Essay On Christian Religion In Hindi ईसाई धर्म के प्रवर्तक ईसा-मसीह हैं। ईसाई लोग प्रभु यीशु के नाम से जानते हैं। बाइबिल के अनुसार यीशु का अर्थ उद्धारकर्ता है। ईसा मसीह का जन्म बैथलहम में हुआ था। वहां युसूफ नामक बढ़ई के यहां उनकी मंगेतर मरियम के गर्भ से उनका जन्म हुआ था। तब उनका नाम ‘इम्मानुएल’ रखा गया था। इम्मानुएल का अर्थ है- ‘ईश्वर हमारे साथ है।’
ईसाई धर्म पर निबंध Essay On Christian Religion In Hindi
उन दिनों वहां एक राजा का शासन था। उसका नाम हेरादेस था। वह दुष्ट प्रवृति का था। वह ईसा मसीह से बहुत चिढ़ता था। उसने ईसा-समीह को जान से मारने की एक योजना बनाई। जब योजना की भनक युसूफ को लगी तब वे अपने पुत्र ईसा तथा मंगेतर मरियम को लेकर चले गए। यूसुफ ने मरियम से शादी कर ली।
यीशु के अनुयायी उन्हें ‘चमत्कारी बालक’ समझते थे। यीशु जब बारह वर्ष के थे, तब वे यरूशलम गए। वहां उन्होंने कानून की शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने मसीही अवतार से संबंधित अनेक ग्रंथों का अध्ययन तथा मनन-चिंतन किया। इस तरह यीशु ने परमेश्वर से संबंधित अनेक बातों का ज्ञान अर्जित किया।
इस उपदेश का ईसाइयों के लिए बहुत ही महत्व है। उस उपदेश को ‘पहाड़ी का उपदेश’ नाम दिया गया। ‘पहाड़ी का उपदेश’ के अंतर्गत ‘ईसाई धर्म का सार’ है। यीशु के इस उपदेश को सुनने के लिए कैरनम की पहाड़ी के निकट बहुत बड़ी संख्या में एकत्र हुए थे। उनके उपदेश से यरूशलम के धार्मिक नेता चिढ़ गए। वे यह कैसे बरदाश्त कर सकते थे कि यीशु उनके सिद्धांतों को गलत ठहरा दें। फिर यीशु की बातों में इतना अधिक प्रभाव था कि अन्य धार्मिक नेताओं का उपदेश सुनने के लिए कोई जाता ही नहीं था। इस तरह यीशु का प्रभाव दिन-प्रतिदिन बढ़ता गया तथा वे जन-जन के चहेते बन गए।
सभी लोग उन्हें ‘परमेश्वर का दूत’ मानने लगे। दूसरी ओर उनके बढ़ते प्रभाव से जलनेवाले धार्मिक लोग उनके दुश्मन हो गए। धर्म के ठेकेदार यीशु को शीघ्रातिशीघ्र अपने रास्ते से हटा देना चाहते है। इसके लिए उन्होंने एक चाल चली। उन्होंने यीशु के एक शिष्य को अपनी ओर मिला लिया। इस तरह यीशु के उस शिष्य ने यीशु के साथ विश्वसघात किया। यीशु पर मुकदमा चला। उन्हें कू्रस पर चढ़ाकर मृत्युदंड दिया गया। न्याय, प्रेम, अहिंसा और कर्तव्य-पालन के लिए यीशु आज भी जाने जाते हैं।
ईसाई लोगों का प्रभु यीशु पर पूरा विश्वास है। वे लोग उन्हें ‘परमेश्वर का सच्चा दूरत’ मानते हैं। यही कारण है कि लोग ईसा के मसीहा होने में पूरा विश्वास करते हैं। ईसाई धर्म को स्वीकार करने के लिए लोगों को बपतिस्मा लेना पड़ता है। यह एक प्रकार का धार्मिक अनुष्ठान होता है। इसमें पवित्र जल से स्नान करना होता है।
ईसाई लोगों की सबसे बड़ी बात यह है कि वे बिना किसी स्वार्थ के गरीब-असहाय लोगों की सेवा करने लगे। इससे लोगों ने उनकी उदारता को समझा। धीरे-धीरे वे लोग उनके साथ शामिल हो गए। ईसाइयों की संख्या तेजी से बढ़ गई। एशिया माइनर, सीरिया, मेसीडोनिया, यूनान, रोम, मिस्र आदि देशों में ईसाई लोग फैल चुके हैं।
ईसाई लोग प्रति रविवार गिरजाघर जाते हैं। वहां वे सामूहिक प्रार्थना में भाग लेते हैं। पवित्र धर्म-शास्त्र बाइबिल का पाठ करते हैं। ईसाई बुधवार और शुक्रवार को व्रत रखते हैं।
यह लेख अवश्य पढ़े –
ईसाई कौन से धर्म में आता है?
ईसाई धर्म, ईसाइयत या मसीही धर्म
ईसाई धर्म कितने प्रकार के होते हैं?
ईसाइयों में बहुत से समुदाय हैं- जैसे: कैथोलिक, प्रोटैस्टैंट, ऑर्थोडॉक्स आदि. भारत में लगभग 73 फीसदी ईसाई कैथोलिक हैं. वहीं, ईसाइयों की बात करें तो सीरियन क्रिश्चियन, गोयन क्रिश्चियन, तमील क्रिश्चियन, एंगलो इंडियन, नागा क्रिश्चियन आदि हैं
ईसाई धर्म और धर्म में क्या अंतर है?
धर्म मनुष्य द्वारा ईश्वर की शर्तों पर ईश्वर तक पहुँचने का प्रयास है। ईसाई धर्म मनुष्य को मनुष्य की शर्तों पर प्राप्त करने का ईश्वर का प्रयास है । धर्म के मूल में भय, अनुष्ठान, बलिदान, पूजा का एक केंद्रीय स्थान और स्वर्ग में भगवान के साथ अपना स्थान अर्जित करने के लिए मनुष्य की ओर से “अच्छा करो, अच्छा बनो” प्रयास निहित है।