Mithun sankranti Information In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम मिथुन संक्रांती के बारे में जानकारी लेने वाले हैं । एक साल में बारा संक्रांती होती हैं । इन बारा संक्रांती में सूर्य अलग अलग राशी और नक्षत्रों में विराजमान होते हैं । जब सूर्य मिथुन राशी में प्रवेश करते हैं तब उसको मिथुन संक्रांती कहा जाता हैं । यह त्यौहार सभी त्यौहारों में एक खास त्यौहार माना जाता हैं । मिथुन संक्रांती को रज संक्रांती भी कहा जाता हैं । इस दिन से वर्षा ऋतु की शुरुआत होती हैं । इस दिन सूर्यदेव की पूजा करना अच्छा होता हैं । इसके अलावा इस दिन पवित्र नदीयों में स्नान करना और स्नान करने के बाद दान करने की भी परंपरा हैं । इस दिन लोग भगवान से अच्छी फसल के लिए अच्छी बारीश की भी मनोकामना करते हैं ।
मिथुन संक्रांती के बारे में जानकारी Mithun sankranti Information In Hindi
मिथुन संक्रांती की पूजा विधी –
मिथुन संक्रांती के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करें । इस दिन सिलबट्टे में हल्दी , चंदन और फूलों को पिसा जाता हैं और इसकी पेस्ट बनाई जाती हैं । इस पेस्ट को सभी औरते सुबह उठने के बाद अपने शरीर पर लगाती हैं और इसके बाद स्नान करती हैं । इसके बाद सूर्य देवता की पूजा के लिये उगते सुर्य के दर्शन करें और ” ॐ घृणि सूर्याय नम: ” इस मंत्र का जाप करते हुये सुर्य देवता को जल अर्पित करें । इस दिन सिलबट्टे की पूजा की जाती है ।
इसलिए सिलबट्टे को जल और दूध की मदद से अच्छी तरह से धोना चाहिए । इसके बाद सिलबट्टे की चंदन , फूल और सिंदूर से पूजा करनी चाहिए । इस दिन घर के पूर्वजों को श्रद्धांजली देनी चाहिए । मिथुन संक्रांती के दिन स्नान करने के बाद ब्राम्हण को गेहूं , घी , गूड़ इन वस्तुओं का दान करना चाहिए । इस दिन ब्राम्हण को दान करना शुभ माना जाता हैं ।
मिथुन संक्रांती कैसे मनाये –
मिथुन संक्रांती के दिन सूर्य देवता की पूजा की जाती है । उडीसा में मिथुन संक्रांती बहोत धुमधाम से मनाई जाती है । इस दिन लोग जीवन में शांती पाने के लिये सूर्य देवता की उपासना करते हैं । इस दिन धरती माता की भी पूजा की जाती हैं ।
इस दिन महिलाओं के साथ कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की प्राप्ती के लिये व्रत रखती हैं । यह पर्व चार दिन मनाया जाता हैं । इस पर्व के शुरुआत के तीन दिनों में औरते एक जगह पर इकट्ठा होती हैं और मौज मस्ती करती हैं ।
इस दिन नाच गाना , खेल इन कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता हैं । इस दिन औरते साडी पेहेनती हैं और मेहंदी लगाती हैं । अविवाहित लडकीया भी अच्छे वर की प्राप्ती के लिये यह पर्व मनाती हैं । इस दिन बरगद के पेड़ पर झूले लगाये जाते हैं । सभी औरते झूले पर बैठकर झूला झूलती हैं और गीत गाती हैं । मिथुन संक्राती के पहले दिन को सजबजा दिन कहते हैं ।
इस दिन औरतें घर में आगे के दिनों की तैयारीयां करती हैं । दूसरे दिन को मिथून संक्रांती कहा जाता हैं । तीसरे दिन को भू दाहा कहा जाता हैं । चौथे दिन को वसुमती स्नान कहा जाता हैं । यह पर्व आने से पहले महिलाये सिलबट्टे में मसाले पिसती हैं और अच्छी तरह से साफ करके रखती है । क्योंकी आगे के चार दिन सिलबट्टे का उपयोग नहीं किया जाता ।
मिथुन संक्राती का महत्व –
ज्योतिषों के अनुसार , मिथुन संकट में सूर्य में हुए बदलाव को बड़ा माना जाता हैं । इन दिनों में पूजा अर्चना का विशेष महत्व होता हैं । मिथुन संक्राती को शास्त्रों में भी उत्तम माना गया हैं । इस दिन सूर्य देवता की विधी विधान से पूजा करनी चाहिए । इस दिन सूर्य देवता की विधी विधान से पूजा करना बहोत शुभ माना गया हैं । हिंदू धर्म में मिथुन संक्राती को महत्वपूर्ण माना गया हैं । मिथुन संक्राती में दान करने से पुण्य की प्राप्ती होती हैं । इस दिन ब्राम्हण को दान करना भी अच्छा माना जाता हैं ।
मिथुन संक्राती के दिन क्या करें –
1 ) मिथुन संक्राती के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करें । इसके बाद उगते हुए सूर्य को प्रणाम करें और आरती करें ।
2 ) इस दिन सूर्य देवता के मंत्र का जाप करते हुए सुर्य देवता को जल अर्पित करें ।
3 ) इस दिन जरूरतमंद लोगों को दान करें । इस दिन हरे वस्तू का दान करना शुभ माना जाता हैं ।
4 ) मिथुन संक्राती के दिन हरे रंग की वस्तू , पालक और मूंग का दान करना भी शुभ माना जाता हैं ।
5 ) इस दिन सूर्य देवता के पूजा के लिए तांबे की थाली और लोटे का इस्तेमाल करना चाहिए ।
6 ) इस दिन बिना नमक खाये व्रत रखें । ऐसा करने से सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं ।
7 ) इस दिन गाय को हरा चारा खिलाना भी अच्छा होता हैं ।
8 ) इस दिन पितरों की शांती के लिए किसी तीर्थ स्थान पर ब्राम्हण से श्राद्ध और तर्पण करवा लें और किसी मंदिर के अन्न क्षेत्र में अनाज का दान करें और जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाये । ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ती मिलती हैं ।
9 ) इस दिन वृक्षारोपण करना भी अच्छा होता हैं । इस दिन वृक्षारोपण करने से घर में सुख – शांती रहती हैं । इस दिन पीपल और तुलसी को जल चढ़ाना भी अच्छा होता हैं ।
10 ) इस दिन पक्षीयों को अनाज खिलाये और मछलीयों के लिए नदी या तालाब में आटे की गोलियां डाले ।
इस पोस्ट में हमने मिथुन संक्राती के बारे में जानकारी ली । हमारी पोस्ट शेयर जरुर किजीए । धन्यवाद !
यह लेख अवश्य पढ़े –
मिथुन संक्रांति क्या होती है?
ज्योतिष में सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने को एक महत्वपूर्ण घटना माना जाता है. सूर्य 15 जून को यानी आज मिथुन राशि में प्रवेश कर रहे हैं. इस ज्योतिष घटना को मिथुन संक्रांति कहा जाता है. देश के कई हिस्सों में मिथुन संक्रांति पर्व को बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.