गणेश त्यौहार कि पूरी जानकारी Ganesh Information In Hindi

Ganesh Information In Hindi गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र का महत्वपूर्ण त्यौहार है । यह त्यौहार हिंदू लोगों को बहोत अच्छा लगता है । इस त्यौहार को गणेशोत्सव और विनायक चतुर्थी इन नामों से भी जाना जाता हैं ‌। यह त्यौहार बहोत भक्ती भाव और उत्साह से मनाया जाता हैं । यह त्यौहार हर साल अगस्त या सितंबर महिने में मनाया जाता हैं । यह त्यौहार त्यौहार भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता हैं ।

Ganesh Information In Hindi

गणेश त्यौहार कि पूरी जानकारी Ganesh Information In Hindi

यह त्यौहार महाराष्ट्र के अलावा अन्य राज्यों में भी मनाया जाता हैं । लेकिन महाराष्ट्र में यह त्यौहार बहोत प्रसिद्ध और लोकप्रिय है । भगवान गणेश को बुद्धी और समृद्धी के भगवान माना जाता हैं । इसलिए बुद्धी और समृद्धी पाने के लिए लोग भगवान गणेश की पूजा करते हैं । भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता हैं । विघ्नहर्ता मतलब सभी विघ्न दूर करने वाला । गणेश चतुर्थी का त्यौहार 11 दिनों का होता हैं । यह त्यौहार बहोत धुमधाम से मनाया जाता हैं ।

गणेश चतुर्थी का त्यौहार कैसे मनाया जाता हैं –

गणेश चतुर्थी का त्यौहार बहोत उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता हैं । गणेश चतुर्थी का त्यौहार 11 दिन मनाया जाता हैं । यह त्यौहार भगवान गणेश की मूर्ती की स्थापना से शुरू होता हैं और गणेश विसर्जन करते हुए समाप्त होता हैं। सबसे पहले गणेश चतुर्थी के पहले दिन सुबह भगवान गणेश की मूर्ती को घर , मंदिर या पंडालों में स्थापित किया जाता हैं । मूर्ती स्थापित करने के बाद मूर्ती की पूजारी के मदद से पूजा की जाती है और आरती की जाती है ।

आरती के बाद सभी लोग भगवान गणेश का आशीर्वाद लेते हैं और प्रसाद बांटा जाता हैं । भगवान गणेश को मोदक बहोत पसंद है । इसलिए उनको मोदक का भोग लगाया जाता है । भगवान गणेश को दूर्वा बहोत पसंद है । इसलिए उनके मूर्ती पर या पैर पर दूर्वा रखा जाता हैं और दूर्वा की माला बनाकर भी पहनाई जाती हैं । भगवान गणेश की आरती गणेश चतुर्थी के पहले दिन से भगवान गणेश के विसर्जन के दिन तक सुबह और रात में की जाती हैं ।

रात के समय में संगीत , नृत्य , विविध खेल और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता हैं । गणेश चतुर्थी के आखिरी दिन भगवान गणेश का विसर्जन धुमधाम से किया जाता हैं । भगवान गणेश को किसी गाड़ी में रखकर लोग बैंड बाजे के साथ नृत्य करते हुए किसी नदी या तालाब के पास जाते हैं । उधर जाकर भगवान गणेश को एक जगह पर बिठाकर उनकी आरती करके बहोत धुमधाम से भगवान गणेश का विसर्जन किया जाता हैं । विसर्जन के बाद सभी लोगों में प्रसाद बांटकर लोग घर जाते हैं ।

भगवान गणेश की पौराणिक कथा –

माता पार्वती भगवान शिव की धर्मपत्नी हैं । एक दिन माता पार्वती ने अपने शरीर का मैल निकालकर एक पुतला बनाया । इस पुतले में माता पार्वती ने प्राण‌ डाला और एक पुत्र उत्पन्न हुआ । माता पार्वती ने इस पुत्र का नाम गणेश रखा ।‌ एक बार माता पार्वती स्नान‌ करने गई तो उन्होंने स्नान करने को जाने से पहले अपने पुत्र गणेश को कहा की जब तक मै स्नान करके नहीं आती तब तक स्नान घर के अंदर किसी को भी आने मत देना ।

