(Nathuram Godse Biography In Hindi) 30 जनवरी 1948 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को गोली मारकर सूली पर चढ़ने वाले नाथूराम गोडसे के बारे में कौन नहीं जानता होगा? हालांकि भारतीय समाज में कुछ लोग नाथूराम गोडसे के विचारों का पुरजोर विरोध करते हैं लेकिन हिंदूवादी विचारधारा को मानने वाले इन्हें अपना आदर्श मानते हैं। ऐसे में आज हम आपके लिए नाथूराम गोडसे की जीवनी लेकर आए हैं, जिसे पढ़कर आप नाथूराम गोडसे के जीवन के बारे में जान पाएंगे। इसके साथ ही आपको यह भी ज्ञात हो जाएगा कि नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर गोली क्यों चलाई थी?
महात्मा गांधी का हत्यारा नाथूराम गोडसे का जीवन परिचय Nathuram Godse Biography In Hindi
नाथूराम गोडसे का प्रारंभिक जीवन :-
नाथूराम गोडसे का जन्म 19 मई साल 1910 में महाराष्ट्र राज्य के पुणे जिले के बारामती में एक मराठी चितपावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता विनायक वामनराव गोडसे जोकि एक डाक कर्मचारी थे। इनकी माता का नाम लक्ष्मी था। कहा जाता है कि नाथूराम गोडसे के माता पिता ने इनका लालन पालन एक कन्या की भांति किया था। क्योंकि माना जाता है कि इनके परिवार में पुत्र संतान होने पर वह अधिक समय तक जीवित नहीं रहता है। जिस कारण इनके तीन भाई पैदा होने के कुछ समय बाद ही मृत्यु को प्राप्त हो गए थे।
ऐसे में नाथूराम गोडसे को इस अभिशाप से बचाने के लिए इनके माता पिता ने इनको नाक में नथ पहना दी थी। कहते है यही वजह थी कि इनके असली नाम रामचंद्र को बदलकर नाथूराम गोडसे कर दिया गया था। इनकी आरंभिक शिक्षा अपने ही शहर में हुई थी लेकिन हाईस्कूल में आने के बाद इन्होंने अपनी चाची के साथ पुणे में रहकर पढ़ाई की थी। परन्तु मैट्रिक की परीक्षा में अनुतीर्ण होने के बाद इनका पढ़ाई से नाता पूरी तरह से टूट गया।
हालांकि परिवार में धार्मिक माहौल के चलते नाथूराम गोडसे ने रामायण, महाभारत, श्रीमद् भागवत गीता आदि अनेकों धार्मिक ग्रंथों और पुराणों को कंठस्थ कर लिया था। साथ ही नाथूराम गोडसे कम उम्र में ही स्वामी विवेकानंद, बाल गंगाधर तिलक, स्वामी दयानंद सरस्वती आदि के व्यक्तित्व से भी काफी प्रभावित हो गए थे। जिसके चलते वह आगे चलकर संघ और हिंदूवादी संगठनों से जुड़कर राष्ट्रवादी कार्यों की ओर अग्रसर हो गए। बात की जाएं नाथूराम गोडसे के व्यक्तिगत जीवन की, तो यह सदैव ही महिलाओं और स्त्रियों के संपर्क में आने से बचा करते थे। ऐसे में नाथूराम गोडसे ने शादी नहीं की थी और छोटी ही उम्र में ही राष्ट्रवादी सोच के समर्थक बन गए थे।
नाथूराम गोडसे और उनकी हिंदूवादी विचारधारा
साल 1932 में जब नाथूराम गोडसे केवल 19 वर्ष के थे, तब उन्होंने संघ की सदस्यता ली थी। उसी दौरान उनकी मुलाकात दामोदर सावरकर से हुई थी। जिसके बाद नाथूराम गोडसे ने अपने हिंदूवादी विचारों को प्रसारित करने के लिए अखबारों में कई लेख लिखे। नाथूराम गोडसे ने अग्रणी और हिन्दू राष्ट्र नाम के दो अखबारों में संपादन कार्य भी किया है। साथ ही साल 1940 में जब हैदराबाद निजाम ने हिन्दुओं से जजिया कर वसूलने की घोषणा की थी। उस दौरान नाथूराम गोडसे के नेतृत्व में हिन्दू महासभा के कार्यकर्ताओं ने मोर्चा संभाला था।
जिसका परिणाम यह रहा कि तात्कालिक हैदराबाद निजाम को अपना उपरोक्त निर्णय वापस लेना पड़ा। इसके अलावा नाथूराम गोडसे प्रारंभ से ही गांधी जी की विचारधारा पर विरोध करते थे। उनका मानना था कि गांधी जी हिन्दुओं से अधिक मुस्लिमों के फायदे और संरक्षण की बात किया करते हैं। ऐसे में नाथूराम गोडसे ने सदैव ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आंदोलनों और विचारों का विरोध किया था। साथ ही वह पाकिस्तान के गवर्नर जनरल अली जिन्ना की भी अलगाववादी नीतियों का विरोध किया करते थे। इसके अलावा नाथूराम गोडसे का कहना था कि…..
