आज भी स्वामी विवेकानंद के विचार और कर्म युवाओं के प्रेरणास्त्रोत बने हुए हैं और हमेशा बने रहेंगे एवं युवाओं को ऊर्जा देते रहेंगे। स्वामी जी भी मानते थे कि अगर युवाओं की ऊर्जा को सही दिशा प्रदान की जाए तो राष्ट्र के विकास को नए आयाम तक ले जाया जा सकता है। आज का युवा जीवन में चारों ओर से निराशाओं से घिरा हुआ है ऐसे में स्वामी विवेकानंद के विचार ही उसको कर्म करने के लिए उत्साहित कर सकते हैं। स्वामी विवेकानंद के विचार युवाओं के लिए एक गुरु की भांति तथा एक पथप्रदर्शक के रूप में हमेशा उनके साथ रहते हैं। और उन्हें महान कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं।
Swami Vivekananda Quotes In Hindi स्वामी विवेकानंद जी वेदों – उपनिषदों के महान ज्ञाता और एक प्रखर वक्ता रहे हैं। उनका सनातन धर्म और संस्कृति के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने विश्वभर में वेदांत दर्शन का प्रसार किया और पूरे विश्व को सनातन धर्म और संस्कृति से परिचित कराया। ये स्वामी जी की शिक्षा का ही असर था कि भारत की गुलामी के समय में लोगों के अंदर राष्ट्रवाद की भावना को बल मिला और इस भावना ने ही लोगों में एकता स्थापित की। जिसने गुलामी की जंजीरों को तोड़कर भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वामी विवेकानंद जी ने कर्म योग, राज योग, ज्ञान योग, भक्ति योग जैसी किताबों के अपने विचारों को हम तक पहुंचाया है।
मन की एकाग्रता ही समग्र ज्ञान है।
बल ही जीवन है और दुर्बलता मृत्यु।
मौन, क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है।
दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो।
खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है।
चिंतन करो, चिंता नहीं; नए विचारों को जन्म दो।
ज्ञान का प्रकाश सभी अंधेरों को खत्म कर देता है।
भय और अपूर्ण वासना ही समस्त दुःखों का मूल है।
शिक्षा व्यक्ति में अंतर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति है।
सत्य को स्वीकार करना जीवन का सबसे बड़ा पुरुषार्थ है।
समस्त प्रकृति आत्मा के लिए है, आत्मा प्रकृति के लिए नहीं।
पवित्रता, धैर्य और उद्यम – ये तीनों गुण मैं एक साथ चाहता हूं।
आकांक्षा, अज्ञानता और असमानता – यह बंधन की त्रिमूर्तियां हैं।
हम जो बोते हैं वो काटते हैं। हम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हैं।
मेहनत से जीवन की हर मुश्किल से बाहर निकला जा सकता है।
हिन्दू संस्कृति आध्यात्मिकता की अमर आधारशिला पर स्थित है।
ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है
अगर स्वाद की इंद्रिय को ढील दी, तो सभी इन्द्रियां बेलगाम दौड़ेगी।
जिसके साथ श्रेष्ठ विचार रहते हैं, वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता।
मध्य युग में चोर डाकू अधिक थे अब छल कपट करने वाले अधिक है।
उस ज्ञान उपार्जन का कोई लाभ नहीं जिसमे समाज का कल्याण न हो।
अनुभव ही आपका सर्वोत्तम शिक्षक है। जब तक जीवन है सीखते रहो।
जब तक जीना, तब तक सीखना, अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।
संभव की सीमा जानने का एक ही तरीका है, असंभव से भी आगे निकल जाना।
जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है। यह अग्नि का दोष नहीं है।
सच को कहने के हजारों तरीके हो सकते हैं और फिर भी सच तो वही रहता है।
हर काम को तीन अवस्थाओं से गुज़रना होता है – उपहास, विरोध और स्वीकृति।
वह आदमी अमरत्व तक पहुंच गया है जो किसी भी चीज़ से विचलित नहीं होता है।
दुनिया एक महान व्यायामशाला है, जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
शिक्षा का अर्थ है उस पूर्णता को व्यक्त करना जो सब मनुष्यों में पहले से विद्यमान है।
जीवन में संबंध होना बहुत जरूरी है। पर उससे भी जरूरी है उन संबंधों में जीवन होना।
जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप ईश्वर पर विश्वास नहीं कर सकते।
मस्तिष्क की शक्तियां सूर्य की किरणों के समान हैं। जब वो केन्द्रित होती हैं, चमक उठती हैं।
संगति आप को ऊंचा उठा भी सकती है और यह आप की ऊंचाई को खत्म भी कर सकती है।
एक पुस्तकालय महान व्यायामशाला है जहाँ हम अपने मन को मजबूत बनाने के लिए जाते हैं।
