गणगौर त्यौहार कि पूरी जानकारी Gangaur Information In Hindi

Gangaur Information In Hindi गणगौर त्यौहार राजस्थान में मनाया जाने वाला प्रमुख त्यौहार हैं । यह त्यौहार बहोत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है । इस त्यौहार में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है । यह त्यौहार बहोत प्राचीन काल से मनाया जाता है । यह त्यौहार कुंवारी लड़कियां और विवाहित स्त्रियां दोनों मनाती हैं। कुंवारी लड़कियां अच्छे वर के लिए यह त्यौहार मनाती हैं और विवाहित स्त्रियां अपने पति के दीर्घायु के लिए यह त्यौहार मनाती हैं । इस त्यौहार के लिए कुंवारी लड़कियां अच्छे से तैयार होती है और विवाहित स्त्रियां सोलह श्रृंगार करके यह त्यौहार मनाती हैं ।

Gangaur Information In Hindi

गणगौर त्यौहार पूरी जानकारी Gangaur Information In Hindi

गणगौर त्यौहार क्यों मनाया जाता हैं –

ऐसे माना जाता हैं की प्राचीन समय में माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए बहोत तपस्या और व्रत किये थे । माता पार्वती की तपस्या देखकर भगवान शिव प्रसन्न हो गये और माता पार्वती के सामने प्रकट हो गये । उन्होंने माता पार्वती को कुछ वरदान मांगने को कहा । तब माता पार्वती ने भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त करने का वरदान मांगा । भगवान शिव ने माता पार्वती की इच्छा पूरी की । माता पार्वती का भगवान शिव के साथ विवाह संपन्न हुआ । ऐसी मान्यता हैं की भगवान शिव ने माता पार्वती को अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान दिया । इसके साथ माता पार्वती ने यह वरदान उन सभी महिलाओं को दिया जो इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा करेंगी और व्रत रखेंगी । इसलिए महिलाओं द्वारा और कुंवारी लड़कियों द्वारा गणगौर त्यौहार उत्साह से मनाया जाता हैं ।

गणगौर त्यौहार कैसे मनाया जाता हैं –

गणगौर का त्यौहार 16 दिनों के लिए मनाया जाता हैं । यह त्यौहार महिलाएं सामुहिक रूप से 16 दिन मनाती हैं ‌। इस त्यौहार पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती हैं । चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन महिलाएं स्नान करके गीले वस्त्रों में ही घर के पवित्र स्थान पर लकड़ी के टोकरी में जवारे बोती हैं । महिलाएं गौरीजी की स्थापना पर चूड़ियां , सिंदूर , मेहंदी , बिंदी , काजल यह सुहाग की वस्तु चढ़ाती हैं ।

इस दिन से महिलाएं एक समय का व्रत रखती हैं । जब तक गौरी माता का विसर्जन नहीं होता तब तक उनकी विधी – विधान से पूजा की जाती हैं और भोग लगाया जाता हैं । भोग लगाने के बाद गौरीजी की कथा कही जाती हैं । कथा सुनने के बाद माता गौरी के के मांग का सिंदूर विवाहित स्त्रियां अपने मांग में भरती हैं ।

चैत्र शुक्ल द्वितीया के दिन माता गौरी को नदी या तालाब में स्नान कराते हैं और सूंदर वस्त्र और आभूषण पहनाकर पालने में बिठाते हैं । इस दिन शाम को नाचते गाते हुए माता गौरी और भगवान शिव को नदी और तालाब में विसर्जित करते हैं । इसी दिन शाम को महिलाएं उपवास छोड़ती हैं ।

गणगौर त्यौहार का महत्व –

यह त्यौहार महिला और कुंवारी लड़कियां मनाती हैं ।‌ महिलाएं यह त्यौहार अपने पती के लिए मनाती हैं । महिला यह त्यौहार अपने पती की अच्छी सेहत और दिर्घायू के लिए मनाती हैं और कुंवारी लड़कियां अपने पसंद का और अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत रखती हैं । यह त्यौहार पती पत्नी के बीच मधुरता लाने का काम करता हैं ।