मेरे जीवन का पहला कर्तव्य हिंदुत्व और हिन्दुओं के लिए है। एक देशभक्त होने के नाते, मैं इस बात को कहना चाहता हूं कि लगभग 30 करोड़ हिंदुओं के हितों की रक्षा करना सम्पूर्ण भारतवर्ष को सुरक्षित रखने के जैसा है। इसलिए मेरा मानना है कि यही विचारधारा हिन्दुस्तान को आज़ादी दिलवा सकती है।
नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को गोली क्यों मारी?
30 जनवरी को जब गांधी जी दिल्ली के बिड़ला हाउस में ठहरे हुए थे कि तभी नाथूराम गोडसे ने उनके सीने पर तीन गोलियां चला दीं। जिससे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मौत हो गई। ऐसे में उस दौरान वहां मौजूद सभी लोग सकते में आ गए लेकिन जब नाथूराम गोडसे से गांधी जी के पुत्र देवदास गांधी ने उनके पिता की हत्या के पीछे का कारण जनाना चाहा। तब नाथूराम गोडसे ने कहा कि उन्होंने गांधी जी को किसी व्यक्तिगत द्वेष के चलते नहीं बल्कि राजनैतिक कारण के चलते मारा है।
हालांकि नाथूराम गोडसे द्वारा गांधी जी की हत्या के पीछे अन्य कई कारण माने जाते हैं। जैसे कि नाथूराम गोडसे गांधी जी की विचारधारा का सदैव ही विरोध करते थे। ऐसे में गांधी जी हिंदी और उर्दू दोनों को ही राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिलवाना चाहते थे, नाथूराम गोडसे इसके भी खिलाफ थे।
वह महात्मा गांधी को तानाशाह समझते थे और उनकी धर्मनिरपेक्ष सोच से बिल्कुल भी इत्तेफाक नहीं रखते थे। इसके अलावा जो सबसे बड़ी वजह थी कि महात्मा गांधी जी ने जब मुस्लिमों के लिए अंतिम उपवास रखा था तब नाथूराम गोडसे ने ठान लिया था कि वह महात्मा गांधी के अस्तित्व को समाप्त कर देंगे। आपको बता दें कि महात्मा गांधी जी की हत्या की योजना अकेले नाथूराम गोडसे ने नहीं बनाई थी बल्कि उनका साथ नारायण आप्टे समेत अन्य छह लोगों ने दिया था।
नाथूराम गोडसे की मृत्यु
महात्मा गांधी को गोली मारने के बाद नाथूराम गोडसे लोगों के विरोध के पात्र बन गए थे। जबकि महात्मा गांधी के दो पुत्रों ने अदालत में इनके पक्ष में काफी दलीलें रखी थी लेकिन महात्मा गांधी जी की साख के आगे उनकी एक ना चली। और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी समेत कई कांग्रेसी दिग्गजों ने इन्हें अंबाला में 15 नवंबर 1949 को फांसी की सजा सुना दी। दूसरी ओर, महात्मा गांधी जी की हत्या के चलते नाथूराम गोडसे की वजह से संघ को उस दौरान प्रतिबंधित कर दिया गया था, क्योंकि कहा जाता है कि नाथूराम अंत समय तक संघ से जुड़े रहे थे।
इसके अलावा नाथूराम गोडसे को जो लोग अपना आदर्श मानते हैं, वह हर साल 30 जनवरी को शहीद दिवस मानते हैं। इतना ही नहीं, नाथूराम गोडसे को सम्मान देने के लिए उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार आदि राज्यों में इनकी मूर्तियां भी बनवाई गई हैं। लेकिन नाथूराम गोडसे और महात्मा गांधी के बिच वैचारिक मतभेद की द्वंद वर्तमान में भी एक जीवंत विषय है।
यह एक गेस्ट पोस्ट जो गुरुकुल 99.कॉम की संस्थापिका अंशिका जौहरी ने लिखी है। इनके ब्लॉग पर धर्म, शिक्षा और प्रेरणादायक जानकारी से सम्बंधित लेख लिखे जाते है।
यह लेख अवश्य पढ़े –
नाथूराम गोडसे का अंतिम बयान क्या था?
गोडसे की अंतिम इच्छा आज भी अधूरी है, जिसमें उन्होंने अपनी राख सिंधु नदी में विर्सजित करने की बात कही थी।
नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को गोली क्यों मारी?
गांधी ने भारत के विभाजन के दौरान भारत के मुसलमानों की राजनीतिक मांगों का समर्थन किया था।
नाथूराम गोडसे ने गांधी जी को कब मारा?
30 जनवरी, 1948
गोडसे को क्या सजा मिली?
फांसी की सजा