प्रदोष व्रत त्यौहार कि पूरी जानकारी Pradosh Vrat Festival Information In Hindi

Pradosh Vrat Festival Information In Hindi हॅलो ! हम इस पोस्ट में प्रदोष व्रत के बारे में जानकारी लेने वाले हैं । प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता हैं । हर महिने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथी को प्रदोष व्रत रखा जाता हैं । प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की विधी – विधान से पूजा की जाती है । ऐसी मान्यता हैं की जो व्यक्ती प्रदोष व्रत‌ को संपूर्ण श्रद्धा और नियम से करता हैं उसके सारे कष्टों का नाश हो जाता हैं ।

Pradosh Vrat Festival Information In Hindi

प्रदोष व्रत त्यौहार कि पूरी जानकारी Pradosh Vrat Festival Information In Hindi

प्रदोष व्रत कथा –

स्कंद पुराण के अनुसार , प्राचीन काल में एक विधवा ब्राम्हणी सुबह के समय अपने पुत्र के साथ भिक्षा मांगने के लिए निकलती थी और शाम को वापस लौटकर आती थी । हमेशा की तरह वह भिक्षा लेकर लौट रही थी तब उसने नदी के पास एक सुंदर बालक को देखा । उस ब्राम्हणी को यह बात पता नहीं थी की वह बालक विदर्भ देश का राजकुमार धर्मगुप्त था । इस बालक के पिता के शत्रुओं ने युद्ध में मार डाला था और उनका राज्य भी कब्जे में कर लिया था ।

धर्मगुप्त की माता का भी अपने पती के मृत्यु के दु:ख में मृत्यु हो गया था । ब्राम्हणी ने अकेले बालक को देखकर अपने बेटे की तरह ही पालन – पोषण किया । थोडे दिनों के बाद ब्राम्हणी अपने बेटे और धर्मगुप्त के साथ मंदिर गई थी । उधर वह शांडिल्य ऋषि से मिले । ऋषि शांडिल्य ने ब्राम्हणी को धर्मगुप्त के के माता – पिता के मृत्यु की बात बताई ।

इसके बाद ब्राम्हणी और दोनों बच्चों को प्रदोष व्रत के बारे में बताया । यह सुनने के बाद ब्राम्हणी और दोनों बच्चों ने प्रदोष व्रत किया । उन्हें व्रत‌ के फल के बारे में कोई भी बात पता नहीं थी । एक दिन दोनों बालक वन में घुम रहे थे तब उन्हें वहां खुबसूरत गंधर्व कन्या दिखी । उन कन्याओं‌ में एक अंशुमती नाम की कन्या थी ।

वह कन्या धर्मगुप्त को पसंद आ गई । कुछ समय बाद धर्मगुप्त और अंशुमती एक दूसरे से प्यार करने लगे । इसके बाद अंशुमती ने धर्मगुप्त को अपने माता पिता से मिलने बुलाया । जब अंशुमती के माता पिता को पता चला की धर्मगुप्त विदर्भ देश के राजकूमार हैं तब उन्होंने भगवान भोलेनाथ की आज्ञा से उन दोनों की शादी करवा दी । शादी के बाद धर्मगुप्त ने सेना बनाई और अपना राज्य फिर से प्राप्त कर लिया ।

कुछ समय के बाद धर्मगुप्त को पता चला की यह सब प्रदोष व्रत के फलरूप में प्राप्त हुआ है । उनकी सच्ची श्रद्धा से खुश होकर भगवान भोलेनाथ ने उनको यह फल दिया । इसके बाद ऐसा माना जाता है की जो प्रदोष व्रत के दिन विधि – विधान से भोलेनाथ की पूजा करेगा और यह कथा सुनेगा या पढ़ेगा उसे अगले 100 सालों तक सुख – समृद्धी की प्राप्ती होगी ।

एक बार गंगा नदी के तट पर भगवान के भक्त सूतजी ने शौनकादि ऋषियों को प्रदोष व्रत के महात्म्य को सुनाया था । सुतजी ने कहा की कलियुग में जब मनुष्य धर्म के आचरण से हटकर अधर्म की राह पर जा रहा होगा , हर तरफ अन्याय और अत्याचार का बोलबाला होगा उस समय प्रदोष व्रत एक ऐसा व्रत होगा जो मानव को शिवकृपा का पात्र बनाएगा । सूतजी ने शौनकादि ऋषियों को कहा की प्रदोष व्रत से पाप नष्ट हो जायेंगे ।

