पौष पुत्रदा व्रत के बारे में जानकारी Paush Putrada Vrat Information In Hindi

Paush Putrada Vrat Information In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम पौष पुत्रदा व्रत के बारे में जानकारी लेने वाले हैं । पौष पुत्रदा व्रत हर साल पौष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथी को किया जाता हैं । इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती हैं । पुत्र‌ की कामना करने वाली महिला को यह व्रत करना चाहिए । ऐसी मान्यता हैं की यह व्रत करने से वैवाहिक दंपतीयों को संतान प्राप्ती होती हैं । यह व्रत करने से संतान पर आने वाले सभी कष्ट दूर हो जाते हैं । इसलिए इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी इस नाम से जाना जाता हैं । इस एकादशी को वैकुण्ठ एकादशी और मुक्कोटी एकादशी इन नामों से जाना जाता हैं ।

Paush Putrada Vrat Information In Hindi

पौष पुत्रदा व्रत के बारे में जानकारी Paush Putrada Vrat Information In Hindi

पुत्रदा एकादशी पूजा विधी –

पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान करना चाहिए ‌। इसके बाद घर के मंदिर में दीप लगाना चाहिए । इसके बाद भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें । इसके बाद भगवान विष्णु को फूल और तुलसी दल अर्पित करने चाहिए । इसके बाद भगवान विष्णु की आरती करें । इसके बाद भगवान विष्णु को भोग लगाये । भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करना चाहिए ।

ऐसी मान्यता हैं की बिना तुलसी से भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते । इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए । इस दिन भगवान विष्णु का ज्यादा से ज्यादा जाप करना चाहिए । इस दिन रात के समय भजन और किर्तन करना चाहिए । इस दिन परिवार में भगवद गीता जरूर लानी चाहिए । इस दिन सभी लोग मिलकर भगवदगीता जरूर पढ़ें । इस दिन ब्राम्हण और गरीबों को दान करना चाहिए और भोजन करवाना चाहिए । इस दिन आप कर सकते हो तो 10 लोगों में भगवदगीता को वितरित करें ।

पौष पुत्रदा एकादशी के दिन इन मंत्रों का जाप करना चाहिए –

1 ) ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

2 ) ॐ विष्णवे नमः

3 ) श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा

4 ) ॐ नमो नारायण

पौष पुत्रदा व्रत की कथा –

पौष पुत्रदा एकादशी की श्रीकृष्ण ने एक कथा सुनाई हैं । एक भद्रावती नाम की नगरी थी । इस नगरी में सुकेतुमान नाम का राजा राज्य करता था । इस राजा को कोई पुत्र नहीं था । इसकी पत्नी का नाम शैव्या था ‌। इनको कोई संतान नहीं थी । इसके कारण राजा दुखी रहता था । उसके मन में हमेशा विचार आता था की अगर मैं मर गया तो मेरा पिंडदान कौन करेगा और मेरे पितरों का कर्ज में कैसे चुका सकूंगा ‌। इसलिए उन्होंने पुत्रप्राप्ती के लिए जतन करने शुरू कर दिये ।

एक बार राजा ने आत्महत्या करने के बारे में सोचा । लेकिन उसे पाप मानकर वह नहीं कर सका और वह जंगलों की ओर निकल पड़ा जहां उसने अनेक पशु पक्षियों को देखा । वो अपने बच्चों के साथ घूम रहे थे । इसके बाद वह सोचने लगा की मैंने इतने यज्ञ किये और ब्राम्हण देवों को भोजन करवाया लेकिन फिर भी मुझे ये दुख क्यों भगवान ! चलते – चलते राजा को बहोत प्यास लगी और वह एक सरोवर के किनारे गया । उधर उसने पानी पिया और देखा की वहां मूनियों की कुटिया बनी हुई हैं ।

