Utpanna Ekadashi Information In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम उत्पन्ना एकादशी के बारे में जानकारी लेने वाले हैं । मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता हैं । इस एकादशी को बहोत पवित्र माना जाता हैं । मान्यता के अनुसार , इस दिन एकादशी माता ने मुर राक्षस का वध किया था । मान्यता है की एकादशी माता का जन्म भगवान विष्णु से हुआ था । मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष एकादशी के दिन एकादशी माता प्रकट हुई । इसलिए इस एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा । उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ती होती हैं ।
उत्पन्ना एकादशी के बारे में जानकारी Utpanna Ekadashi Information In Hindi
उत्पन्ना एकादशी व्रत विधि –
उत्पन्ना एकादशी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करें । इसके बाद स्वच्छ कपड़े पहनें और घर के मंदिर में दीप लगाए । इसके बाद भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें । भगवान विष्णु को तुलसी और पुष्प अर्पित करें । अगर आप कर सकते हैं तो इस दिन व्रत भी करें ।
उत्पन्ना एकादशी के दिन उत्पन्ना एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें और भगवान की आरती करें । आरती करने के बाद भगवान को भोग लगाएं । इस बात का विशेष ध्यान रखें की भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाएं । ऐसा माना जाता हैं की भगवान विष्णु बिना तुलसी के भोजन ग्रहण नहीं करते ।
इसलिए भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए । इस दिन भगवान का ज्यादा से ज्यादा ध्यान करें । रात के समय अगर आप करना चाहते हैं तो भगवान के सामने भजन – किर्तन भी कर सकते हैं । अगले दिन सुर्योदय के बाद व्रत खोलें और सात्विक भोजन करें ।
उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा –
सतयुग के समय की बात हैं । उस समय में मुर नाम का एक महापराक्रमी और अत्याचारी दैत्य था । उसने मृत्युलोक पर विजय प्राप्त की और स्वर्गलोक पर अपना अधिपत्य स्थापित कर दिया । मुर ने सभी देवताओं को पराजित किया और स्वर्ग से निष्काषित कर दिया । मुर अपने असुरों के साथ स्वर्गलोक पर राज्य करने लगा और देवताओं को स्वर्गलोक से खदेड़ दिया । इसके बाद सभी देव ” देवों के देव ” महादेव के पास मदद मांगने के लिए गए ।
देवराज इंद्र ने भगवान शिव से कहा की – ” हे प्रभु ! हम देवताओं को मुर दैत्य से बचाइए । हम सब पर कृपा किजिए । मुर दानव ने मृत्युलोक के साथ साथ स्वर्गलोक पर भी अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया है और हमे पराजित करके उसने हमें स्वर्गलोक से निष्काषित कर दिया है । ”
भगवान शिव ने कहा की – ” हे इंद्रदेव ! आप सभी की भगवान विष्णु ही कर सकते हैं । इस सृष्टी के संरक्षण का कार्य भगवान विष्णु के पास हैं । वहीं इस सृष्टी के प्राणियों की रक्षा कर सकते हैं । आप उनके पास जाइये । वे आपकी अवश्य ही सहायता करेंगे । ” ऐसा कहकर भगवान शिव ने देवताओं को आशीर्वाद दिया और देवता भी भगवान शिव को प्रणाम करके वहां से भगवान विष्णु के पास चले गए ।
देवतागण भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उन्हें नमन किया । भगवान विष्णु ने देवताओं को उनके आने का कारण पूछा । इंद्रदेव ने भगवान विष्णु को सारी बात बता दी और उनसे देवताओं की रक्षा करने के लिए प्रार्थना की । भगवान विष्णु ने देवताओं को उनकी रक्षा करने का वचन दिया ।
