विजया एकादशी के बारे में जानकारी Vijaya Ekadashi Information In Hindi

Vijaya Ekadashi Information In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम विजया एकादशी के बारे में जानकारी लेने वाले हैं । फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता हैं । मान्यता हैं की इस एकादशी का व्रत करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती हैं । शास्त्रों में लिखा है की विजया एकादशी का व्रत करने से अन्नदान , गौदान , स्वर्णदान , भूमिदान से अधिक फलों की प्राप्ती होती हैं । यह व्रत करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ती होती हैं । पद्मपुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को विजया एकादशी की महिमा बताते हुए कहा की इस महापुण्यदायक व्रत को करने से व्यक्ती को वाजपेय यज्ञ का फल मिलता हैं , शत्रु परास्त होते हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ती होती हैं । प्राचीन काल में बहोत राजे महाराजे इस व्रत के प्रभाव से अपनी निश्चित हार को जीत में बदल चुके हैं ।

Vijaya Ekadashi Information In Hindi

विजया एकादशी के बारे में जानकारी Vijaya Ekadashi Information In Hindi

विजया एकादशी पूजा विधि –

विजया एकादशी का व्रत करने के लिए सुबह जल्दी उठे और स्नान करें । इसके बाद घर के मंदिर में दीप लगाये । दीप लगाने के बाद भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें ‌। इसके बाद भगवान विष्णु को तुलसी दल और पुष्प अर्पित करें । आप इस दिन व्रत भी कर सकते हैं ‌। इस दिन भगवान की आरती करें ।

आरती करने के बाद भगवान को भोग लगाये । इस बात का आपको विशेष ध्यान रखना हैं की भगवान को सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता हैं । भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें । ऐसी मान्यता हैं की भगवान विष्णु बिना तुलसी के भोग ग्रहण नहीं करते । इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करें ।

इस दिन भगवान का ज्यादा से ज्यादा ध्यान करें ।  इस दिन भगवान विष्णु की आरती करें । रात के समय आप भजन – किर्तन करते हुए जागरण कर सकते हैं । एकादशी के दुसरे दिन सुबह स्नान करें । स्नान करने के बाद पूजा करें और ब्राम्हण को भोजन कराएं और दक्षिणा दें । इसके बाद स्वयं भोजन करें और व्रत का पारण करें ।

विजया एकादशी की कथा –

कथा के अनुसार त्रेतायुग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्रजीको जब चौदह वर्ष का वनवास हो गया , तब वे माता सीता और लक्ष्मणजी के साथ पंचवटी में निवास करने लगे । वहां पर रावण ने माता सीता का हरण किया ‌। तब यह समाचार सुनकर भगवान राम और लक्ष्मण बहोत व्याकुल हो गये और माता सीता को ढूंढने के लिए निकल गये । हनुमान ने माता सीता का पता लगाया ।

तब भगवान राम वानर सेना के साथ समुद्र तट पर आ गये और विशाल समुद्र को पार करने की युक्ती सोचने लगे । तब लक्ष्मण ने कहा की हे प्रभु ! यहां से कुछ देरी वकदालभ्य ऋषि रहते हैं , आप उनके पास जाकर समुद्र पार करने का उपाय पूछे । तब भगवान श्रीराम वकदालभ्य ऋषि के पास गए और उनको प्रणाम करके लंका विजय के लिए समुद्र पार करने का उपाय पूछा ।

तब वकदालभ्य ऋषि ने कहा की यह व्रत करने से आपको विजय प्राप्त होगी और आप वानर सेना के साथ समुद्र भी पार कर लेंगे । इसके बाद वकदालभ्य ऋषि ने भगवान श्रीराम को विजया एकादशी व्रत की पूरी विधि बताई । उन्होंने कहा की आपको अपने सभी सेनापतियों के साथ इस व्रत को विधिपूर्वक करना चाहिए । आपको विजय अवश्य प्राप्त होगी ।

कदालभ्य ऋषि के बताने के अनुसार , भगवान श्रीराम ने अपने सेनापतियों के साथ विजया एकादशी का व्रत विधिपूर्वक किया । यह व्रत करने के बाद इस व्रत के प्रभाव से वानर सेना ने समुद्र पार किया और भगवान श्रीराम को लंका पर विजय प्राप्त हुई ।

तब श्रीकृष्ण ने कहा की , हे धर्मराज ! जो व्यक्ती इस व्रत को करता हैं , उसे अपने लक्ष्य में सफलता प्राप्त होती हैं , शत्रु पर विजय मिलती हैं । जो भी व्यक्ती इस व्रत के महात्म्य को सुनता हैं उसे भी वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता हैं ।

विजया एकादशी व्रत के लाभ –

विजया एकादशी के व्रत को हिंदू धर्म में सबसे फलदायी व्रतों में से एक माना जाता हैं । इस एकादशी के व्रत से आपको समृद्धी , शांती और सद्भाव मिल सकता हैं । यह व्रत करने से भक्त मन के शांती के साथ शत्रुओं और कठिनाईयों पर विजय और समृद्धी प्राप्त कर सकते हैं ।

जो मनुष्य विजया एकादशी की व्रत कथा को पढ़ता है या सुनता हैं उसे अंत में स्वर्ग की प्राप्ती होती हैं । विजया एकादशी व्रत करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं । ब्रम्हा जी ने बताया हैं की विजया एकादशी व्रत करने से व्यक्ती के समस्त पाप मिट जाते हैं ।

विजया एकादशी के दिन क्या करना चाहिए –

1 ) विजया एकादशी के दिन दान अवश्य करना चाहिए ।

2 ) विजया एकादशी के दिन गंगा में स्नान करना भी शुभ माना जाता हैं ।

3 ) अगर आप जल्दी विवाह करने चाहते हैं तो एकादशी के दिन केसर या हल्दी का दान करें ।

4 ) इस दिन किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ती को भोजन करवाएं ।

विजया एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए –

1 ) एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए ।

2 ) एकादशी के दिन भुलकर भी जुआ नहीं खेलना चाहिए ।

3 ) इस दिन रात को सोना नहीं चाहिए ।

4 ) इस दिन भुलकर भी चोरी नहीं करनी चाहिए ।

5 ) इस दिन किसी भी व्यक्ती से बात करते वक्त कठोर शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।

6 ) इस दिन क्रोध करने से और झूठ बोलने से बचना चाहिए ।

इस पोस्ट में हमने विजया एकादशी के बारे में जानकारी ली । हमारी पोस्ट शेयर जरुर किजीए । धन्यवाद !

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विजया एकादशी का महत्व क्या है?

भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को इस व्रत का महत्व बताते हुए कहा कि विजय प्राप्त करने के लिए इस व्रत को किया जाता है। भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए विजया एकादशी का व्रत रखा था और इसी कारण रावण से युद्ध करने में राम को विजय प्राप्त हुई थी।


विजया एकादशी कैसे करते हैं?

विजया एकादशी का व्रत करने के लिए प्रात:काल तन और मन से शुद्ध होकर सूर्य नारायण को जल देना चाहिए. इसके बाद एकादशी व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प लेते हुए भगवान विष्णु की फोटो या मूर्ति को किसी चौकी में पीले कपड़ा बिछाकर ईशान कोण में रखकर पूजा करनी चाहिए.


विजया एकादशी पर क्या करें?

बाद भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्ति रखें और फिर उन पर गंगाजल छिड़कें। रोटी और चावल का तिलक लगाएं और फिर आरती करें

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