Somvati Amavasya Information In Hindi हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या बहोत महत्वपूर्ण होती हैं । सोमवती अमावस्या वर्ष में एक या दो बार होती हैं । जो अमावस्या सोमवार को आती हैं उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता हैं । सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित हैं । इसलिए इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती हैं ।
सोमवती अमावस्या त्यौहार कि पूरी जानकारी Somvati Amavasya Information In Hindi
सोमवती अमावस्या के दिन सुहागिन महिला अपने पती के दिर्घायु के लिए व्रत रखती हैं । इस दिन महिलाएं तुलसी की परीक्रमा करती हैं और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं । पुराणों में ऐसा वर्णन किया हुआ हैं की इस दिन मौन व्रत रखने से सहस्त्र गोदान का फल मिलता हैं ।
सोमवती अमावस्या की कथा –
सोमवती अमावस्या के दिन सोमवती अमावस्या की कथा सुनी जाती हैं । एक ब्राम्हण परिवार था । वह बहोत गरीब थे । परिवार में पति , पत्नी और उनकी एक पुत्री रहती थी । उनकी पुत्री बड़ी होने लगी । लड़की सुंदर और गुणवान थी । वह लोग गरीब थे । इसलिए उसका विवाह नहीं हो रहा था । एक दिन उनके घर साधु आये । साधु ने कहा की पुत्री के हाथ में विवाह योग्य रेखा नहीं हैं । पुत्री के माता पिता ने पुछा की हम ऐसा क्या करे जिससे उसके हाथ में विवाह योग बन जाए ।
साधु ने विचार करके कहा की इधर से थोड़ी दूरी पर एक गाव में धूबी जाती की महिला अपने बेटे और बहू के साथ रहती हैं । यदि यह कन्या ने उसकी सेवा की और उस महिला में इसके शादी में अपने मांग का सिंदूर लगा दिया तो इसके बाद इस कन्या का विवाह होकर वैधव्य योग मिट सकता हैं । इसके बाद ब्राम्हणी ने अपने पुत्री से उस महिला की सेवा करने की बात की ।
अगले दिन कन्या सुबह जल्दी उठ गई और उस महिला के घर जाकर साफ – सफाई और अन्य काम करके घर वापस आ गई। एक दिन महिला ने अपनी बहू से पूछा की तुम सुबह उठकर सारे काम करती हो और मुझे पता भी नहीं चलता । बहू ने कहा की मैं तो देर से उठती हूं । मूझे लगा की आप सारे काम करती हो । इसके बाद वह महिला और उसकी बहू निगरानी करने लगे की कौन इतने जल्दी घर में सारा काम करता हैं । कुछ दिन बाद महिलाने देखा की एक कन्या अंधेरे में घर आकर सारा काम करके जाती हैं।
एक दिन वह जा रही थी तब वह महिला उसके पैरों पर गिर पड़ी और उसने पूछा की तुम कौन हो और छूपकर मेरे घर के काम क्यों करती हो । तब कन्या ने उस महिला को साधु द्वारा बताई गई सारी बाते बताई । यह बात सूनकर वह महिला तैयार हो गई । उस महिला के पती थोड़े अस्वस्थ थे । महिला ने अपने बहू को लौट आने तक घर पर ही रहने को कहा ।
उस महिलाने जैसे ही अपने मांग का सिंदूर उस महिला के मांग में लगाया वैसे ही उस महिला का पती मर गया । उसे इस बात का पता चल गया । वह घर से बिना पानी पिए ही गई थी । उसने ऐसा सोचा था की रास्ते में कही पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसे भंवरी देकर और परीक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी । उस दिन सोमवती अमावस्या थी ।
ब्राम्हण के घर मिले पूए – पकवान की जगह उसने ईंट के तुकडों से 108 बार भंवरी देकर 108 बार पिपल के पेड़ की परिक्रमा की और उसके बाद जल ग्रहण किया । ऐसे करने के बाद उसके पती के शरीर में जान आ गई । वह जीवित हो गया । इसलिए सोमवती अमावस्या के दिन से जो व्यक्ती हर अमावस्या के दिन भंवरी देता हैं उसके सुख और सौभाग्य में वृद्धी होती हैं ।
सोमवती अमावस्या का महत्व –
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवती अमावस्या का दिन महत्त्वपूर्ण होता है । इस दिन गंगा नदी में या गंगा जल पानी में मिलाकर स्नान करना शुभ माना जाता हैं । इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से मनोकामना पूरी होती हैं । इस दिन पितरों का तर्पण करने से विशेष आशिर्वाद प्राप्त होता हैं और जीवन में सुख – समृद्धी की प्राप्ती होती हैं ।
सोमवती अमावस्या के दिन क्या करें –
सोमवती अमावस्या के दिन सुहागन महिला व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती से आशीर्वाद प्राप्त करती हैं । इस दिन चित्त स्थिर रखकर एकाग्र मन से व्रत करना चाहिए । इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए । इस दिन जल्दी उठना चाहिए । इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए । इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे दिया लगाने से परिवार में खुशहाली रहती हैं ।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करें । इस दिन जरुरतमंद लोगों को दान देना चाहिए । इस दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा में स्नान करना शुभ होता हैं । आपके घर के पास गंगा नदी नही हो तो नहाते समय पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना भी शुभ माना जाता हैं । इस दिन भगवान गणेश की पूजा करना भी अच्छा होता हैं । सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी की परिक्रमा करनी चाहिए ।
सोमवती अमावस्या के दिन क्या न करे –
सोमवती अमावस्या के दिन देर तक सोना नहीं चाहिए । इस दिन बड़े व्यक्ती का अपमान नहीं करना चाहिए । इस दिन मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए । इस दिन बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए । इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं । लेकिन पूजा के दौरान पेड़ को छूना अशुभ होता हैं । सोमवती अमावस्या के दिन व्रत रखने के बाद तकिया का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए । इसमें रूई का उपयोग होता हैं । ऐसा माना जाता हैं की सोमवती अमावस्या के दिन रूई को स्पर्श नहीं करना चाहिए ।
सोमवती अमावस्या के व्रतियों के लिए सुई का इस्तेमाल वर्जित हैं । इसलिए इस दिन सुई का उपयोग नहीं करना चाहिए । इस दिन दोपहर में सोना नहीं चाहिए । इस दिन श्रृंगार नहीं करना चाहिए । इस दिन शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए । इस दिन लहसुन और प्याज नहीं खाना चाहिए । इस दिन घर में कलह ना करें ।
यह लेख अवश्य पढ़े –
सोमवती अमावस्या पर्व क्यों मनाया जाता है?
सोमवती अमावस्या का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है.
सोमवती अमावस्या का क्या मतलब है?
श्रावण मास में पड़ने वाली अमावस्या
सोमवती अमावस्या के दिन किसकी पूजा की जाती है?
श्रावण मास के पवित्र महीने में सोमवती अमावस्या एक महत्वपूर्ण पर्व है. इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए विशेष महत्व होता है और इसका व्रत अत्यंत पवित्र माना जाता है. इस अमावस्या को मां तुलसी और भगवान विष्णु का आराधना और पूजन करके अपनी मनोकामनाएं पूरी की जा सकती हैं.
सोमवती अमावस्या करने से क्या फायदा होता है?
विवाहित स्त्रियों द्वारा इस दिन अपने पतियों के दीर्घायु कामना के लिए व्रत का विधान है। इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल मिलता है।