छठ पूजा त्यौहार कि पूरी जानकारी Chhath Puja Festival Information In Hindi

Chhath Puja Festival Information In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम छठ पूजा के बारे में जानकारी लेने वाले हैं ‌‌। छठ पूजा बिहार में हिंदू लोगों द्वारा बहोत धुमधाम से मनाई जाती हैं । छठ पूजा को षष्ठी पूजा इस नाम से भी जाना जाता हैं । यह त्यौहार कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाता हैं । यह त्यौहार मुख्य रूप से बिहार , नेपाल , झारखंड और उत्तरप्रदेश में मनाया जाता हैं । यह त्यौहार भारत में वैदिक काल से मनाया जाता हैं । अब यह त्यौहार पूरे दूनिया में प्रचलित होता जा रहा हैं । इस त्यौहार का दिन बहोत शुभ होता हैं और हर साल मनाया जाता हैं ।

Chhath Puja Festival Information In Hindi

छठ पूजा त्यौहार कि पूरी जानकारी Chhath Puja Festival Information In Hindi

छठ पूजा क्यों मनाई जाती हैं –

1 ) राजा प्रियवंद की कहानी –

पौराणिक कथा के अनुसार , राजा प्रियवंद नि:संतान थे । उनको इस बात का बुरा लगता था । राजा प्रियवंद ने इसके बारे में महर्षि कश्यप से बात की । इसके बाद महर्षि कश्यप ने संतान प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ कराया । यज्ञ में आहुति के लिए खीर बनाई थी । यह खीर राजा प्रियवंद की पत्नी मालिनी को खाने के लिए दी ।

यह खीर खाने के बाद मालिनी ने एक मृत पुत्र का जन्म दिया था । राजा प्रियंवद ने मृत पुत्र को लिया और वह शमशान में गये । और अपना प्राण का त्याग करने लगे । तब ब्रम्हा की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुई । उन्होंने राजा प्रियवंद से कहा की , मैं सृष्टी की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हूं , इसलिए मेरा नाम षष्टी हैं । तुम मेरी पूजा करो और लोगों में प्रचार करो । माता षष्टी के कहने के अनुसार , राजा प्रियंवद ने उनकी पूजा की । इसके फलस्वरूप राजा प्रियंवद को पुत्रप्राप्ति हुई ।

2 ) राम – सीता की कथा –

मान्यता के अनुसार भगवान राम और माता सीता 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे तब उन्होंने ऋषि – मुनियों के आदेश पर रावण के वध के पाप से मुक्त होने के लिए राजसूर्य यज्ञ करने का फैसला किया ।पूजा के लिए उन्होंने मुग्दल ऋषि को आमंत्रित किया था ।

मुग्दल ऋषि ने माता सीता पर गंगाजल छिड़का और उन्हें पवित्र किया और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन सूर्यदेव की उपासना करने का आदेश दिया । इसके बाद माता सीता ने छह दिन मुग्दल ऋषी के आश्रम में उपासना की थी। सप्तमी को सूर्योदय के समय उन्होंने फिर से अनुष्ठान करके सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था ।

3 ) द्रौपदी की कथा –

एक बार पांडव सारा राजपाट जुए में हार गए थे। तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था। यह व्रत करने से द्रौपदी की मनोकामना पूरी हुई थी। यह व्रत करने से पांडवों को सब कुछ वापस मिल गया था।

4 ) सूर्यपुत्र कर्ण की कहानी –

ऐसी मान्यता है कि छठ पर पूजा की शुरुआत महाभारत के काल में हुई थी। सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करना शुरू किया था । ऐसा कहा जाता है की कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे । सूर्य की कृपा से वह महान योद्धा बने। इस लिए छठ में अर्घ्य दान कर की परंपरा प्रचलित है ।

छठ पूजा की विधी –

छठ पूजा चार दिनों तक मनाई जाती है । छठ पूजा के दिन सुबह जल्दी उठे । अपने घर के पास किसी तालाब या नदी में स्नान करें । स्नान करने के बाद नदी या तालाब के किनारे पर खड़े होकर सूर्य देवता को नमन करें और विधि – विधान से पूजा करें । सूर्य देवता को नमन करने के बाद शुद्ध घी का दीपक जलाएं और सूर्य देवता को धूप और फूल अर्पण करें ।

