌

5 ) इस दिन घर को गंदा नहीं रखना चाहिए क्योंकी इस दिन घर में माता लक्ष्मी का आगमन होता हैं ।

इस पोस्ट में हमने शरद पूर्णिमा के बारे में जानकारी ली । हमारी पोस्ट शेयर जरुर किजीए । धन्यवाद !

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शरद की पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?

इस रात को सुख और समृद्धि प्रदान करने वाली रात माना जाता है, क्योंकि कोजागरी पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और घर-घर भ्रमण करती हैं। शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है और इस दिन घर की साफ-सफाई करते हुए मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप किया जाता है

शरद पूर्णिमा की विशेषता क्या है?

शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा व रास पूर्णिमा भी कहते हैं; हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को कहते हैं। ज्‍योतिष के अनुसार, पूरे वर्ष में केवल इसी दिन चन्द्रमाँ सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। हिन्दू धर्म में इस दिन कोजागर व्रत माना गया है। इसी को कौमुदी व्रत भी कहते हैं।


शरद पूर्णिमा के दिन किसकी पूजा की जाती है?

भगवान सत्यनारायण 

शरद पूर्णिमा पर खीर कैसे चढ़ाएं?

भक्त खीर के कटोरे को रात भर चांदनी के नीचे रखते हैं ताकि चंद्रमा की किरणें इसे उपचार के लिए उपयोगी बना सकें। फिर अगले दिन खीर का प्रसाद बांटते हैं . यह शरद पूर्णिमा के दिन हर भारतीय घर में मनाई जाने वाली एक पारंपरिक प्रथा है।

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