राजा के दाहिने अंग फड़कने लगे और राजा ने मुनियों को दंडवत प्रणाम किया । इसके बाद मुनी प्रसन्न हो गये और उन्होंने राजा को कुछ मांगने को कहा । राजा ने मुनियों से पुछा की आप कौन हैं महाराज और यहां आप किस कारण आये हैं । इसके बाद मुनी ने जवाब दिया की हम विश्वदेव हैं । आज पुत्रदा एकादशी हैं हम सरोवर में स्नान करने आये हैं । राजा ने बोला की हे महाराज मुझे भी कोई संतान नहीं हैं । कृपया आप मुझे संतान का सुख दे ।

इसके बाद मुनी ने जवाब दिया की – हे राजन ! आज पुत्रदा एकादशी हैं । आप अवश्य इसका व्रत करें । भगवान की कृपा से अवश्य ही आपके घर में पुत्र होगा । यह बात सुनकर राजा ने उस दिन पुत्रदा एकादशी का व्रत किया और द्वादशी को उसका पारण किया और मुनियों को प्रणाम करके वह वापस महल में आ गये । इसके कुछ दिन बाद राजा के पत्नी को गर्भधारणा हुई और उसने यशस्वी राजकुमार को जन्म दिया ।

पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व और लाभ –

एक बार धर्मराज ने श्रीकृष्ण से पुछा की – भगवान मुझे पौष माह में आने वाली शुक्ल एकादशी के बारे में पूजन विधि और किस देवता को पूजा जाता हैं विधानपूर्वक बताइए । इसके बाद श्रीकृष्ण ने जवाब दिया की पौष माह में आने वाली शुक्ल एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता हैं।

इसमें भगवान श्री नारायण की पूजा की जाती है । यदी यह पूजा सही तरीके से की जाए तो इस चर और अचर संसार में पुत्रदा एकादशी के व्रत के समान दूसरा कोई व्रत नहीं हैं । इसके पुण्य से मनुष्य तपस्वी , विद्वान और लक्ष्मीवान होता हैं ।

एकादशी की आरती –

ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।

विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।।ॐ।।

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।

गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।

शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।।ॐ।।

पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,

शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।।ॐ ।।

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।

शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।।ॐ ।।

विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,

पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।।ॐ ।।

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,

नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।।ॐ ।।

शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,

नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।।ॐ ।।

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।

देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।।ॐ ।।

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।

श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।।ॐ ।।

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।

इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।।ॐ ।।

पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।

रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।।ॐ ।।

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।

पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।।ॐ ।।

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।

शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।।ॐ ।।

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।

जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।।ॐ ।।

इस पोस्ट में हमने पौष पुत्रदा व्रत के बारे में जानकारी ली । हमारी पोस्ट शेयर जरुर किजीए ।

धन्यवाद !

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पुत्रदा एकादशी व्रत कैसे रखते हैं?

पुत्रदा एकादशी के दिन व्रती को सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनने चाहिए. इसके बाद पूजाघर में दीप जलाकर व्रत का संकल्प लें और अब पूजा की तैयारी शुरू करें. पूजा के लिए विष्णु भगवान की प्रतिमा या फोटो एक लकड़ी की चौकी के ऊपर स्थापित करें.

पुत्रदा एकादशी करने से क्या फल मिलता है?

मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को संतान सुख की प्राप्ति होती है और साथ ही बच्चे की उन्नति का लाभ भी मिलता है। कहते हैं कि जो भी ये व्रत रखता है उसके संतान पर आने वाले सारे संकट भी टल जाते हैं।


पुत्रदा एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए?

एकादशी व्रत में शकरकंद, कुट्टू, आलू, साबूदाना, नारियल, काली मिर्च, सेंधा नमक, दूध, बादाम, अदरक, चीनी आदि पदार्थ खाने में शामिल कर सकते हैं। * एकादशी का उपवास रखने वालों को दशमी के दिन मांस, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल आदि निषेध वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। * एकादशी के दिन प्रात: लकड़ी का दातुन न करें।

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