जगद्धात्री त्यौहार कि पूरी जानकारी Jagadhatri Festival Information In Hindi

Jagadhatri Festival Information In Hindi हॅलो ! हम आज की पोस्ट में जगद्धात्री पूजा के बारे में जानकारी लेने वाले हैं । जगद्धात्री माता दूर्गा माता का ही एक स्वरूप हैं । हमारे देश में बंगाल दूर्गा माता की पूजा के लिए प्रसिद्ध हैं । जगद्धात्री पूजा नवमी के एक माह के बाद मनाई जाती हैं । यह त्यौहार चार दिन मनाया जाता हैं । जगद्धात्री पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होकर दशमी तक मनाई जाती हैं । इन दिनों में पश्चिम बंगाल में जगद्धात्री माता की पूजा देखने के लिये बहोत लोग आते हैं । यह पूजा उड़ीसा के कुछ क्षेत्रों में भी बहोत उत्साह से की जाती हैं ।

Jagadhatri Festival Information In Hindi

जगद्धात्री त्यौहार कि पूरी जानकारी Jagadhatri Festival Information In Hindi

जगद्धात्री माता के लाल वस्त्र होते हैं और माता गहने धारण करती हैं । जगद्धात्री माता को तीन आंखें और चार हात होते हैं । जगद्धात्री माता के हातों में धनुष , शंख , तीर , एवम चक्र होता हैं । जगद्धात्री माता सिंह पर बैठी हुई होती हैं ।

जगद्धात्री पूजा का इतिहास –

ऐसी मान्यता हैं की जगद्धात्री माता पृथ्वी पर बुराई को नष्ट करने के लिये और अपने भक्तों को सुख शांती देने के लिए आई थी । इस त्यौहार की शुरुआत रामकृष्ण की पत्नी शारदा देवी ने रामकृष्ण मिशन में की थी । शारदा देवी भगवान के पुनर्जन्म पर बहोत विश्वास रखती थी । शारदा देवी ने इस त्यौहार की शुरुआत की और इसके बाद दुनिया में जितने रामकृष्ण मिशन के सेंटर थे उनमें जगद्धात्री पूजा का त्यौहार मनाने जाने लगा । इस त्यौहार को माता दुर्गा के पुनर्जन्म के खुशी में मनाया जाता हैं ।

जगद्धात्री माता के पूजा की कथा –

महिषासुर राक्षस के आतंक के कारण सभी देवी- देवता बहोत परेशान हो गये थे । सभी देवी – देवता परेशान होकर दूर्गा माता के शरण में गये । लंबे युद्ध के बाद दुर्गा माता ने महिषासुर राक्षस का वध किया । इसके बाद सभी देवी – देवताओं का स्वर्ग का आधिपत्य पुनः मिल गया । इसके बाद देवताओं में घमंड का भाव आ गया और वे खुद को सर्वश्रेष्ठ समझने लगे । उनके घमंड को तोड़ने के लिए यक्ष देव को सभी देवताओं के पहले पूज्य बनाया गया ।

इसके बाद सभी देवताओं को अपमान महसूस होने लगा । सभी देवी – देवता एक – एक करके यक्ष देव‌ के पास जाने लगे । यक्ष देव ने वायू देव से एक सवाल पुछा की आप क्या कर सकते हैं । वायू देव को बहोत घमंड आ गया था और उन्होंने घमंड में कहा की वह उंचे पहाड़ को पार कर सकते हैं और गती से ब्रम्हांड का चक्कर लगा सकते हैं । इसके बाद यक्ष देव ने अती सूक्ष्म रूप धारण किया और वायू देव से कहा की इसे नष्ट करके दिखाओ ।

वायू देव इसका कुछ भी बिगाड़ नहीं पाये । इस तरह से सभी देवता विफल हो गये । तब उनको यह पता चलता हैं की उनके पास उनका कुछ नहीं हैं परम परमेश्वर के पराक्रम के बिना उनका अस्तित्व साधारण मनुष्य के समान भी नहीं हैं । तब यह बात कही जाती हैं की जिस मनुष्य में अहम भाव नहीं होता उन्ही लोगों को जगद्धात्री माता की कृपा प्राप्त होती हैं ।