प्रदोष व्रत कैसे करते हैं –

प्रदोष व्रत करने के लिये त्रयोदशी के दिन सुबह सूर्योदय होने से पहले जल्दी उठें , स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहन ले । इसके बाद बेलपत्र , अक्षत , दीप , गंगाजल , धूप से भगवान शिव की पूजा करें । इस दिन भोजन नहीं करना होता । इस दिन पूरा दिन उपवास करना चाहिए । शाम को कुछ समय पहले दोबारा स्नान करें और इसके बाद सफेद रंग के वस्त्र धारण करें । इसके बाद गंगाजल या स्वच्छ जल से पूजा की जगह को शुद्ध कर लें ।

इसके बाद गाय के गोबर से मंडप तैयार करे । मंडप में पांच अलग अलग रंगों की मदद से रंगोली बना‌ ले । पूजा की तैयारी करने के बाद उत्तर – पूर्व दिशा में मुंह करके कुशा के आसन पर बैठ जाइये । इसके बाद भगवान शिव को घी , शक्कर‌ और सत्तू का भोग लगाना चाहिए ।‌ इसके बाद आठ दिशा में आठ दिपक‌ लगाये‌ और आठ बार दिपक रखते समय प्रणाम‌ करें ।

इसके बाद भगवान शिव के ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें और शिव को जल चढाये । इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें । इसके बाद शिव की आरती करें । रात के समय जागरण करे ।‌ पूजा होने के बाद भगवान शिव को अपनी मनोकामना बताये और उनसे क्षमा मांगे । इसके बाद प्रसाद बांटे ।‌ प्रदोष व्रत के अगले दिन किसी ब्राम्हण या गरीब व्यक्ती को कोई वस्तू दान करनी चाहिए ।

प्रदोष व्रत के फायदे –

अलग अलग वार के प्रदोष व्रत के अलग अलग लाभ होते हैं ।

1 ) रविवार –

रविवार के दिन जो व्यक्ती प्रदोष व्रत रखते हैं उनकी आयु में वृद्धी होती हैं और उन्हें अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता हैं ।

2 ) सोमवार –

सोमवार के दिन का प्रदोष व्रत मनोकामना पूरी करने के लिए किया जाता है ।

3 ) मंगळवार –

मंगळवार के दिन प्रदोष व्रत करने से रोगों से मुक्ती मिलती हैं ।

4 ) बुधवार –

बुधवार के दिन प्रदोष व्रत करने से कामना सिद्ध होती हैं ।‌

5 ) गुरुवार –

गुरुवार के दिन प्रदोष व्रत करने से शत्रुओं का नाश होता हैं ।‌

6 ) शुक्रवार –

शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत करने से सौभाग्य की वृद्धी होती हैं और दांपत्य जीवन में सुख – शांती आती हैं ।‌

7 ) शनिवार –

शनिवार के दिन का प्रदोष व्रत संतान प्राप्ती के लिए किया जाता है ।

इस पोस्ट में हमने प्रदोष व्रत के बारे में जानकारी ली । हमारी पोस्ट शेयर जरुर किजीए । धन्यवाद !

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जुलाई महीने में प्रदोष व्रत कब है?

30 जुलाई की सुबह 10 बजकर 34 मिनट पर शुरू होगी और इसकी समाप्ति सुबह 31 जुलाई की सुबह 7 बजकर 26 मिनट पर होगी


प्रदोष व्रत के नियम क्या क्या है?

प्रदोष का व्रत रखने वाले लोग अन्न ग्रहण ना करें

प्रदोष व्रत किसका होता है?

प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है और इस दिन सुबह की बजाय शाम के समय भोलेनाथ का पूजन किया जाता है. आइए जानते हैं इस व्रत का महत्व. Pradosh Vrat 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है

कितना प्रदोष व्रत करना चाहिए?

 एक बार में 11 या 26 प्रदोष तक ही रखा जाता है

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