धनतेरस त्यौहार पूरी जानकारी Dhanteras Information In Hindi

Dhanteras Information In Hindi धनतेरस हिंदू लोगों का प्रमुख त्यौहार हैं । यह दिवाली के दो दिन पहले मनाया जाता हैं । यह त्यौहार अक्टूबर या नवंबर महिने में आता हैं । यह त्यौहार तेरहवे चंद्र दिवस के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता हैं । धनतेरस को समृद्धी का त्यौहार कहा जाता हैं । इस दिन खरेदी करना शुभ माना जाता हैं । धनतेरस को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता हैं । इस दिन देवता कुबेर , माता लक्ष्मी , धन्वंतरी और यमराज की पूजा की जाती हैं।‌ यह त्यौहार धन का त्यौहार होता हैं । इस लिए व्यापारीयों के लिए यह दिन बहोत महत्वपूर्ण होता हैं ।

Dhanteras Information In Hindi

धनतेरस त्यौहार पूरी जानकारी Dhanteras Information In Hindi

धनतेरस क्यों मनाया जाता हैं –

सभी देवताओं को राजा बलि का भय रहता था । उस वक्त में शुक्राचार्य बली के पक्ष में थे । भगवान विष्णु सभी देवताओं के इस डर को खत्म करना चाहते थे । भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और वह राजा बलि के यज्ञ स्थल पर गये । शुक्राचार्य ने भगवान विष्णु को वामन अवतार में पहचान लिया था । शुक्राचार्य ने राजा बलि से कहा की वामन कुछ भी मांगे तो उन्हें इंकार कर देना ।

वामन ही भगवान विष्णु हैं और वह देवताओं की सहायता करने के लिए तुमसे सब कुछ छीनने आये हैं । राजा बलि ने शुक्राचार्य की बातों को नहीं माना । वामन भगवान द्वारा मांगी गई तीन पग भूमी , दान करने के लिए कमंडल से जल लेकर संकल्प लेने लगे । बलि को दान‌ करने से रोकने के शुक्राचार्य बलि के कमंडल में लघुरूप धारण करके प्रवेश करके गये ।

इस वजह से कमंडल से जल निकालने का मार्ग बंद हो गया । वामन भगवान शुक्राचार्य की चाल को समझ गये । भगवान वामन ने अपने हाथ मे रखे हुए कुशा को कमंडल में इस तरह रखा की शुक्राचार्य की एक आंख फूट गई । शुक्राचार्य छटपटाकर कमंडल से बाहर निकल गये । इसके बाद बलि ने तीन पग भूमी दान करने का संकल्प लिया। उस वक्त वामन ने अपने एक पैर से संपूर्ण पृथ्वी को और दूसरे पग से अंतरिक्ष को नाप लिया ।

तीसरा पग रखने के लिए कोई भी स्थान नहीं था इसलिए बलि ने अपना सिर वामन के चरणों में रखा । इस तरह बलि दान में अपना सब कुछ गवां बैठे । इस तरह बलि के भय से सभी देवताओं को मूक्ती मिल गई और बलि ने देवताओं से जो धन – संपत्ती छीनी थी उससे ज्यादा धन संपत्ती देवताओं को मिली । इस उपलक्ष्य में धनतेरस त्यौहार मनाया जाता हैं ।

धनतेरस कैसे मनाया जाता हैं –

धनतेरस का त्यौहार बहोत धुमधाम से मनाया जाता हैं । धनतेरस के दिन लोग बाजार से बर्तन‌ या सोने और चांदी की वस्तु खरीदते हैं । इस दिन लोग गाड़ी या इलेक्ट्रॉनिक वस्तु की भी खरेदी करते हैं ।

इस दिन आप झाडू भी खरीद सकते हैं । इस दिन देवता कुबेर , माता लक्ष्मी , धन्वंतरी और यमराज की पूजा की जाती हैं । इस दिन लोग दिये जलाते हैं । इस दिन लोग अकाल मृत्यु से बचने के लिए घर के बाहर दिया जलाते हैं ।