गणेश ने दरवाजे पर पहरेदारी करने की शुरुआत की । थोड़ी देर बाद भगवान गणेश वहां पहुंच गये । गणेश जी को पता नहीं था की शिवजी उनके पिता हैं । गणेश जी ने शिवजी को अंदर जाने से रोका । शिवजी ने गणेश जी को बहोत समझाया लेकिन गणेश जी ने उनकी बात नहीं मानी । इसके बाद भगवान शिव ने क्रोधित होकर गणेश जी का सिर काट दिया । यह देखकर माता पार्वती बहोत क्रोधित हो गई ।
माता पार्वती ने भगवान शिव को गणेश जी को पुनर्जीवित करने को कहा । इसके बाद भगवान शिव ने सेवकों को आदेश दिया की किसी बच्चे का सिर काटके ले आये । सेवक अपना काम पूरा करने के लिए जाते हैं । उन्हें एक हाथी का बच्चा दिखाई देता हैं । सेवक उस हाथी के बच्चे का सिर काटकर ले आते हैं । इसके बाद भगवान शिव उस हाथी के सिर को गणेश जी के सिर के स्थान पर लगाकर पुनर्जीवित कर देते हैं ।

इसके बाद भगवान शिव गणेश जी को सभी गणों के स्वामी घोषित कर देते हैं । तभी से इस बालक का नाम गणपती रख दिया । इसके साथ भगवान शिव को यह वरदान देते हैं की देवताओं में सबसे पहले उनकी पूजा होगी । इसलिए सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती हैं । ऐसा माना जाता है की उनकी पूजा के बिना कोई भी कार्य पूरा नहीं होता ।

गणेश चतुर्थी की पूजा विधी –

गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठे और स्नान करें । स्नान करने के बाद अपने घर के मंदिर में दिया लगाये । इसके बाद घर के किसी टेबल पर गणेश जी की मूर्ती स्थापित करें । इसके बाद भगवान गणेश का गंगाजल से अभिषेक करें । भगवान गणेश की मूर्ती को पूष्प और दूर्वा अर्पित करें ।

मान्यताओं के अनुसार , भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाने से भगवान गणेश प्रसन्न हो जाते हैं । इसके बाद भगवान गणेश को सिंदूर लगाए । इसके बाद भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाएं । इसके बाद भगवान गणेश की आरती करें और सभी कुटुंब के लोगों को प्रसाद     बांटें ।

भगवान गणेश को मोदक क्यो पसंद है –

ऐसे कहा जाता है की भगवान गणेश को मोदक बहोत पसंद है । भगवान गणेश को मोदक का भोग जरूर लगाया जाता है । पुराणों के अनुसार गणेश जी और परशुराम के बीच एक युद्ध चल रहा था । उस युद्ध में गणेश जी का एक दांत टूट गया । इसके बाद भगवान गणेश को खाना खाने में परेशानी हो रही थी ।

इसके बाद ऐसे पकवान बनाए गये जिसे खाने में गणेश जी को आसानी हो । इसमें एक पकवान मोदक था । मोदक खाने में भगवान गणेश को कोई भी तकलीफ नहीं हुई । उस वक्त से भगवान गणेश को मोदक बहोत पसंद आने लगा । इसलिए भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाया जाता है ।

यह लेख अवश्य पढ़े –


गणेश पूजा क्यों मनाया जाता है?

भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को ही गणेश जी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।

गणेश उत्सव की शुरुआत कैसे हुई?

भारत में मुगल शासन के दौरान अपनी सनातन संस्कृति को बचाने हेतु छत्रपति शिवाजी ने अपनी माता जीजाबाई के साथ मिलकर गणेश चतुर्थी यानी गणेश महोत्सव की शुरुआत की थी. 

गणेश चतुर्थी के पीछे की कहानी क्या है?

था के अनुसार, अपने पति शिव की अनुपस्थिति में, पार्वती ने चंदन से गणेश का निर्माण किया और उन्हें स्नान करते समय अपने घर के प्रवेश द्वार का संरक्षक नियुक्त किया।


गणेश जी का जन्म कब हुआ था?

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर

गणेश चतुर्थी का अर्थ क्या है?

गणेश चतुर्थी पर लोग पूरी भक्ति और श्रद्धा से ज्ञान और समृद्धि के देवता की पूजा करते हैं। भगवान गणेश को बुद्धि का देवता माना जाता है। हिंदू धर्म में किसी भी नए काम को प्रारंभ करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। माना जाता है कि भगवान गणेश की पूजा करने के बाद प्रारंभ होने वाला कार्य हर हाल में पूरा होगा।

Leave a Comment