ऐसा कहा जाता हैं की , चंदन नगर एक ऐसी जगह हैं जहां कभीभी अंग्रेजों की हुकुमत नहीं रही । ऐसा कहा जाता हैं की इसी जगह पर जगद्धात्री पूजा का जन्म हुआ । चंदन नगर में चंदन का व्यापार ज्यादा होता हैं और इधर एक नदी बहती हैं उसका भी आकार आधे चांद जैसा हैं । इसलिए इस गांव का नाम चंदननगर पड़ा होगा । इस जगह पर एक फ्रांस के राजा का राज्य था । उनका नाम इंद्रनारायण चौधरी था ।

उस वक्त वह एक बडे व्यापारी थे । इनके पास बहोत बडे अधिकार भी थे । सन 1750 में उन्होंने सबसे पहले अपने घर में जगद्धात्री पूजा की थी । इसके बाद यह पूजा बढ़ते गयी और इस पूजा का रूप भव्य हो गया । इसके बाद यह पूजा चंदननगर के अलावा कोलकाता , कृष्णा नगर , पश्चिम बंगाल , उड़ीसा , बिहार में भी बहोत उत्साह से की जाने लगी । जगद्धात्री पूजा का विवरण बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने अपने उपन्यास बंदे मातरम में किया था । जगद्धात्री माता को भारतमाता के रूप में देखा जाता हैं ।

जगद्धात्री माता पूजा विधी –

माता दूर्गा की पूजा की तरह ही जगद्धात्री पूजा को किया जाता हैं । इस पूजा में जगद्धात्री माता की बड़ी प्रतिमाओं को पंडाल में बिठाया जाता हैं । इस प्रतिमा को लाल साड़ी और गहने पहनाये जाते हैं । देवी की प्रतिमा को फूलों की माला से सजाया जाता हैं । जैसे नवरात्री का त्यौहार मनाते हैं उसी तरह से यह पूजा भी मनाई जाती हैं ।

जगद्धात्री पूजा के मेले –

जगद्धात्री पूजा त्यौहार में बहोत जगहों पर मेलों का आयोजन किया जाता हैं । इन मेलों में बहोत पालकीयों का आयोजन भी किया जाता हैं । इन मेलों में जगद्धात्री माता की पौराणिक कथा और चंदननगर का इतिहास दिखाया जाता हैं । इस मेले में जगद्धात्री माता के भजन , गीत और गरबा का भी आयोजन किया जाता हैं । उड़ीसा में जगद्धात्री माता के भजन , गीत और गरबा का भी आयोजन किया जाता हैं । उड़ीसा में जगद्धात्री पूजा का मेला बहोत प्रसिद्ध हैं ।

यह मेला 8 से 15 दिनों के लिए आयोजित किया जाता हैं । हर साल इस पूजा का मुख्य आकर्षण पंडाल और मेला होता हैं । हर साल पंडाल को नये तरीके से सजाया जाता हैं ‌। ताजमहल , लोटस मंदिर , टाइटैनिक शीप , विक्टोरिया मेमोरियल , स्वर्ण मंदिर इस तरह से पंडालों को अलग अलग तरीकों से सजाया जाता हैं । सन 2012 में जगद्धात्री पूजा को 60 साल पूरे हो गये थे । इसके बाद डायमंड जुबली मनाते हुए यह मेला पहली बार तेरा दिनों के लिए चलता रहा ।

इस पोस्ट में हमने जगद्धात्री पूजा के बारे में जानकारी ली । हमारी पोस्ट शेयर जरुर किजीए । धन्यवाद !

यह लेख अवश्य पढ़े –

जगाधत्री पूजा के पीछे क्या कहानी है?

इस त्यौहार का शुरुवात रामकृष्ण की पत्नी शारदा देवी ने रामकृष्ण मिशन में की थी

जगदाति पूजा कब है?

जगद्धात्री पूजा का नवरात्रि पूजा की तरह विशेष स्थान है। ये पूजा पश्चिम बंगाल और ओडिशा में खासकर की जाती है।


क्या मैं घर पर जगाधत्री पूजा कर सकता हूं?

समृद्धि और शत्रुओं पर विजय के लिए इनकी पूजा की जाती है। नीचे देवी जगधात्री पूजा विधि या मंत्र सहित प्रक्रिया दी गई है। यह मां जगधात्री देवी की पूजा कैसे करें, इस पर एक सरल मार्गदर्शिका है और इसे घर पर करने के लिए आदर्श है।

जगाधत्री पूजा सबसे पहले किसने शुरू की थी?

राजा कृष्णचंद्र

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