भगवान विष्णु ने मुर के सैंकड़ों दैत्यों का संहार किया । दैत्यों का संहार करने के बाद भगवान विष्णु बद्रिकाश्रम की 12 योजन लंबी सिंहावती गुफा में विश्राम करने के लिए गए । यह सब भगवान विष्णु की लीला थी । जब दैत्यराज मुर को भगवान विष्णु जी सिंहावती गुफा में होने का पता चला तब मुर उनसे युद्ध करने के लिए सिंहावती गुफा में चला गया ।
मुर दानव ने भगवान विष्णु को सिंहावती गुफा में योगनिद्रा में देखा । मुर दानव ने सोचा की यह अच्छा समय में भगवान विष्णु को मारने के लिए और वह अपने अस्त्र – शस्त्रों से भगवान विष्णु पर हमला करने का सोचा ।
जैसे ही मुर दानव भगवान विष्णु पर हमला करने वाला था , भगवान विष्णु के दिव्य शरीर से एक दिव्य स्त्री उत्पन्न हुई । वह स्त्री बहोत सुंदर और अस्त्र – शस्त्रों से युक्त थी । उस दिव्य स्त्री ने हुंकार भरते ही अपना प्रचंड रूप धारण किया और मुर दानव का वध किया । मुर दानव का सर धड़ से अलग हो गया ।
जैसे ही मुर दानव का वध हुआ , भगवान विष्णु योगनिद्रा से उठ गए और उन्होंने उस स्त्री से पूछा की इस दुष्ट का वध किसने किया । इसके बाद उस दिव्य स्त्री ने भगवान विष्णु को सारी बात बताई । भगवान विष्णु पहले से ही सब जानते थे क्योंकी ईश्वर को सब पता होता हैं । यह बस उनकी लीला थी ।
भगवान विष्णु के शरीर से जो दिव्य माता उत्पन्न हुई थी वह माता एकादशी थी । यह लीला भगवान ने माता एकादशी को अपने शरीर से उत्पन्न करने के लिए रची थी । भगवान विष्णु एकादशी माता से प्रसन्न हो गए और उन्होंने एकादशी माता से प्रसन्न होकर उनसे वरदान मांगने के लिए कहां ।
एकादशी माता ने भगवान विष्णु से कहा की – ” हे प्रभु ! मुझे ऐसा वरदान प्रदान करें कि जो व्यक्ती इस दिन शुद्ध मन से आपके लिए समर्पित व्रत का पालन करेगा , उसका आप कल्याण करेंगे । इसके पापों का नाश होगा और उसे स्वर्ग लोक की प्राप्ती होगी । भगवान विष्णु ने माता एकादशी को ” तथास्तु ” कहकर वरदान प्रदान किया ।
यह वहीं दिन हैं जिस दिन माता एकादशी उत्पन्न हुई और इसी दिन को पहली एकादशी के रूप में मनाया जाता हैं । इस दिन से हिंदू लोग एकादशी के व्रत का आरंभ करते हैं । उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से और कथा सुनने से मनुष्य के सभी पापों का नाश होता हैं और मृत्यु के बाद मनुष्य को स्वर्ग लोक प्राप्त होता हैं ।
उत्पन्ना एकादशी के दिन क्या करें –
1 ) उत्पन्ना एकादशी के दिन पहले भगवान विष्णु को अर्घ्य दें । अर्घ्य सिर्फ हल्दी मिले हुए जल से देना चाहिए । दूध और रोली का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
2 ) एकादशी को प्रात:काल में श्री कृष्ण की पूजा करें ।
3 ) इस व्रत में सिर्फ फलों का ही भोग लगाया जाता हैं ।
4 ) इस दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को दान करना चाहिए ।
उत्पन्ना एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए –
1 ) इस व्रत में दशमी को रात में भोजन नहीं करना चाहिए ।
2 ) इस दिन अपशब्दों का उपयोग नहीं करना चाहिए ।
3 ) इस दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए ।
4 ) इस दिन मांस – मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए ।
इस पोस्ट में हमने उत्पन्ना एकादशी के बारे में जानकारी ली । हमारी यह पोस्ट शेयर जरूर किजीए । धन्यवाद !