संकष्टी चतुर्थी त्यौहार कि पूरी जानकारी Sankashti Chaturthi Festival Information In Hindi

Sankashti Chaturthi Festival Information In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम संकष्टी चतुर्थी के बारे में जानकारी लेने वाले हैं । हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष और‌ शुक्ल‌ पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता हैं‌ । हिंदू धर्म में शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है ‌।

 Sankashti Chaturthi Festival Information In Hindi

संकष्टी चतुर्थी त्यौहार कि पूरी जानकारी Sankashti Chaturthi festival Information In Hindi

भगवान गणेश भक्तों‌ के संकट दूर करते हैं। भगवान गणेश को अन्य देवी-देवताओं में प्रथम पुजनीय माना गया है । भगवान गणेश को बुद्धी के देवता‌ कहा जाता हैं‌ । संकष्टी चतुर्थी का मतलब है संकटों को हराने वाली चतुर्थी ।‌ संकष्टी चतुर्थी हर कष्ट को खत्म करने वाली होती हैं ।

संकष्टी चतुर्थी कब आती है –

संकष्टी चतुर्थी हर महिने के कृष्ण पक्ष और‌ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को आती है । पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता हैं‌ । अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता हैं‌ ।

संकष्टी चतुर्थी क्यों मनाई जाती है –

मान्यताओं के अनुसार एक दिन माता पार्वती और भगवान शिव नदी किनारे बैठे हुए थे । अचानक से माता पार्वती का मन चोपड खेलने का हुआ । उस समय वहां पर माता पार्वती और भगवान शिव दोनो ही उपस्थित थे । उस समय खेल में हार जीत का फैसला करने के लिए तिसरे व्यक्ती की जरूरत थी ।

लेकिन तिसरा व्यक्ती नहीं था इसलिए माता पार्वती और भगवान शिव ने एक मिट्टी की मुर्ती बनाई और उसमें जान डाल दी और उसे चोपड के खेल में माता पार्वती और भगवान शिव ने हार जीत का फैसला करने को कहा । चोपड के खेल में माता पार्वती का विजय हुआ । यह खेल चलता रहा । इसमें बार बार माता पार्वती विजयी होती रही ।

एक बार उस बालक ने गलती से भगवान शिव को विजयी और माता पार्वती को हरा हुआ घोषित किया । यह सुनने के बाद माता पार्वती बहोत क्रोधित हो गई और उस बालक को लंगड़ा बना दिया । उस बालक ने माता पार्वती से अपनी गलती की माफी मांगी । माता पार्वती बहोत क्रोध में थी ।

माता पार्वती ने उस बालक की बात नहीं सुनी । माता पार्वती ने कहा की श्राप अब वापस नहीं लिया जा सकता । इसके बाद माता पार्वती ने कहा की इस जगह पर संकष्टी चतुर्थी के दिन कुछ कन्या पूजा करने के लिए आती है़ं । तुम उस कन्याओंसे व्रत की विधी पुछना और उस व्रत को करना । उस बालक ने माता पार्वती की बात सुनी और और जैसे माता पार्वती ने कहा वैसे किया । बालक की पूजा देखकर भगवान गणेश प्रसन्न हो गये । भगवान गणेश ने उस बालक की मनोकामना पूरी कर दी । इस कथा से यह पता चलता है की भगवान गणेश की पूजा पूरी श्रद्धा से की तो हमारी मनोकामना पूरी होती हैं ।

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार देवता बहोत विपदाओं से घिरे हुए थे । तब वह देवता भगवान शिव के पास मदद मांगने के लिए आ गये । उस वक्त भगवान शिव के साथ गणेशजी और कार्तिकेय बैठे हुए थे ।

देवताओं की बात सुनने के बाद भगवान शिव ने गणेशजी और कार्तिकेय से पुछा की तुम दोनों में से कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता हैं । उस वक्त गणेशजी और कार्तिकेय ने कहा की यह कार्य कर सकते हैं । इसके बाद भगवान शिव ने दोनों की परिक्षा लेते हुए कहा की तुम दोनों में से सबसे पहले जो पृथ्वी की परिक्रमा पूरी करके आयेगा उसे देवताओं की मदद करने मिलेगी ।