तुम अपनी मंजिल को तो रातों-रात नहीं बदल सकते परंतु अपनी दिशा को रातों रात बदल सकते हैं।
केवल उन्हीं का जीवन, जीवन है जो दूसरों के लिए जीते हैं। अन्य सब तो जीवित होने से अधिक मृत हैं।
जो कुछ भी तुमको कमजोर बनाता है – शारीरिक, बौद्धिक या मानसिक। उसे जहर की तरह त्याग दो।
किसी चीज से डरो मत। तुम अद्भुत काम करोगे। यह निर्भयता ही है जो क्षण भर में परम आनंद लाती है।
मनुष्य जितना अपने अंदर से करुणा, दयालुता और प्रेम से भरा होगा, वह संसार को भी उसी तरह पायेगा।
यदि परिस्थितियों पर आपकी मजबूत पकड़ है तो जहर उगलने वाला भी आपका कुछ नही बिगाड़ सकता।
दिन में कम से कम एक बार खुद से जरूर बात करें अन्यथा आप एक उत्कृष्ट व्यक्ति के साथ एक बैठक गँवा देंगे।
किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आये, आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।
जिसने ने भी किसी का साथ ढूंढा समझ लो उससे सफलता पीछे छूट गई। क्योंकि भीड़ कभी शिखर पर नहीं पहुंचती।
एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
जो सत्य है, उसे साहसपूर्वक निर्भीक होकर लोगों से कहो। उससे किसी को कष्ट होता है या नहीं, इस पर ध्यान मत दो।
कुछ मत पूछो, बदले में कुछ मत मांगो। जो देना है वो दो, वो तुम तक वापस आएगा। परन्तु उसके बारे में अभी मत सोचो।
जीने के साथ लगातार सीखते भी जाना चाहिए इस भरोसे पर नहीं रहना चाहिए कि उम्र अपने साथ बुद्धि भी लेकर आएगी।
मुझे इस बात का विश्वास नहीं है कि वह भगवान जो मुझे यहाँ रोटी नहीं दे सकता वही मुझे स्वर्ग में अनंत खुशी दे सकता है।
हम जितना ज्यादा बाहर जायें और दूसरों का भला करें, हमारा हृदय उतना ही ज्यादा शुद्ध होगा और परमात्मा उसमें बसेंगे।
हमें हमारे विचार ही बनाते हैं। इसलिए शब्दों पर नहीं अपनी सोच पर ध्यान दें। विचार हमेशा जिंदा रहते हैं।
दिन-रात अपने मस्तिष्क को, उच्चकोटि के विचारो से भरो। जो फल प्राप्त होगा वह निश्चित ही अनोखा होगा।
इच्छा का समुद्र हमेशा अतृप्त रहता है । उसकी माँगे ज्यों-ज्यों पूरी की जाती है, त्यों-त्यों और गर्जन करता है।
दिन में कम से कम एक बार खुद से बात जरूर करें वरना आप दुनिया के बेहतरीन इंसान से नहीं मिल पाएंगे।
जितना हम दूसरों के साथ अच्छा करते हैं उतना ही हमारा हृदय पवित्र हो जाता है और भगवान उसमें बसता है।
हम भगवान को खोजने कहां जा सकते हैं अगर उनको अपने दिल और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते।
कर्म योग का रहस्य है कि बिना किसी फल की इच्छा के कर्म करना है, यह भगवान कृष्ण द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता में बताया गया है।
हमे ऐसी शिक्षा चाहिए जिससे चरित्र का निर्माण हो, मन की शक्ति बढ़े, बुद्धि का विकास हो और मनुष्य अपने पैर पर खड़ा हो सके।
जब लोग तुम्हे गाली दें तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो। सोचो, कि तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकालकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं।
हम हमेशा अपनी कमज़ोरी को अपनी शक्ति बताने की कोशिश करते हैं,अपनी भावुकता को प्रेम कहते हैं और अपनी कायरता को धैर्य।
तुच्छ वस्तुओं के लिए कभी प्रार्थना ना करें। यदि आप केवल शारीरिक आराम की ही आकांक्षा करते हो तो पशु और मनुष्य में क्या अंतर है।
धर्म ही हमारे राष्ट्र की जीवन शक्ति है। यह शक्ति जब तक सुरक्षित है, तब तक विश्व की कोई भी शक्ति हमारे राष्ट्र को नष्ट नहीं कर सकती।
पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता। एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान। ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते है।
यदि हमें गौरव से जीने का भाव जगाना है, अपने अंतर्मन में राष्ट्रभक्ति के बीज को पल्लवित करना है तो राष्ट्रीय तिथियों का आश्रय लेना होगा।
जो आपकी मदद कर रहा है उन्हें न भूलें। जो आपको प्यार कर रहे हैं उनसे नफरत न करें। जो आप पर विश्वास कर रहे हैं उन्हें धोखा ना दें।
जब तक मनुष्य के जीवन में सुख – दुख नहीं आएगा तब तक मनुष्य को यह एहसास कैसे होगा कि जीवन में क्या सही है? और क्या गलत है?
