Akshayatritiya Information In Hindi अक्षयतृतीया का दिन हिंदू लोगों के लिए पवित्र दिन होता हैं । वैशाख माह के शुक्ल पक्ष के तृतीया के दिन अक्षयतृतीया मनाई जाती हैं । यह दिन शुभ कार्य करने के लिए अच्छा होता हैं । इस दिन लोग नये व्यापार की शुरूआत करते हैं , नई वस्तु खरीदते हैं या विवाह करते हैं । यह त्यौहार राजस्थान , उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश में धुमधाम से मनाया जाता हैं । अक्षयतृतीया को ” आखा तीज ” या ” आखाती तीज ” इस नाम से भी जाना जाता हैं । अक्षयतृतीया के दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था और भगवान गणेश और वेदव्यास ने महाभारत ग्रंथ लिखना शुरू किया था ।
अक्षयतृतीया त्यौहार पूरी जानकारी Akshayatritiya Information In Hindi
अक्षयतृतीया का अर्थ –
‘ अक्षय ‘ इस शब्द का अर्थ हैं की ” जो कभी खत्म ना हो ” । इसलिए कहा जाता हैं की इस दिन सौभाग्य और शुभ फल का क्षय नहीं होता । ऐसा माना जाता हैं की इस दिन जो कार्य किये जाते हैं वह कभी न खत्म होने वाले शुभ फल देते हैं । ऐसा माना जाता हैं की इस दिन मनुष्य जीतने पुण्य कर्म करता हैं और दान करता हैं उसे अधिक शुभ फल मिलता हैं ।
अक्षयतृतीया क्यों मनाई जाती हैं –
1 ) अक्षयतृतीया के दिन भगवान विष्णु परशुराम के रूप में छटवी बार धरती पर अवतरित हुए थे । यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित हैं । यह दिन परशुराम के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता हैं । इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा फलदायी मानी जाती है ।
2 ) अक्षयतृतीया के दिन गंगामाता स्वर्ग से धरती पर अवतरीत हुई थी । राजा भागीरथ ने बहोत वर्ष गंगा को धरती पर अवतरीत होने के लिए तप किये थे । ऐसा माना जाता हैं की अक्षयतृतीया के दिन गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के पाप नष्ट हो जाते हैं ।
3 ) भगवान शंकर ने अक्षयतृतीया के दिन भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा करने की सलाह दी थी । इसके बाद अक्षयतृतीया के दिन से लोग माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं ।
4 ) अक्षयतृतीया के दिन महर्षी वेदव्यास और भगवान गणेश ने महाभारत लिखना शुरू किया था । अक्षयतृतीया के दिन गीता के 18 वें अध्याय का पाठ करना शुभ माना जाता हैं ।
5 ) अक्षयतृतीया के दिन माता अन्नपूर्णा का जन्मदिन मनाया जाता हैं । ऐसी मान्यता हैं की माता अन्नपूर्णा की पूजा करने से भोजन का स्वाद बढ़ जता हैं । इस दिन लोग गरीबों को भोजन कराते हैं । इस दिन पूरे देश में भंडारे का आयोजन भी किया जाता हैं ।
अक्षयतृतीया का महत्व –
अक्षयतृतीया का दिन बहोत ही शुभ माना जाता हैं । यह दिन विवाह करने के लिए अच्छा होता हैं । इस दिन लोग शुभकार्य की शुरूआत करते है़ं । इस दिन लोग नया व्यवसाय शुरू करते हैं या नयी वस्तू खरीदते हैं । इस दिन दान करना भी शुभ माना जाता हैं । इस दिन लोग गरीबों को दान करते हैं या भोजन देते हैं ।
यह दिन नये कार्य की शुरुआत करने के लिए अच्छा माना जाता हैं । इस दिन गंगा स्नान करना शुभ माना जाता हैं । ऐसी मान्यता हैं की अक्षयतृतीया के दिन गंगा स्नान करने से पाप मिट जाते हैं । ग्रंथों के अनुसार इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा और दान करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं और हमें फल भी ज्यादा मिलता हैं । इस दिन बड़े लोगों से आशिर्वाद लेना भी शुभ माना जाता हैं ।
अक्षयतृतीया के दिन क्या करना चाहिए –
अक्षयतृतीया के दिन किसी भी नये कार्य की शुरुआत करना शुभ माना जाता हैं । इस दिन आप कोई भी कार्य शुरू कर सकते हैं या कोई वस्तू खरीद सकते हैं । इस दिन गरीब लोगों को दान करे या भोजन दें । इस दिन गंगा स्नान करना शुभ होता है । इस दिन भगवान विष्णु या माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए ।
अक्षयतृतीया के दिन ब्राम्हणों को फल , चावल , घी , शक्कर , वस्त्र दान देने चाहिए और दक्षिणा भी देनी चाहिए । इस दिन ब्राम्हणों को भोजन कराना भी अच्छा होता हैं । अक्षयतृतीया के दिन गीता का 18 वां पाठ और भगवान विष्णु के दसावतार की कथा का पाठ करना चाहिए ।
अक्षयतृतीया की कथा –
धर्मदास नाम का एक व्यक्ती अपने परिवार के साथ एक छोटे से गांव में रहता था । धर्मदास बहोत ही गरीब था । धर्मदास को हमेशा अपने परिवार के पोषण की चिंता रहती थी । धर्मदास धार्मिक प्रवृत्ती का मनुष्य था । धर्मदास ने एक बार अक्षयतृतीया का व्रत करने के बारे में सोचा ।
अक्षयतृतीया के दिन धर्मदास ने सुबह जल्दी उठकर गंगा में स्नान किया । इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा और आरती की । उसने चावल , गेंहू , घी , दही , वस्त्र , पैसे , वस्तुएं भगवान के चरणों में रखी और ब्राम्हणों को दान की । उसको दान करते हुए देखकर धर्मदास के परिवार ने उसे रोकने की कोशिश की । परिवार के लोगों ने धर्मदास से सवाल पुछा की आप इतना सब दान करेंगे तो परिवार का पालन-पोषण कैसे होगा ।
इसके बाद भी धर्मदास ने अपने मन को विचलित नहीं किया और ब्राम्हणों को दान किया । धर्मदास हर साल अक्षयतृतीया पर पूजा और दान करता था । कोई भी बीमारी , परिवार की समस्या से उसने अपने पूजा और दान कार्य को विचलित नहीं होने दिया । धर्मदास के इस जन्म के पूण्यों से अगले जन्म में उसने राजा कुशावती के रूप में जन्म लिया । उसे अक्षयतृतीया के दिन उसके पूण्य कर्म का फल मिलता था । इस तरह से जो व्यक्ती अक्षयतृतीया के दिन पूजा और दान करता हैं उसे अक्षयपूण्य और यश की प्राप्ती होती हैं ।
अक्षयतृतीया की कथा सुनने का महत्व –
अक्षयतृतीया की कथा सुनने और विधि विधान से पूजा करने से बहोत लाभ होता हैं । अक्षयतृतीया की कथा का पुराणों में भी महत्व हैं । जो भी व्यक्ती अक्षयतृतीया की कथा सुनता हैं और पूजा करता हैं उसे सुख , संपत्ती और यश की प्राप्ती होती हैं ।
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