धनतेरस के दिन पूजा के लिए कौनसी सामग्री लगती हैं –

धनतेरस के दिन पूजा के लिए कपूर , चावल ,केसर , हल्दी , अबीर – गुलाल , रोली , पान का पत्ता , पुष्पमाला , कुशा , दूर्वा , पंचमेवा , गंगाजल , शुद्ध घी , दही , दूध , जल , नैवेद्य , सफेद कपड़ा , लाल कपड़ा , श्रीफल , लेखनी , चावल , गेहूं , एक मिट्टी का दिया , आटे से बनाया गया चार बत्ती वाला दिया , तेल , माचिस , चंदन , धूप , खील और बताशा , फूल , अगरबत्ती , इत्र ,‌ सिंदूर , शंख , आसन , थाली , गोबर , चांदी का सिक्का , हवन कुंड यह सामग्री लगती हैं ।

धनतेरस की पूजा विधी –

धनतेरस के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर पूजा की तैयारी करें । धनतेरस की पूजा घर के ईशान कोण में ही करनी चाहिए । पूजा के समय मुंह ईशान , पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए ।

पूजा में पंचदेव मतलब सूर्यदेव , भगवान गणेश , दुर्गा माता , भगवान शिव और भगवान विष्णु की स्थापना करके पूजा करनी चाहिए । इसमें पाद्य , अर्घ्य , आचमन , स्नान , वस्त्र , आभूषण , गंध , पुष्प , धूप , दीप , नैवेद्य , आचमन , ताम्बुल , स्तवपाठ , तर्पण और नमस्कार इस तरह से पूजा करनी चाहिए ।

धन्वंतरी देवता के सामने धूप , दीप जलाना चाहिए । धन्वंतरी देवता के माथे पर हलदी कुंकु , चंदन और चावल लगाना चाहिए । धन्वंतरी देवता को फूल और हार चढ़ाना चाहिए और गंध लगाना चाहिए । पूजा के समय मंत्रजाप करना चाहिए । पूजा होने के बाद भगवान को नैवेद्य दिखाना चाहिए । नैवेद्य के हर पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखना चाहिए ।

इसके बाद धन्वंतरी देवता की आरती कर के नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन करना चाहिए । प्रदोष काल में घर के मुख्य द्वार पर दिये जलाने चाहिए । इस दिन एक दिया यम के नाम से जलाना चाहिए । रात्री के समय में घर के सारे कोनों में और घर के बाहर दिये जलाने चाहिए ।

धनतेरस के दिन क्या करें –

1 ) धनतेरस के दिन देवता कुबेर , माता लक्ष्मी , धन्वंतरी और यमराज की पूजा करें ।

2 ) धनतेरस के दिन दिये जलाए ।

3 ) धनतेरस के दिन प्रदोष काल में घर के मुख्य द्वार पर यम देवता के नाम से एक दिया जलाए ।

4 ) धनतेरस के दिन सोने – चांदी की वस्तू , बर्तन , इलेक्ट्रॉनिक वस्तू या झाडू की खरेदी करें ।

5 ) धनतेरस के कुछ दिन पहले घर की साफ-सफाई करें ।

धनतेरस के दिन क्या न करें –

1 ) धनतेरस के दिन घर में कलह नहीं करना चाहिए ।

2 ) धनतेरस के दिन चाकू , सुई , पिन , कैंची जैसी कोई भी धारदार वस्तू नहीं खरीदनी चाहिए ।

3 ) इस दिन काले रंग की वस्तू नहीं खरीदनी चाहिए ।

4 ) इस दिन उधार नहीं देनी चाहिए और लेनी भी नहीं चाहिए ।

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धनतेरस का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

समुद्र मन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि और माँ लक्ष्मी का जन्म हुआ था, यही कारण है कि धनतेरस को भगवान धन्वन्तरि और माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है 


धनतेरस का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन अपने सामर्थ्य अनुसार किसी भी रूप में चांदी एवं अन्य धातु खरीदना अति शुभ है। धन संपत्ति की प्राप्ति हेतु कुबेर देवता के लिए घर के पूजा स्थल पर दीप दान करें एवं मृत्यु देवता यमराज के लिए मुख्य द्वार पर भी दीप दान करें।

नतेरस का मतलब क्या होता है?

धन का तेरस यानी तेरह गुना हो जाना.


धनतेरस पर कौन सा रंग पहनना है?

लाल रंग

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