गणगौर पूजन और उद्यापन की सामग्री –

गणगौर पूजा में पूरी सामग्री का होना आवश्यक हैं । गणगौर पूजन में लकड़ी का पाट , तांबे का कलश , मिट्टी का दिपक , काली मिट्टी ‌, दो मिट्टी के कुंडे , घी , फल , आम के पत्ते , नारियल , सुपारी , गेहूं , गणगौर के कपड़े , चुनरी का कपड़ा यह वस्तू लगती हैं । गणगौर के उद्यापन के लिए हलवा , गेंहू , पूड़ी , फल , साड़ी , सुहाग का सामान यह वस्तु लगती हैं ।

गणगौर के गीत –

1 ) प्रारंभ का गीत –

गोर रे‌ , गणेश माता खोल ये निवाड़ी
बाहर उबी थारी पूजन वाली ,
पूजो ये , पुजारन माता कायरमांगू
अन्न मांगू धन मांगू , लाज मांगू लक्ष्मी मांगू ,
राई सी भोजाई मांगू
कान कुवर सो , बीरो मांगू इतनो परिवार मांगू

2 ) सोलह बार पूजन का गीत –

गौर – गौर गणपती ईसर पूजे , पार्वती
पार्वती का आला टीला , गोर का सोना का टीला
टीला दे , टमका दे , राजा रानी बरत करे
करता करता , आस आयो मास
आयो , खेरे खांडे लाडू लायो ,
लाडू ले बीरा ने दियो , बीरों ले गटकायो
साड़ी मे सिंगोड़ा , बाड़ी में बिजोरा ,
सान मान सोला , ईसर गोरजा
दोनो को जोड़ा , रानी पूजे राज में
दोनों का सुहाग में
रानी को राज घटतो जाय , म्हारो सुहाग बढतो जाय
किडी किडी किडो दे ,
किडी थारी जात दे ,
जात पड़ी गुजरात दे ,
गुजरात थारो पानी आयो ,
आखा फूल कमल की डाली ,
मालीजी दुब दो , दुब की डाल दो
डाल की किरण , दो किरण मज्जे
एक, दो , तीन , चार , पांच , छ: , सात ,
आठ , नौ , दस , ग्यारह , बारह , तेरह ,
चौदह , पंद्रह , सोलह ।

3 ) पाटा धोने का गीत –

पाटो धोय पाटो धोय , बीरा की बहन पाटा धो ,
पाटो ऊपर पीलो पान , म्हे जास्या बीरा की जान
जान जास्या , पान जास्या , बीराने परवान जास्या
अली गली मे , साप जाये , भाभी तेरो बाप जाये
अली गली गाय जाये , भाभी तेरी माय जाये
दूध में डोरों , म्हारों भाई गोरो
खार पे खाजा , म्हारों भाई राजा
थाली में जीरा म्हारों भाई हिरा
थाली में है , पताशा बीरा करे तमाशा
ओखली मे धानी छोरिया की सासु कानो

4 ) पानी पिलाने का गीत –

म्हारी गोर तिसाई ओ राज घाटारी मुकुट करो
बिर मादासजी राइसदास ओ राज घाटारी मुकुट करो
म्हारी गोर तिसाई ओर राज
बिरमादासजी रा कानीरामजी ओ राज घाटारी
मुकुट करो म्हारी गोर तिसाई ओ राज
म्हारी गोर ने ठंडो सो पानी तो प्यावो ओ राज
घाटारी मुकुट करो .

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गणगौर का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

 चैत्र नवरात्रि की तृतीया को उन्हें इसलिए पूजा जाता है क्योंकि राजस्थान की लोक परंपरा के अनुसार इस दिन माता की अपने मायके के यहां से विदाई हुई थी। 


गणगौर पर किसकी पूजा होती है?

शिव पार्वती का रूप मानकर ही बालाएं उनका पूजन करती हैं

गणगौर में 5 मूर्तियां कौन सी हैं?

गौरी (गणगौर), ईसरजी, कनीराम-जी, रोवा-बाई और ढोलनमाला

गणगौर कहाँ की प्रसिद्ध है?

गणगौर त्योहार को बीकानेर में खासे उत्साह से मनाया जाता है.


घर पर गणगौर की पूजा कैसे करें?

शिव-गौरी को सुंदर वस्त्र पहनाकर सम्पूर्ण सुहाग की वस्तुएं अर्पित करके चन्दन, अक्षत, धूप, दीप, दूब घास और पुष्प से उनकी पूजा-अर्चना की जाती है।

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