छठ पूजा में सात प्रकार के फूल , चंदन , तील , चावल आदी से युक्त जल को सूर्य देवता को अर्पण करें । इसके बाद ‘ ॐ सूर्याय नमः ‘ का 108 बार जप करें । आप जितना कर सकते हैं उतना ब्राह्मण और गरीबों को भोजन कराये । इस दिन गरीब लोगों को कपड़े और अनाज का भी दान करना चाहिए ।

छठ पूजा के चार दिन कैसे मनाये –

1 ) नहाय खाय –

छठ पूजा के पहले दिन को ‘ नहाय खाय ‘ नाम से जाना जाता हैं । सबसे पहले घर को साफ किया जाता है । इसके बाद लोग अपने घर के नजदीक नदी या तालाब में जाकर स्नान करते हैं । इस दिन लोग नाखून वैगैरे काटकर स्वच्छ जल से अच्छी तरह बालों को धोकर स्नान करते हैं ।

अगर आप गंगा नदी में स्नान करने गए हो तुम वापस लौटते हुए गंगाजल घर लेकर आये और इसका उपयोग खाना बनाने के लिए किया जाता है। इस दिन लोग दिन में एक बार ही खाना खाते हैं । इस दिन खाना मिट्टी के बर्तन में बनाया जाता है । इस दिन सबसे पहले खाना जिस व्यक्ति ने व्रत किया है वह खाते हैं इसके बाद परिवार के अन्य व्यक्ति खाते हैं ।

2 ) खरना और लोहंडा –

छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना या लोहंडा नाम से जाना जाता है । इस दिन व्रत रखने वाले लोग पूरा दिन उपवास रखते हैं । इस दिन व्रत रखने वाले लोग सूर्यास्त के पहले पानी भी नहीं पीते हैं। शाम के समय चावल , गुड़ और गन्ने के रस का उपयोग करके खीर बनाई जाती है । खाना बनाने में नमक और चीनी का उपयोग नहीं किया जाता। इन चीजों को सूर्य देवता को नैवेद्य दिखाते हैं और एकांत में खाते हैं। व्रत करने वाले लोग अपने रिश्तेदारों को ‘ खीर – रोटी ‘ का प्रसाद खिलाते हैं । इसको ‘ खरना ‘ कहा जाता है ।

3 ) संध्या अर्घ्य

छठ पूजा के तीसरे दिन को संध्या अर्घ्य नाम से जाना जाता है । इस दिन को पूरे दिन लोग पूजा की तैयारियां करते हैं । इस दिन सूर्य देवता के लिए भोग बनाया जाता है। भोग बनाते समय साफ सफाई का ध्यान रखा जाता है । इस दिन टोकरी की पूजा करते हैं। बांस की टोकरी में लोग पूजा की सामग्री लेकर घाट पर जाते हैं और स्नान करके डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं ।

4 ) उषा अर्घ्य –

छठ पूजा के चौथे दिन को उषा अर्घ्य नाम से जाना जाता है । इस दिन सुबह उदयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्यास्त के पहले लोग घाट पर जाते हैं और सूर्य देव की पूजा करते हैं। जिन लोगों ने व्रत रखा हुआ होता है वह पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पानी में खड़े होते हैं और सूर्य की उपासना करते हैं । इस के बाद प्रसाद बांटा जाता है और गांव के पीपल के पेड़ के यहां जा कर पूजा करते हैं ।

हमने इस पोस्ट में छठ पूजा के बारे में जानकारी ली । इस पोस्ट को शेयर जरुर किजीए । धन्यवाद !

यह लेख अवश्य पढ़े –


छठ पूजा किसका त्योहार है?

सूर्य की आराधना का पर्व है

छठ का पर्व क्यों मनाया जाता है?

इस पर्व को सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके शुरू किया था।

छठ पूजा का नियम क्या है?

इस दिन घर की अच्‍छी तरह से साफ-सफाई वगैरह की जाती है और सात्विक भोजन किया जाता है

छठ पूजा के पीछे की कहानी क्या है?

छठ का उल्लेख दोनों प्रमुख भारतीय महाकाव्यों में किया गया है। रामायण में, जब राम और सीता अयोध्या लौटे, तो लोगों ने दीपावली मनाई और इसके छठे दिन रामराज्य (अर्थात् राम का राज्य) की स्थापना हुई। इस दिन राम और सीता ने व्रत रखा था और सीता द्वारा सूर्य षष्ठी/छठ पूजा की गई थी।

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