यह बात सुनकर कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठ गये और पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए चले गये । इसके बाद गणेशजी विचार करने लगे की अगर वह चूहे पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए गये तो उन्हें यह कार्य पूरा करने के लिए बहोत वक्त लग जायेगा । इसके बाद उनके मन में यह विचार आया और गणेशजी अपने स्थान से उठ गये और अपने माता – पिता को सात परिक्रमा की और वापस बैठ गये ।

इसके बाद कार्तिकेय आ गये और स्वयं को विजेता बताने लगे । तब भगवान शिव ने गणेशजी को पृथ्वी की परिक्रमा न करने का कारण पुछा । यह सुनकर गणेशजी ने कहा – ‘ माता – पिता के चरणों में ही समस्त लोक हैं । ‘ गणेशजी की यह बात सुनकर भगवान शिव ने गणेशजी को देवताओं के संकट दूर करने की आज्ञा दी । और भगवान शिव ने गणेशजी को आशिर्वाद दिया की चतुर्थी के दिन जो तुम्हारी पूजा करेगा और रात्री में चंद्रमा को अर्घ्य देगा उसके तीनों ताप मतलब दैहिक ताप , दैविक ताप और भौतिक ताप दूर होंगे । इस व्रत को करने से दु:ख दूर होंगे और भौतिक सुख की प्राप्ती होगी । चारों तरफ से मनुष्य की सुख – समृद्धी बढ़ेंगी । पुत्र – पौत्रादी और धन – ऐश्वर्य की कमी नहीं होगी ।

संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधी –

संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठे और स्नान करें । इसके बाद गणेशजी की पूजा करे । गणेशजी की मूर्ती या फोटो को गंगाजल से साफ करे । इसके बाद सिंदूर , फूल , दूर्वा , मिठाई , रोली भगवान गणेश को अर्पित करें । भगवान गणेश की धूप – दीप से पूजा करें ।

पूजा के दौरान भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें । इसके बाद भगवान गणेश को मोदक या मिठाई का भोग लगाये । शाम के समय व्रत कथा पढ़ें और आरती करे । इसके बाद चांद को अर्घ्य दें और व्रत खोले । व्रत पूरा होने के बाद जरूरतमंदों को भोजन कराये और वस्त्र दान‌ करें ।

संकष्टी चतुर्थी के दिन क्या करें –

  1. संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके भगवान गणेश की पूजा करें ।
  2. इस दिन भगवान गणेश के मंदिर में जाकर दर्शन करें ।
  3. भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करें ।
  4. भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाये ।
  5. इस दिन पशु या पक्षी को पानी पिलाये ।
  6. इस दिन जरूरतमंदों को भोजन कराते ।

संकष्टी चतुर्थी के दिन क्या नहीं करें –

  1. इस दिन बड़े लोगों का अपमान नहीं करना चाहिए ।
  2. इस दिन मांस का सेवन नहीं करना चाहिए ।
  3. इस दिन भगवान गणेश को गलती से भी तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए । भगवान गणेश के पूजा में तुलसी का उपयोग अशुभ माना जाता है ।
  4. इस दिन लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए ।
  5. इस दिन किसी भी पशु और पक्षी को मारना नहीं चाहिए ।

इस पोस्ट में हमने संकष्टी चतुर्थी के बारे में जानकारी ली । हमारी पोस्ट शेयर जरुर किजीए । धन्यवाद !

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संकष्टी चतुर्थी पर क्या किया जाता है?

संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश की पूजा की जाती है और दिनभर व्रत रखा जाता है. इस दिन गणेश जी की पूजा के साथ ही चंद्र देव की पूजा का भी महत्व होता है. रात्रि में चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है.

चतुर्थी के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

इस दिन प्याज, लहसुन, शराब और मांस का सेवन नहीं करना चाहिए।

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