जया एकादशी के बारे में जानकारी Jaya Ekadashi Information In Hindi

Jaya Ekadashi Information In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम जया एकादशी के बारे में जानकारी लेने वाले हैं । जया एकादशी हर साल माघ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती हैं । इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती हैं । यह एकादशी एक हजार साल तक स्वर्ग में वास करने का फल देती हैं ‌। इस एकादशी का व्रत विधि विधान से करने से जीवन में खुशहाली आती हैं । हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार एक बार इंद्रलोक की अप्सरा को श्राप के कारण पिशाच योनी में जन्म लेना पडा़ , तब उससे मुक्ती के लिए उसने जया एकादशी का व्रत किया था । तब उसे भगवान विष्णु की कृपा से पिशाच योनी से मुक्ती मिली और इंद्रलोक में स्थान प्राप्त हो गया था ।

Jaya Ekadashi Information In Hindi

जया एकादशी के बारे में जानकारी Jaya Ekadashi Information In Hindi

जया एकादशी पूजा विधी –

जया एकादशी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठे और स्नान करें । इसके बाद स्वच्छ कपड़े पहने और भगवान विष्णु का ध्यान करें । इसके बाद व्रत का संकल्प लें । इसके बाद घर के मंदिर में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाए और उसके उपर भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करें । इसके बाद एक लोटे में गंगाजल ले और उसमें तिल , रोली और अक्षत मिलाएं । यह करने के बाद इस लोटे से जल की कुछ बूंदें ले और चारों ओर छिड़के । इसके बाद इस लोटे की घटस्थापना करें ।

अब भगवान विष्णु को धूप दिप दिखाएं और उन्हें पुष्प अर्पित करें । इसके बाद एकादशी की कथा का पाठ करें या श्रवण करें । इसके बाद शुद्ध घी का दिया जलाएं और भगवान विष्णु की आरती करें । इसके बाद भगवान विष्णु को तुलसी दल और तिल का भोग लगाएं । अब विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें । शाम के समय भगवान विष्णु की पूजा करें और फलाहार करें । अगले दिन द्वादशी को को ब्राम्हण को भोजन कराये और दान – दक्षिणा दें । इसके बाद स्वयं भी भोजन करें और व्रत का पारण करें ।

जया एकादशी व्रत कथा –

एक बार नंदनवन में उत्सव चल रहा था । इस उत्सव में सभी देवता , दिव्य पुरुष और सिद्ध संत थे । उस समय गंधर्व गायन कर रहे थे और गंधर्व कन्याएं नृत्य कर रही थी । सभा में माल्यवान नाम के एक गंधर्व का और पुष्पवती नाम की एक गंधर्व कन्या का नृत्य चल रहा था । उस वक्त पुष्पवती की नजर माल्यवान पर पड़ी और वह उस पर मोहित हो गई ।

इसके बाद पुष्पवती सभा में अपनी मर्यादा भुल गई और ऐसा नृत्य करने लगी जिससे माल्यवान उसकी ओर आकर्षित हो । माल्यवान सुध बुध खो बैठा और गायन की मर्यादा से भटक गया और सुरताल उसका साथ छोड़ गये । इंद्र को पुष्पवती और माल्यवान के अमर्यादित नृत्य पर क्रोध आ गया और उन्होने दोनों को श्राप दे दिया की आप स्वर्ग से वंचित हो जाये और पृथ्वी पर निवास करें ।

मृत्यु लोक में अति नीच पिशाच योनी आप दोनों को प्राप्त हो । इस श्राप से वह दोनों पिशाच बन गये और हिमाचल पर्वत पर एक वृक्ष पर दोनों ने निवास किया । पिशाच योनी में उन दोनों को बहोत कष्ट भोगना पड़ा ।
एक बार माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन वह दोनों बहोत दुखी थे । उस दिन उन दोनों ने सिर्फ फलाहार लिया था । रात के समय उन दोनों को बहोत थंड लग रही थी इसलिए वे दोनों रातभर जागते रहे ।

ठंड के कारण दोनों की मृत्यु हो गई और उनसे अनजाने में जया एकादशी का व्रत हो गया था । इसलिए उन्हें पिशाच योनी से मुक्ती मिल गई और उन्हें स्वर्ग लोक में स्थान मिल गया । देवराज ने उन दोनों को देखा और वो चकित हो गये और उन्होंने उन दोनों को पिशाच योनी से मुक्ती कैसे मिली इसका कारण पूछा । माल्यवान ने कहा की यह भगवान विष्णु की जया एकादशी का प्रभाव है ।

हम दोनो इस एकादशी के प्रभाव से पिशाच योनी से मुक्त हुए हैं । इंद्र यह बात सुनकर प्रसन्न हो गए और बोले की आप जगदीश्वर के भक्त हैं इसलिए अब से आप मेरे लिए आदरणीय हैं । आप स्वर्ग में आनंदपूर्वक विहार करें ।
कथा सुनाकर श्रीकृष्ण ने बताया की जया एकादशी के दिन जगपती जगदीश्वर भगवान विष्णु ही सर्वथा पूजनीय हैं ।

जो श्रद्धालू भक्त इस दिन एकादशी का व्रत रखते हैं उन्हें दशमी तिथि के समय एक समय का आहार करना चाहिए । इस बात का ध्यान रखें की आहार सात्त्विक हो । एकादशी के दिन श्री विष्णु का ध्यान करके संकल्प करें और फिर धूप , दीप , चंदन , फल , तिल और पंचामृत से भगवान विष्णु की पूजा करें ।

जया एकादशी व्रत के नियम –

1 ) जया एकादशी व्रत के एक दिन पहले से ही तुलसी का पत्ता तोड़कर रखना योग्य माना जाता हैं । क्योंकी जया एकादशी के दिन तुलसी का पत्ता तोड़ने से दोष लगता हैं ‌।

2 ) जया एकादशी व्रत का संकल्प दशमी तिथी को सायंकाल के पश्चात लेना चाहिए ।

3 ) भगवान विष्णु की पूजा में पंचामृत और तुलसी के पत्तों का उपयोग अवश्य करना चाहिए ।

4 ) इस दिन उपवास रखकर धूप , दीप , नैवेद्य से भगवान विष्णु का पूजन करने का नियम हैं ।

5 ) इस दिन तिल का दान करना अच्छा माना जाता हैं ।

जया एकादशी के दिन क्या करना चाहिए –

1 ) जया एकादशी के दिन व्रत रखने का बहोत महत्व होता हैं । इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मनोकामना पूरी होती हैं । इस दिन उपवास रखना चाहिए ।

2 ) इस दिन तुलसी , गेंदा , आवले का पौधा जरूर लगाना चाहिए । यह बहोत ही शुभ माना जाता हैं ।

3 ) इस दिन घर में पीली ध्वजा अवश्य ही फहराना चाहिए ।

4 ) इस दिन गरीब और असहाय लोगों की मदद करनी चाहिए और दान करना चाहिए ।

5 ) इस दिन तुलसी युक्त खीर भगवान विष्णु को अर्पित करनी चाहिए ।

इस पोस्ट में हमने जया एकादशी के बारे में जानकारी ली । हमारी पोस्ट शेयर जरुर किजीए । धन्यवाद !

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