नानाजी देशमुख की जीवनी Nanaji Deshmukh Biography In Hindi

Nanaji Deshmukh Biography in Hindi नानाजी देशमुख (चंडिकादास अमृतराव देशमुख) एक भारतीय समाज सेवक और ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ के संस्थापक सदस्य थे। उन्होंने भारत के ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत सरकार ने उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य व ग्रामीण स्वालम्बन के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिये पद्म विभूषण प्रदान किया। 2019 में मरणोपरांत देश का सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया। नानाजी को मुख्यरूप से एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता है। नानाजी ने भारत देश में फैली कुप्रथाओं को ख़त्म करने के लिए अनेक कार्य किये है। नानाजी ने भारत के ग्रामीण क्षेत्र को करीब से देखा था, इसके विकास के लिए उन्होंने अभूतपूर्व काम किये थे।

Nanaji Deshmukh Biography In Hindi

नानाजी देशमुख की जीवनी Nanaji Deshmukh Biography In Hindi

आरम्भिक जीवन :-

नानाजी देशमुख का जन्म 11 अक्टूबर 1916 को महाराष्ट्र के हिंगोली जिले के कडोली नामक छोटे से कस्बे में ब्राह्मण परिवार में हुआ था, नानाजी के पिता का नाम श्री अमृतराव देशमुख तथा माता का नाम श्रीमती राजाबाई अमृतराव देशमुख था। छोटी ही उम्र में उन्होंने अपने माता पिता को खो दिया था और इसी वजह से उनका जीवन अभाव और संघर्षों में बीता। नानाजी का लालन पालन उनके मामा ने किया।

गरीबी और अभाव इतना था की उनके पास शुल्क देने और पुस्तकें खरीदने तक के लिये पैसे नहीं होते थे, लेकिन उनके अंदर शिक्षा ग्रहण करने की उत्कट अभिलाषा थी। पढ़ाई के लिए उन्होंने सब्जी बेचकर पैसे जुटाये, वे मन्दिरों में रहे। हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए वह सीकर गए, सीकर के रावराजा कल्याण सिंह ने उन्हें छात्रवृत्ति दी, पिलानी के बिरला इंस्टीट्यूट से उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की। बाद में उन्नीस सौ तीस के दशक में वे आरएसएस में शामिल हो गये।

शिक्षा (Education) :-

नानाजी को पढ़ने का बहुत शौक था। पैसों की कमी के बावजूद नानाजी की यह इच्छा कम नहीं हुई थी। नानाजी ने खुद मेहनत करके, यहाँ-वहां से पैसे जुटाए और अपनी शिक्षा को जारी रखा था। नानाजी ने हाई स्कूल की पढाई राजस्थान के सिकर जिले से की थी, यहाँ उनको पढाई के लिए छात्रवृत्ति भी मिली थी। इसी समय नानाजी की मुलाकात डॉक्टर हेडगेवार से हुई, जो स्वयंसेवक संघ के संस्थापक भी थे। इन्होने नानाजी को संघ में शामिल होने के लिए प्रेरित किया, और रोजाना शाखा में आने का निमंत्रण भी दिया था।

आर.एस.एस. कार्यकर्ता :-

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के राष्ट्रवादी विचारधारा से उन्हें काफी प्रेरणा मिलती थी, उन्हीं की प्रेरणा से उन्होंने समाज सेवा और सामाजिक गतिविधियों में रुचि लेना शुरू किया। महाराष्ट्र में जन्म लेने के वाबजूद उनकी गतिविधियों का क्षेत्र राजस्थान और उत्तर प्रदेश रहा, समाजसेवा में उनकी रूचि को देखते हुए तत्कालीन आरएसएस प्रमुख एम. एस. गोलवलकर ने उन्हें उत्तर प्रदेश में प्रचारक के रूप में भेजा। उत्तर प्रदेश के आगरा में वे पहली बार दीनदयाल उपाध्याय से मिले, थोड़े दिन बाद वे गोरखपुर गये और लोगों के बीच संघ की विचारधारा को फैलाना शुरू किया। यह कार्य उनके लिए किसी कठिन तपस्या से कम नहीं था, नानाजी के पास दैनिक खर्च के लिए भी पैसे नहीं होते थे।

राजनीतिक जीवन :-

आर. एस. एस से प्रतिबन्ध हटने के बाद राजनीतिक संगठन के रूप में भारतीय जनसंघ की स्थापना करके का फैसला लिया गया, श्री गुरूजी ने नानाजी को उत्तरप्रदेश में भारतीय जन संघ के महासचिव के रूप में नियुक्त किया। उत्तर प्रदेश में पार्टी के प्रचारक के लिए नानाजी को चुना गया था। वे वहां महासचिव के रूप में कार्यरत थे। 1957 तक नानाजी ने यूपी के हर जिले में जाकर पार्टी का प्रचार किया। लोगों को पार्टी से जुड़ने का आग्रह किया, जिसके फलस्वरूप पुरे प्रदेश के हर जिले में पार्टी की इकाई खुल गई थी। जब जनता पार्टी का गठन हुआ था, देशमुख इसके मुख्य वास्तुकारों में से एक थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ उन्होंने पार्टी के लिए रुपरेखा बनाई थी। कुछ ही सालों में आगे चलकर यही जनता पार्टी ने कांग्रेस को सत्ता से हटाकर, खुद देश की सरकार बना ली थी।

नानाजी देशमुख की मृत्यु (Death) :-

सन 2010 में 93 साल की उम्र में नानाजी का निधन चित्रकूट के उन्ही के द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय में हुआ था। नानाजी लम्बे समय से बीमार थे, लेकिन वे इलाज के लिए चित्रकूट छोड़कर नहीं जाना चाहते थे।

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