आप जोखिम लेने से भयभीत न हो। यदि आप जीतते हैं तो आप नेतृत्व कर सकते हैं। यदि हारते हैं तो आप दूसरों का मार्गदर्शन कर सकते हैं।
धर्म कल्पना की चीज नहीं है, प्रत्यक्ष दर्शन की चीज है। जिसने एक भी महान आत्मा के दर्शन कर लिए वह अनेक पुस्तकी पंडितों से बढ़कर है।
मनु ने सन्यासियों के लिए कहा है कि अकेले रहो और अकेले चलो। सारा संसार बच्चे का खेल मात्र है। – प्रचार करना, शिक्षा देना तथा सभी कुछ।
दुनिया में अधिकांश लोग इसलिए असफल हो जाते हैं क्योंकि विपरीत परिस्थितियां आने पर उनका साहस टूट जाता है और वह भयभीत हो जाते हैं।
जिस क्षण मैंने ईश्वर को हर इंसान में बैठे महसूस किया है, उसी क्षण से में हर इंसान के सामने सम्मान से खड़ा होता हूँ और उनमे ईश्वर को देखता हूँ।
यदि अच्छी चीजें आएं तो उनका स्वागत है। यदि वो जाती हैं तो भी उनका स्वागत है। जाने दो! जब वह आती है, तो भी धन्य है जब जाती हैं तो भी धन्य है।
अभय हो! अपने अस्तित्व के कारक तत्व को समझो, उस पर विश्वास करो। भारत की चेतना उंसकी संस्कृति है। अभय होकर इस संस्कृति का प्रचार करो।
हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखिये कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं, विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं।
हमारे विचार चीजों को खूबसूरत या बदसूरत बनाते हैं। सारी दुनिया हमारे मन में ही है। इसलिए चीजों को नई रोशनी में सकारात्मकता से देखना सीखें।
यदि संसार में कहीं कोई पाप है तो वह है दुर्बलता। हमें हर प्रकार की कमजोरी या दुर्बलता को दूर करना चाहिए। दुर्बलता पाप है, दुर्बलता मृत्यु के समान है।
नेतृत्व करते समय सबके दास हो जाओ। निस्वार्थ हो और कभी एक दोस्त को पीठ पीछे दूसरे की निंदा करते मत सुनो। अंतत: सफलता तुम्हारे हाथ लगेगी।
हमारे व्यक्तित्व की उत्पत्ति हमारे विचारों में है, इसलिए ध्यान रखें कि आप क्या विचारते हैं, शब्द गौण हैं विचार मुख्य हैं, और उनका असर दूर तक होता है।
मनुष्य जाति को इस प्रकार पुकारना है कि जागो, उठो और धैर्य की उपलब्धि के बिना रुको नहीं। यही एकमात्र कर्म है। त्याग ही धर्म का सार है और कुछ नहीं।
क्या तुम नहीं अनुभव करते कि दूसरों के ऊपर निर्भर रहना बुद्धिमानी नहीं हैं। बुद्धिमान व्यक्ति को अपने ही पैरों पर दृढतापूर्वक खड़ा होकर कार्य करना चहिए।
जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न धाराएँ अपना जल समुद्र में मिला देती हैं। उसी प्रकार मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग, चाहे अच्छा हो या बुरा, भगवान तक जाता है।
जिस शिक्षा से हम अपना जीवन निर्माण कर सके, मनुष्य बन सके ,चरित्र गठन कर सके और विचारों की सामंजस्य कर सकें। वही वास्तव में शिक्षा कहलाने योग्य है।
कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है। ऐसा सोचना सबसे बड़ा अधर्म है। अगर कोई पाप है, तो वो यही है; ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं।
अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है।
अच्छे अभिप्राय, निष्कपटता और अनंत प्रेम विश्व को जीत सकते हैं। इन गुणों से युक्त एक आत्मा लाखों पाखंडियों और पाशविकों की काली योजनाओं को नष्ट कर सकती है।
यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता।
जब तक करोड़ों लोग भूखे और अज्ञानी रहेंगे, मैं उस प्रत्येक व्यक्ति को विश्वासघाती मानूंगा जो उनकी कीमत पर शिक्षित हुआ है और उनकी ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता है।
यह मत भूलो कि बुरे विचार और बुरे कार्य तुम्हें पतन की और ले जाते हैं । इसी तरह अच्छे कर्म व अच्छे विचार लाखों देवदूतों की तरह अनंतकाल तक तुम्हारी रक्षा के लिए तत्पर हैं।
कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आँखें मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आँख, नाक, कान, मुँह, मस्तिष्क आदि क्यों देता…?
