Papamochini Ekadashi Information In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम पापमोचिनी एकादशी के बारे में जानकारी लेने वाले हैं । चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचिनी एकादशी कहा जाता हैं । पापमोचिनी एकादशी का अर्थ हैं पाप को नष्ट करने वाली एकादशी । पापमोचिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से और व्रत रखने से वह प्रसन्न होते हैं और पाप मिट जाते हैं । यह व्रत करने से जीवन में आ रही उतार – चढ़ाव से छुटकारा मिल जाता हैं ।
पापमोचिनी एकादशी के बारे में जानकारी Papamochini Ekadashi Information In Hindi
पापमोचिनी एकादशी पूजा विधि –
आपको एकादशी के एक दिन पहले सुर्यास्त से पहले ही भोजन कर लेना चाहिए । इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहने । इसके बाद घर के मंदिर में दिप जलाए और मन में एकादशी का व्रत करने का संकल्प लें । इसके बाद षोडशोपचार सहित भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए । इसके बाद भगवान विष्णु के सामने धूप – दिप जलाएं और आरती करें । इसके बाद व्रत की कथा पढ़ें । इसके बाद आप जितना कर सकते हो उतना ‘ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ‘ इस मंत्र का जप करें ।
इस दिन घर में विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए । यह कई गुणा फल देता हैं । इस दिन रात को आप भगवान के सामने भजन – किर्तन का आयोजन भी कर सकते हैं । दूसरे दिन द्वादशी को सुबह पूजन के बाद ब्राम्हण या गरीबों को भोजन कराएं और दान – दक्षिणा दें । इसके बाद स्वयं भोजन करें और व्रत का पारण करें ।
पापमोचिनी एकादशी व्रत कथा –
पापमोचिनी एकादशी के महिमा के बारे में स्वयं भगवान कृष्ण ने अर्जुन को बताया था । भगवान कृष्ण ने व्रत की कथा सुनाते हुए कहा , एक बार राजा मान्धाता ने लोमश ऋषि से जब पूछा की प्रभु यह बात बताएं की मनुष्य जो जाने अनजाने में पाप कर्म करता हैं उससे कैसे मुक्त हो सकता हैं ? तब लोमश ऋषि ने उन्हें एक कहानी सुनाई की चैत्ररथ वन में च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी ऋषि तपस्या में लीन थे ।
तभी वहां पर मंजुघोषा नाम की एक अप्सरा आई । वह अप्सरा ऋषि पर मोहित हो गई और उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने के लिए प्रयत्न करने लगी । उस वक्त कामदेव भी वहां से जा रहे थे । उनकी नजर उस अप्सरा पर गई और उसकी मनोस्थिती समझते हुए उन्होंने उसकी सहायता की । जिससे अप्सरा अपने प्रयास में सफल हो गई और ऋषि कामपीड़ीत हो गए ।
इसके बाद ऋषि शिव की तपस्या भुलकर अप्सरा के साथ रमण करने लगे । कई सालों के बाद उन्हें अपने भुल का एहसास हुआ और उन्हें खुद पर ग्लानि आने लगी । उन्हें अपना क्रोध भंग करने के लिए अप्सरा पर क्रोध आ गया । उन्होंने अप्सरा को पिशाचनी होने का श्राप दिया । अप्सरा इस बात से बहोत दुखी हो गई और श्राप से मुक्ती के लिए प्रार्थना करने लगी ।
उस समय देवर्षि नारद वहां आए और उन्होंने अप्सरा और ऋषि दोनों को पाप से मुक्ती के लिए पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने की सलाह दी । जैसे नारद ने कहा उस तरह से दोनों ने पापमोचिनी एकादशी का व्रत किया । इस व्रत के प्रभाव से दोनों भी पापमुक्त हो गए । अप्सरा पिशाच योनि से मुक्त हो गई और अपना सौंदर्य फिरसे प्राप्त करने के लिए स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर गई ।
पापमोचिनी एकादशी का महत्व –
पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सभी पाप मिट जाते हैं । यह व्रत बहोत पुण्य प्रदान करने वाला व्रत हैं । यह व्रत करने से सहस्र गोदान का फल मिलता हैं । यह व्रत करने से कष्टों का निवारण हो जाता हैं । इस दिन रात को भजन – किर्तन करने से भगवान भक्तों पर कृपा करते हैं । यह व्रत करने वाला व्यक्ती सारे सांसारिक सुख भोगता हैं और अंत में नारायण के धाम वैकुण्ठ को जाता हैं ।
पापमोचिनी एकादशी के दिन क्या करना चाहिए –
1 ) पापमोचिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और इसके बाद तुलसी की माला से ‘ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ‘ इस मंत्र का जाप करें । इससे घर में हमेशा सुख – समृद्धी बनी रहती हैं ।
2 ) इस दिन शाम को भगवत गीता का पाठ करें क्योंकी यह शुभ माना जाता हैं ।
3 ) इस दिन भगवान विष्णु के सामने दिप जलाए और रातभर जलने दे ।
4 ) इस दिन भगवान विष्णु की श्रद्धा के साथ पूजा करें और उन्हें पीले फूल चढ़ाएं ।
5 ) इस दिन आप जितना कर सकते हो उतना दान करें ।
6 ) एकादशी के दिन पीपल के पेड़ में मीठा जल चढ़ाना और शाम के समय पीपल के जड़ में घी का दिप जलाना शुभ माना जाता हैं ।
7 ) भगवान विष्णु को तुलसी बहोत प्रिय हैं । हर घर कू आंगन में तुलसी होती हैं । उसकी पूजा करें और घी का दिप लगाए ।
पापमोचिनी एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए –
1 ) इस दिन बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए ।
2 ) एकादशी के दिन चावल नहीं खाने चाहिए ।
3 ) इस दिन मांस – मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए ।
4 ) एकादशी के दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए और क्रोध का त्याग करना चाहिए ।
5 ) इस दिन लहसुन , प्याज , बैंगन , मसूर की दाल , गोभी , पालक , शलजम इन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए ।
6 ) एकादशी के दिन वृक्ष से पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए और वृक्ष से गिरे हुए पत्ते का उपयोग नहीं करना चाहिए ।
7 ) एकादशी के दिन जौ का सेवन नहीं करना चाहिए ।
8 ) इस दिन किसी का भी बुरा नहीं करना चाहिए और बुरे विचार मन में नहीं लाने चाहिए ।
इस पोस्ट में हमने पापमोचिनी एकादशी के बारे में जानकारी ली । हमारी पोस्ट शेयर जरूर किजीए । धन्यवाद !