उठो मेरे शेरो, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो। तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, धन्य हो, सनातन हो। तुम तत्व नहीं हो, तत्व तुम्हारा सेवक है तुम तत्व के सेवक नहीं हो।
आप अपने को जैसा सोचेंगे, आप वैसे ही बन जाएंगे। यदि आप स्वयं को कमजोर मानते हैं तो आप कमजोर ही होंगे। और यदि आप स्वयं को मजबूत सोचते हैं तो आप मजबूत हो जाएंगे।
यही दुनिया है; यदि तुम किसी का उपकार करो, तो लोग उसे कोई महत्व नहीं देंगे। किन्तु ज्यों ही तुम उस कार्य को बंद कर दोगे, वे तुरन्त तुम्हें बदमाश प्रमाणित करने में नहीं हिचकिचायेंगे।
भिखारियों को लूट कर या चीटियों का शिकार करके क्या लाभ हो सकता है। अतः यदि प्रेम करना है तो ईश्वर से करो इन सांसारिक वस्तुओं की परवाह कौन करता है। यह संसार मिथ्या है।
मनुष्य के चरित्र का नियमन करने वाली 2 चीजें होती हैं – बल और दया। बल का प्रयोग सदैव हम सभी शक्तियां और सुविधाओं और स्वास्थ्य उपयोग करने के लिए करते हैं। दया दैवीय संपत्ति है।
जब कभी भारत के सच्चे इतिहास का पता लगाया जायेगा। तब यह संदेश प्रमाणित होगा कि धर्म के समान ही विज्ञान, संगीत, साहित्य, गणित, कला आदि में भी भारत समग्र संसार का आदि गुरु रहा है।
मनुष्य जैसे जैसे उन्नति करता है। विवेक और प्रेम उसके जीवन के आदर्श बनते जाते हैं। उसकी इन बातों का जैसे जैसे विकास होता है वैसे ही उसके इंद्रिय विषयों में आनंद करने की शक्ति क्षीण होती जाती है।
किसी की निंदा ना करें। अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ज़रुर बढाएं। अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये।
कानून मकड़जाल की तरह होता है। जब कोई कमजोर और बीमार फंसता है तो मारा जाता है। जबकि शक्तिशाली और बलवान जाल तोड़कर भाग जाता है। कानून मौत की तरह होना चाहिए जो किसी को ना बक्शे।
तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना है। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही है। आपकी अपनी आत्मा के अलावा कोई दूसरा आध्यात्मिक गुरु नहीं है।
एक रास्ता खोजो। उस पर विचार करो। विचार को जीवन बना लो। उसके बारे में सोचो। सपना देखो, जियो। मस्तिष्क, मांसपेशियों, शरीर के प्रत्येक भाग को उस विचार से भर दो। सफलता का यही रास्ता है।
सौंदर्य और यौवन का नाश हो जाता है। जीवन और धन का नाश हो जाता है। नाम और यश का विनाश हो जाता है। पर्वत भी चूर चूर होकर मिट्टी हो जाते हैं। मित्रता और प्रेम ही नश्वर है। एक मात्र सत्य ही चिरस्थाई है।
तुम मुझे पसंद करो या मुझसे नफरत, दोनो ही मेरे पक्ष में हैं। क्योंकि अगर तुम मुझको पसंद करते हो तो मैं आपके दिल में हूँ और अगर तुम मुझ से नफरत करते हो तो मैं आपके दिमाग में हूं। पर रहूंगा आप के पास ही।
बाहर की दुनिया बिलकुल वैसी है, जैसा कि हम अंदर से सोचते हैं। हमारे विचार ही चीजों को सुंदर और बदसूरत बनाते हैं। पूरा संसार हमारे अंदर समाया हुआ है, बस जरूरत है चीजों को सही रोशनी में रखकर देखने की।
जहां दुर्बलता और जड़ता है, वहां क्षमा का कोई मूल्य नहीं, वहां युद्ध ही श्रेयस्कर है। जब तुम यह समझो कि सरलता से तुम विजय प्राप्त कर सकते हो, तभी क्षमा करना। संसार युद्ध क्षेत्र है। युद्ध करके ही अपना मार्ग साफ करो।